CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देशभर में देखने को मिले थे, और उनमें से कई प्रदर्शनों ने तो हिंसक रूप ले लिया था। हालांकि, इन प्रदर्शनों से निपटने का जो तरीका यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनाया, वह अपने आप में अद्वितीय था। यूपी के लखनऊ में हिंसक प्रदर्शनों के बाद सीएम योगी ने ऐलान किया था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले गुंडों से ही इस नुकसान की भरपाई की जाएगी। उनके इस ऐलान के बाद यूपी में जहां एक तरफ विरोध प्रदर्शनों में कमी देखने को मिली थी, तो वहीं अब योगी सरकार ने हिंसक प्रदर्शनकारियों को पैसे भरने का नोटिस भेजना भी शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में यूपी के 28 लोगों को 14 लाख रुपए भरने का आदेश दिया गया है।
बता दें कि हिंसक प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस मोटर साइकिलों, बैरियर व अन्य सार्वजनकि संपत्ति को क्षति पहुंचाई थी। उत्तर प्रदेश में रामपुर पहला जिला है, जहां संपत्ति के नुकसान के लिए 28 लोगों को सीधे आरोपी बनाया गया। प्रदर्शनकारियों द्वारा 21 दिसंबर को रामपुर में सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ की गई थी। अब रामपुर प्रशासन की तरफ से जिन 28 लोगों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें एक एंब्रॉयडरी वर्कर और मसाला बेचने वाला भी शामिल है। इन लोगों को पहले से ही पुलिस ने हिरासत में लिया हुआ है। प्रशासन ने इन लोगों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का जिम्मेदार माना है। नोटिस में लोगों से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि 14.86 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उनसे क्यों ना वसूली की जाए।
19 दिसंबर को यूपी में बड़े पैमाने पर हिंसा देखने को मिली थी। प्रदर्शनकारियों ने लखनऊ के डालीगंज और हजरतगंज इलाके में जमकर उत्पात मचाया था। इलाके में जमकर तोड़-फोड़ और पथराव हुआ था। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा था। लखनऊ में उपद्रवियों ने मीडिया के ओबी वैन को भी आग के हवाले कर दिया था। योगी आदित्यनाथ ने तब इन प्रदर्शनों को लेकर कई बड़े बयान दिये थे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि “हम ऐसी हिंसा से सख्ती से निपटेंगे। जो लोग इसमें शामिल हैं, उनसे नुकसान की भरपाई करेंगे। जो लोग हिंसा में शामिल हैं, उनके चेहरे सीसीटीवी में कैद हो गए हैं। धारा 144 पूरे प्रदेश में लागू है। बिना इजाजत कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। प्रदर्शन हिंसक नहीं हो सकता। आम लोगों को दिक्कत नहीं पहुंचाई जानी चाहिए। विपक्ष अफवाह फैला रहा है”।
ऐसे में यूपी के सीएम ने जिस तरह सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचे नुकसान की भरपाई करने का तरीका खोजा है, वह प्रशंसा के लायक है। और सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों की सरकारों को भी इसी तरह हिंसक विरोध प्रदर्शनकारियों से ही सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करने की ज़रूरत है। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना विरोध नहीं कहलाता, बल्कि गुंडागर्दी और दंगा-फसाद कहलाता है। यूपी के सीएम ने जिस तरह इन गुंडों को आड़े हाथ लिया है, उसी से इन गुंडों के हौसले पस्त हो सकते हैं। अन्यथा, सरकारी संपत्ति को नुकसान होते देख कई राजनेता सिर्फ राजनीतिक रोटियाँ सेकने में ही विश्वास रखते हैं।