102,000,000,000,000 rs, आने वाले 5 सालों में इनफ्रास्ट्रक्चर पर भारत सरकार इतने रुपए खर्च करने वाली है

इनफ्रास्ट्रक्चर

PC: Punjab Kesari

सरकार ने आने वाले पांच सालों में अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वर्ष 2019-20 से लेकर वर्ष 2025 तक 100 ट्रिलियन रुपये इनफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने का खाका पेश किया है। बीते मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि वर्ष 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने इसका ऐलान किया था कि भारत सरकार बड़े पैमाने पर इनफ्रास्ट्रक्चर पर पैसे खर्च करेगी। रोचक बात तो यह है कि सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में सबसे ज़्यादा निवेश करने का फैसला लिया है। इस क्षेत्र में अभी निजी निवेश बहुत कम मात्र है और अब सरकार को इस क्षेत्र में निवेश के लिए आगे आना पड़ा है। भारत में अभी प्रतिव्यक्ति ऊर्जा खपत दर बहुत कम है, और किसी भी देश की प्रतिव्यक्ति ऊर्जा खपत दर और प्रतिव्यक्ति आय दर सीधे तौर पर आनुपातिक होती है।

सरकार के खाके के अनुसार वर्ष 2019-20 में 13.6 ट्रिलियन रुपए, वर्ष 2020-21 में 19.5 ट्रिलियन रुपए, वर्ष 2021-22 में 19 ट्रिलियन रुपए, वर्ष 2022-23 में 13.8 ट्रिलियन रुपए, वर्ष 2023-24 में 12.8 ट्रिलियन रुपए और आखिर में वर्ष 2024-25 में सरकार 11.1 ट्रिलियन रुपए सरकार इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर खर्च करेगी। कुल पैसे का 39-39 प्रतिशत हिस्सा राज्य और केंद्र सरकार देंगी, जबकि बाकी 22 प्रतिशत निवेश निजी सेक्टर से आयेगा। खर्च किए जाने वाले कुल पैसे का भारी-भरकम लगभग 24 प्रतिशत हिस्सा केवल एनर्जी सेक्टर पर खर्च किया जाएगा। भारत में एनर्जी सेक्टर में निवेश बहुत ज़रूरी है क्योंकि आने वाले समय में भारत की ऊर्जा खपत में बढोतरी होना तय है।

इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2035 तक कुल वैश्विक ऊर्जा खपत में भारत की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी। भारत सरकार की कोशिश है कि आने वाले समय में नवीनकरणीय ऊर्जा को तरजीह दी जाये। इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने सबसे ज़्यादा थर्मल एनर्जी में निवेश किया, लेकिन आने वाले वर्षों में नवीनकरणीय ऊर्जा में सबसे ज़्यादा निवेश देखने को मिलेगा।

ऊर्जा क्षेत्र के बाद भारत सरकार ने सबसे ज़्यादा ध्यान सड़क और रेलवे नेटवर्क को विकसित करने पर दिया है। सरकार की योजना के अनुसार आने वाले पाँच वर्षों में करीब 20 लाख करोड़ रुपये सड़क और 14 लाख करोड़ रूपये रेल परियोजनाओं पर खर्च किए जाएंगे। इससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी जिससे देश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

इसके अलावा शहरी इलाकों में इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर 16 ट्रिलियन रुपए खर्च किए जाएंगे। शहरों में निवेश करने के मुद्दे पर सभी सरकारों का रुख निराशाजनक ही रहा है। सभी सरकारों ने गरीबों की भलाई के नाम पर सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश करने पर ज़ोर दिया, लेकिन यह भी सच्चाई है कि शहरों का देश की आर्थिक तरक्की में योगदान ज़्यादा होता है और लोग भी आर्थिक उन्नति के लिए शहरों का ही रुख करते हैं। ऐसे में शहरों के इनफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना और ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।

इसके अलावा सरकार ने कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के इनफ्रास्ट्रक्चर लिए 8 ट्रिलियन रुपए खर्च करना का ऐलान किया है। इससे कृषि क्षेत्र में रोजगार पाने वाले किसानों की आय दोगुना करने में आसानी होगी। आने वाले पाँच सालों में जिस तरह मोदी सरकार ने इनफ्रास्ट्रक्चर पर पैसे खर्च करने का निर्णय लिया है और ऊर्जा और कनेक्टिविटी को खास महत्व दिया गया है, वह दिखाता है कि सरकार लंबे समय के लिए आर्थिक सुधारों पर ज़्यादा ध्यान केन्द्रित कर रही है, जो कि प्रशंसनीय है।

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