आज देश अपना 71 गणतंत्र दिवस माना रहा है। अगर आप पीछे मुड़ कर 70 वें गणतंत्र दिवस की ओर देखें तो देश की दशा और दिशा दोनों में जमीन आसमान का अंतर दिखाई देगा। आज का भारत पिछले भारत से एकदम भिन्न है। एक ओर जहां भारतवर्ष का मुकुट माना जाने वाला जम्मू-कश्मीर 370 के बंधन से स्वतंत्र होकर पूरी तरह चमक रहा है तो वहीं, देश का सबसे लंबा चलने वाला अयोध्या विवाद से जुड़ा मुकदमा भी समाप्त हो गया है और हिंदुओं को उनकी रामजन्म भूमि मिल चुकी है। पिछले गणतंत्र दिवस के बाद से इस गणतंत्र दिवस तक इसी तरह के कई अनेक और मजबूत फैसले लिए गए हैं। आइए एक नजर डालते हैं बदले हुए भारत के स्वरूप पर।
बालाकोट एयर स्ट्राइक
पिछले गणतंत्र दिवस के बाद जो सबसे पहला बड़ा बदलाव आया था वह था भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकी हमले का एयर स्ट्राइक से जवाब देना। 14 फरवरी को पुलवामा में CRPF के कारवां पर हुए आतंकी हमले ने देश को गहरा झटका दिया था। पुलवामा हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी जो कि पाकिस्तान से ऑपरेट होता है। देश में चारों ओर से पाकिस्तान के इस कुकृत्य का करारा जवाब देने की मांग उठने लगी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने पाक को सबक सीखने के लिए एक कड़ा फैसला लिया। इसके बाद 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायु सेना ने एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान के खैबर पख्तून इलाके के बालाकोट में स्थित आतंकी कैंप को नष्ट कर दिया।
इस हमले के 2 मकसद थे। पहला भारत के खिलाफ तैयार किए जा रहे आतंकी ठिकानों को उड़ाना और दूसरा विश्व को यह संकेत देना कि अब भारत अपने ऊपर होने वाले हमलों पर चुप नहीं बैठेगा।
पिछले गणतंत्र दिवस से इस गणतंत्र दिवस तक में सेना में कई बदलाव हुए। एक तरफ जहां भारत को फ्रांस में राफेल मिला तो वहीं तीनों सेनाओं के बेहतर समन्वय के लिए CDS की नियुक्ति हुई।
लोकसभा चुनाव 2019
पिछले गणतंत्र दिवस के समय लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी थी क्योंकि 2019 में भारत गणतंत्र अपना सबसे बड़ा पर्व मनाने जा रहा था। एक तरफ जहां मोदी सरकार दोबारा चुनाव जीतने के मकसद से चुनाव में उतरी तो वहीं विरोधी अपने मौके तलाशते नजर आए। जब चुनाव हुए तब दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। मोदी सरकार ने 2014 के अपने 282 सीटों के प्रदर्शन को सुधारते हुए 303 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की। इस प्रचंड बहुमत के बाद एक बात स्पष्ट हो गयी की राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी के जैसा कोई नेता नहीं है।
ट्रिपल तलाक
पिछले गणतंत्र दिवस से इस गणतंत्र दिवस के बीच जो सबसे बड़े बदलावों में से एक गिना जाएगा वह है ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाना। मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को प्रताड़ित होने से बचाने के लिए इस कानून को पारित किया था और इसे राष्ट्रपति ने 1 अगस्त को अपनी स्वीकृति दी।
यह कानून न केवल तत्काल ट्रिपल तालाक की प्रथा पर प्रतिबंध लगाता है, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को अपनी पत्नियों को तत्काल ट्रिपल तालाक देने के लिए 3 साल तक के कारावास की सजा का भी प्रावधान है।
2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने भी तालाक-ए-बिद्दत यानि तत्काल ट्रिपल तालाक को असंवैधानिक ठहराया था। हालांकि, इस ऐतिहासिक कानून के कारण यह सुनिश्चित हो गया कि मुस्लिम महिलाओं को अब इस प्रथा का खामियाजा नहीं उठाना पड़ेगा।
अनुच्छेद 370 का हटना
पिछले एक वर्ष का सबसे बड़ा बदलाव अगर देखा जाए तो केंद्र सरकार का अनुच्छेद 370 को हटाना था। 66 वर्ष पहले डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि इस देश में दो विधान दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे। उनके इस सपने को पूरा करने में 66 वर्षों का समय लग गया और आखिरकार कश्मीर से अनुच्छेद 370 के दंश को हटाया गया। 5 अगस्त 2019 को गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी घोषणा करते हुए देश को एक सूत्र में बांध दिया जिससे एक देश, एक विधान, एक प्रधान, और एक निशान का सपना पूरा हुआ।
हालाँकि, भारत ने न केवल अनुच्छेद 370 के खंड एक को छोड़कर अन्य दो खंड को हटाया बल्कि, जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों यानि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित करके इस राज्य का पुनर्गठन किया।
राम मंदिर फैसला
पिछले वर्ष 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए 1885 से चले आ रहे राम मंदिर मामले पर फैसला सुनाते हुए विवादित भूमि को हिंदुओं को लौटाने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के लिए भी अयोध्या में विवादित भूमि को छोड़ कर कहीं भी 5 एकड़ की भूमि देने का निर्देश दिया।
इस फैसले ने राम भक्तों के एक लंबे इंतजार को समाप्त किया। 491 साल पुराना अयोध्या-राम जन्मभूमि विवाद पिछले 134 सालों से अदालतों में चल रहा था। इस मामले में पहला सिविल मुकदमा 1885 में शुरू हुआ। इसे महंत रघुबीर दास ने जनवरी 1885 में उप-न्यायालय में दायर किया था। फैसला आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण का आश्वासन दिया था।
नागरिकता संशोधन कानून 2019
2019 के लोकसभा चुनावों में जीत के बाद मोदी सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए कानून में संशोधन किया। इस कानून का मकसद स्वतन्त्रता के समय भारत के प्रधानमंत्री और महात्मा गांधी द्वारा इन देशों में स्थित अल्पसंख्यकों से किए गए वादे को पूरा करना था। ये समुदाय भारत के तीन पड़ोसी इस्लामिक राज्यों में अल्पसंख्यक हैं। उनमें से कई विभाजन के दौरान भारत वापस आने में सक्षम नहीं थे और बाद में इन इस्लामिक देशों में लगातार सताए गए थे। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां ये सभी स्वतन्त्रता से रह सकते हैं। अब भारत ने इस कानून के साथ उन्हें गले लगा लिया है।
पिछले गणतंत्र दिवस से अब तक ये बड़े बदलाव थे जिससे देश की दशा और दिशा दोनों में जमीन आसमान का अंतर आ चुका है। BJP ने जनता से किए गए अपने अधिकतर वादों को पूरे किये हैं। वहीं मोदी सरकार ने देश को आंतरिक रूप से सुरक्षित तो किया ही है इसके साथ अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का सिर ऊंचा हुआ है। पिछले एक वर्ष में भारत अधिक सुरक्षित और स्थिर हुआ है। अब इस गणतंत्र दिवस से अगले गणतंत्र दिवस तक क्या बदलाव आते हैं यह देखने वाली बात होगी। तब तक इंतज़ार करते हैं। एक बार फिर से आप सभी को 71वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।