जब से मोदी सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की घोषणा की है, हमारा फेक न्यूज़ गिरोह ज़रूरत से ज़्यादा ही सक्रिय हो चुका है। उद्देश्य वही है – असंख्य भ्रामक खबरें फैलाओ और देश में अराजकता को बढ़ावा दो। पर गृह मंत्रालय भी इनके प्रपंचों से अनभिज्ञ नहीं है, तभी तो मंत्रालय ने द हिन्दू नामक एक चर्चित अखबार को एनपीआर पर ऐसे ही फेक न्यूज़ फैलाने के लिए आड़े हाथों लिया।
दरअसल, एनपीआर पर प्रकाश डालते हुए द हिन्दू ने कहा था, “ एनपीआर में आने वाले परिवारों को गणना करने वाले के बारे में बहुत पहले ही सूचित किया जाएगा, ताकि सत्यापन हेतु सभी दस्तावेज़ उपलब्ध हों। यदि परिवार में 15 सदस्य हैं, तो गणना करने वाले उन्हे आवश्यक सूचना देंगे, ताकि उनके दौरे से पहले सभी के पास आवश्यक दस्तावेज़ रहे और गणना करने वालों को सभी दस्तावेज़ सही समय पर मिलें।
परंतु गृह मंत्रालय को द हिन्दू का प्रोपगैंडा रास नहीं आया और उनके प्रवक्ता ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिये उनकी पोल खोल दी। इस थ्रेड के अनुसार, रिपोर्ट में सरकारी अफसरों द्वारा यह कहना की एनपीआर के लिए दस्तावेज़ों की आवश्यकता पड़ेगी, सरासर झूठ है।
Following story has appeared in @the_hindu.
The line taken by the story is incorrect, without taking into account the factual position for conducting NPR.
Following is an explanatory thread on the same:https://t.co/jYh5VTReid
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— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) January 1, 2020
इस ट्विटर थ्रेड के जरिये गृह मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी व्यक्ति को एनपीआर के लिए दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। जैसी भी जानकारी दी जाएगी, उसे स्वीकार किया जाएगा और तद्पश्चात रिकॉर्ड भी किया जाएगा। इस थ्रेड ने मीडिया को ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बिना तथ्यों के बात न करने का सुझाव भी दिया है, ताकि जनता को किसी प्रकार का भ्रम न हो।
अब यहाँ ये बताना अत्यंत आवश्यक है कि द हिन्दू प्रिंट मीडिया में वही कर रहा है, जिसके लिए टीवी मीडिया में एनडीटीवी बदनाम है। द हिन्दू को पिछले कुछ वर्षों में कई बार फेक न्यूज़ फैलाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है, फिर चाहे वो भारतीय रेलवे के बारे में हो, या फिर राफेल डील के बारे में। द हिन्दू प्रकाशन ग्रुप के अध्यक्ष एन राम ने पीएमओ और रक्षा मंत्रालय के बारे में राफेल डील से जुड़ी भ्रामक खबरें फैलाने का काम किया था। अगर उनकी माने, तो राफेल डील में कहीं न कहीं घोटाला तो हुआ था, जिसके आधार पर राहुल गांधी जैसे नेताओं ने पीएम मोदी और तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के विरुद्ध बेहद अपमानजनक अभियान भी चलाये थे। ऐसे में एनपीआर पर उनकी भ्रामक खबरों से कोई नहीं हैरान होगा।
आजकल द हिन्दू जनता को मोदी सरकार के विरुद्ध भड़काने के लिए जानबूझकर तथ्यों के साथ खिलवाड़ कर है। ये एजेंडा आधारित पत्रकारिता की निकृष्टता की पराकाष्ठा है। जबसे एनपीआर की घोषणा हुई है, मोदी सरकार ने बार बार यह समझाया है कि यह अभियान केवल एनआरसी के लिए आवश्यक जानकारी जुटाने हेतु है, और इसके लिए किसी दस्तावेज़ की कोई आवश्यकता नहीं है। परंतु लुटियंस मीडिया जानबूझकर तिल का ताड़ बनाने पर तुली हुई है, जिससे मोदी सरकार की एक तानाशाही छवि सामने आए। इसीलिए वे ऐसे ऊटपटाँग खबरें प्रकाशित कर रहे हैं, जिसका वास्तविकता से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है।