चीन में फैले कोरोना वायरस से दुनियाभर में भय का माहौल छाया हुआ है। अमेरिका, कनाडा, हाँग-काँग, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों में भी इस खतरनाक वायरस के मरीजों की पुष्टि की जा चुकी है। भारत में भी तकरीबन 450 लोगों को इस वायरस के संक्रमित होने का संदिग्ध पाया गया है और उनकी जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस वायरस का केंद्र चीन का वुहान शहर है जहां पर करीब 250 से 300 भारतीय छात्र रहते हैं। अब डर है कि कहीं इन छात्रों में भी ये संक्रमण ना फैल जाये। अब भारत सरकार ने ये निर्णय लिया है कि इन सभी छात्रों को वुहान से भारत में लाया जाएगा और इसके लिए भारत सरकार ने प्रक्रिया भी शुरु कर दी है।
कल विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा “हमने वुहान प्रांत से भारतीयों को निकालने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। बीजिंग में हमारा दूतावास चीनी अधिकारियों और भारतीय नागरिकों के लगातार संपर्क में हैं। हम आपसे सभी जानकारीयां साझा करते रहेंगे”। मीडिया से बातचीत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह भी बताया है कि अभी तक कोई भी भारतीय इस वायरस से संक्रमित नहीं हुआ है।
⚠️ #CoronaVirusOutbreak Update
We have begun the process to prepare for evacuation of Indian nationals affected by the situation arising out of nCorona-2019 virus outbreak in Hubei Province, China. (1/2)
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) January 28, 2020
Our @EOIBeijing is working out the logistics & is in touch with the Chinese govt. authorities & our nationals on this matter. We will continue to share updates. (2/2)
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) January 28, 2020
बता दें कि भारत में कई राज्यों में कोरोना वायरस से निपटने के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल के पानीटंकी में और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के झूलाघाट तथा जौलजिबी में नेपाल से सटे क्षेत्रों में स्वास्थ्य टीमें तैनात की गई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने नेपाल से सटे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के मुख्य सचिवों एवं पुलिस प्रमुखों के साथ वीडियो काफ्रेंस के माध्यम से बैठक में कोरोना वायरस के रोकथाम और उपचार के लिए की गयी इन राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की। इसके अलावा प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) ने अन्य राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदशों के साथ ऐसी ही बैठक की है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने केंद्र से अपील की है कि वह वुहान में पढ़ रहे उनके राज्यों के छात्रों को वापस लाने के लिए कदम उठाएं।
वहीं भारत में चीन से आने वाली फ्लाइट्स के यात्रियों की स्क्रीनिंग के लिए 20 एयरपोर्ट्स पर स्क्रीनिंग उपकरण लगाए गए हैं। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सोमवार तक चीन से 155 उड़ानों में भारत आए कुल 33,552 यात्रियों की जांच की गई है। इसके अलावा सोमवार को 18 उड़ानों से आए 4,359 यात्रियों की भी जांच की गयी थी।
भारत की ओर से यह तत्परता इस बात का प्रमाण है कि भारत सरकार अब कहीं भी और किसी भी मुसीबत में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए सदैव सबसे आगे रहती है। चाहे वर्ष 2014 में ISIS के चंगुल में फंसी भारतीय नर्सों को सुरक्षित भारत में लेकर आना हो, या फिर वर्ष 2015 में ऑपरेशन राहत के जरिये यमन से न सिर्फ अपने 4640 देशवासियों को ,बल्कि अन्य देशों के लगभग 1000 लोगों को भी बचाने में अहम भूमिका निभाना है , भारत सरकार ने अमेरिका जैसे देशों को पछाड़कर अपने नागरिकों को बचाने में सबसे पहले कदम उठाया है। अब कोरोना वायरस के मामले में भी हमें ऐसा ही देखने को मिल रहा है। इसके लिए मोदी सरकार की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम होगी।