CAA और NRC पर JDU के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और भाजपा के बीच पिछले एक महीने से चल रही तनातनी के बाद आखिरकार किशोर की JDU से छुट्टी कर दी गयी है। इससे पहले प्रशांत किशोर ने एक ट्वीट कर नीतीश कुमार पर झूठा होने का आरोप लगाया था जिसके बाद JDU के प्रवक्ता अजय आलोक ने उन्हें ‘कोरोना वायरस’ घोषित कर दिया था। अब पुष्टि हो गयी है कि उन्हें पार्टी से ही निकाल दिया गया है। प्रशांत किशोर के साथ-साथ पिछले दिनों नीतीश कुमार के खिलाफ बोलने वाले JDU के एक और नेता पवन वर्मा को भी पार्टी से निकाल दिया गया है। अब प्रशांत किशोर ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने नीतीश कुमार के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की आशा जताई है।
JD(U) leaders Prashant Kishor and Pavan Varma have been expelled from the party for indulging in 'anti party activities'. pic.twitter.com/9U37LkrjZC
— ANI (@ANI) January 29, 2020
Thank you @NitishKumar. My best wishes to you to retain the chair of Chief Minister of Bihar. God bless you.🙏🏼
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) January 29, 2020
इससे पहले कल नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि जो भी पार्टी की विचारधारा से खुश नहीं हैं, वे पार्टी छोड़कर जा सकते हैं। उन्होंने कहा था “किसी ने चिट्ठी लिखी, उस पर हमने जवाब दे दिया। कोई ट्वीट कर रहा है, उन्हें ट्वीट करने दीजिए। हमें उससे क्या मतलब है? जब तक जिसकी इच्छा रहेगी, वह पार्टी में रहेगा। जहां जाना चाहेगा, जाएगा। हमारी पार्टी अलग किस्म की है। हमारे यहां उसका क्या मतलब है। हम लोग सब साधारण हैं। कोई बुद्धिजीवियों और बड़े लोगों वाली पार्टी नहीं है।”
#WATCH Bihar CM on Prashant Kishor:Someone wrote a letter I replied to it,someone is tweeting,let him tweet. What do I've to do with it? One can stay in the party (JD-U) till he wants,he can go if he wants…Do you know how did he join the party?Amit Shah asked me to induct him. pic.twitter.com/wlN4Q2o9uo
— ANI (@ANI) January 28, 2020
हालांकि, देर शाम प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर इसका जवाब दिया और बिहार सीएम को झूठा बताया। उन्होंने लिखा, “नीतीश जी, आपने क्या झूठ बोला है कि आप मुझे किस तरह और क्यों JDU में लाए!! मुझको अपने जैसा पेश करने की यह आपकी बुरी कोशिश है। और, अगर आप सच बोल रहे हैं, तो भी कौन आप पर विश्वास करेगा”।
.@NitishKumar what a fall for you to lie about how and why you made me join JDU!! Poor attempt on your part to try and make my colour same as yours!
And if you are telling the truth who would believe that you still have courage not to listen to someone recommended by @AmitShah?
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) January 28, 2020
किशोर के इस ट्वीट के बाद आज सुबह ANI से बातचीत में JDU के प्रवक्ता अजय आलोक ने नाम लेकर प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर जाने को कहा। उन्होंने कहा “प्रशांत किशोर भरोसे के लायक नहीं है। वह नीतीश जी और मोदी जी का विश्वास नहीं जीत पाए। वह ‘आप’ के लिए काम करता है, राहुल गांधी से बात करता है, ममता दीदी के साथ बैठता है। उसका कौन भरोसा करेगा? हम खुश हैं कि कोरोना वायरस हमें छोड़कर जा रहा है। वो जहां चाहे जा सकता है”।
अजय आलोक, JDU : प्रशांत किशोर भरोसे के लायक नहीं है। वह नितीश जी और मोदी जी का विश्वास नहीं जीत पाया। वह ‘आप’ के लिए काम करता है, राहुल गांधी से बात करता है, ममता दीदी के साथ बैठता है। उसका कौन भरोसा करेगा? हम खुश हैं कि कोरोनावायरस हमें छोड़कर जा रहा है। वो जहां चाहे जा सकता है। pic.twitter.com/hhnaPpUnQR
— tfipost.in (@tfipost_in) January 29, 2020
प्रशांत किशोर के बागी तेवर पिछले कई दिनों से ही देखने को मिल रहे थे। नीतीश कुमार के स्वभाव को जानने वाले यह बात भली भांति जानते हैं कि नीतीश कुमार ऐसे नेता हैं जो पार्टी में बगावत बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं करते हैं या यूं कहें कि उनकी पार्टी को ही सुप्रीमो आधारित पार्टी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ कर्ता भी नीतीश है धर्ता भी नीतीश ही हैं। इस पार्टी के मुखिया भी नीतीश है और संयोजक भी नीतीश ही है। कहने का मतलब है यहां सर्वेसर्वा नीतीश बाबू ही है। अब जब कोई नीतीश बाबू का विरोध करेगा तो वह भला पार्टी में कैसे टिक सकता है, चाहे वो पार्टी के शीर्ष नेताओं में ही क्यों न आता हो, पार्टी के खिलाफ जाने का परिणाम भुगतना ही पड़ता है। शरद यादव और जीतन राम मांझी जैसे उदाहरण हम सबके सामने तो हैं ही। नीतीश कुमार की आदत है कि वह अपने तरीके से पार्टी को चलाते है और यह उनके घमंड से स्पष्ट दिखाई भी देता है। ऐसे में प्रशांत किशोर ने सोशल मीडिया में अब खुलकर अपने तेवर दिखाकर अपने लिए नयी मुश्किल खड़ी करने का काम किया। नीतीश कुमार भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले हैं, और उन्हें पता है कि प्रशांत किशोर के बागी तेवर के साथ भाजपा को उनका समर्थन करने में आनाकानी हो सकती है। इसीलिए अब उन्होंने प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर कर दिया गया है।
वैसे नीतीश कुमार ने देर ही सही एक सही निर्णय लिया क्योंकि वास्तव में प्रशांत किशोर कोई रणनीतिकार नहीं बल्कि एक सामान्य व्यक्ति है जो बस जीते हुए घोड़ों पर दांव लगाता है। वह एक ओवररेटेड रणनीतिकार हैं जो सिर्फ किसी भी पार्टी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए ही उनके लिए रणनीति बनाते हैं। उदाहरण के लिए, 2014 के चुनावों के दौरान बीजेपी के अभियान के साथ उनका जुड़ाव था, लेकिन सच कहें तो वह सिर्फ मोदी लहर थी जिससे बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी। प्रत्यक्ष तौर पर कोई भी यह कह सकता था कि उस समय मोदी के विजयी होने वाले थे, कारण थे कांग्रेस द्वारा किए गए भ्रष्टाचार। इसी तरह से YSRCP के साथ भी साथ उनका जुड़ाव ऐसा ही था। जिस तरह का राजनीतिक माहौल आंध्र प्रदेश में थे उसे देखते हुए YSRCP आंध्र प्रदेश में पहली पसंद थे। हालांकि, जब भी वे भाजपा के प्रतिद्वंद्वी के रूप में उतरे हैं, तब तब प्रशांत किशोर की रणनीति बार-बार विफल रही है। नीतीश कुमार भी प्रशांत किशोर का प्रयोग चुनाव जीतने के लिए करते थे। अब ऐसा लगता है कि उन्हें शायद समझ आ गया है कि प्रशांत किशोर बदले की राजनीति से घिर चुके हैं और वो पार्टी के लिए ही मुश्किलें खड़ी करने का काम कर रहे थे। बस फिर क्या था नीतीश कुमार को आँख दिखाने वाले प्रशांत किशोर को नीतीश ने सही जगह दिखा दी ।