महाराष्ट्र में कहने को बेशक शिवसेना, कांग्रेस और NCP की गठबंधन सरकार हो, लेकिन शरद पवार के नेतृत्व में सत्ता का असल स्वाद तो NCP ही चखती नज़र आ रही है। NCP ने बड़ी ही चालाकी से ना सिर्फ शिवसेना पर दबाव बनाया, बल्कि कांग्रेस को भी बैकफुट पर धकेलने के प्रयासों में भी वह जुटी रही। महाराष्ट्र सरकार में अभी जो पोर्टफोलियो का बंटवारा हुआ है, उससे स्पष्ट है कि NCP ने कांग्रेस और शिवसेना पर दबाव बनाने के प्लान को अपनाया हुआ था। मंत्री पद के बँटवारे को देखकर आप समझ सकते हैं कि NCP को कितना बड़ा फायदा हुआ है।
NCP को मिले ये विभाग:
अनिल देशमुख- गृह विभाग
अजित पवार- वित्त व नियोजन
जयंत पाटिल- सिंचाई विभाग
छगन भुजबल- खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति
दिलीप वल्से पाटिल- आबकारी और श्रम मंत्रालय
जीतेंद आव्हाद- आवास
राजेश टोपे- स्वास्थ्य
राजेंद्र शिंगणे- खाद्य एवं औषधि प्रशासन
धनंजय मुंडे- सामाजिक न्याय
शिवसेना को मिले ये मंत्रालय:
आदित्य ठाकरे- पर्यावरण, पर्यटन
एकनाथ शिंदे- नगरविकास
सुभाष देसाई- उद्योग
संजय राठोड़- वन
दादा भुसे- कृषि
अनिल परब- परिवहन, संसदीय कार्य
संदीपान भुमरे- रोजगार हमी (ईजीएस)
शंकरराव गडाख- जल संरक्षण
उदय सामंत- उच्च व तकनीकी शिक्षा
गुलाब राव पाटिल- जलापूर्ति
कांग्रेस के हिस्से आए ये विभाग:
नितिन राउत- ऊर्जा
बालासाहेब थोराट- राजस्व
वर्षा गायकवाड़- स्कूली शिक्षा
यशोमति ठाकुर- महिला और बाल कल्याण
केसी पाडवी – आदिवासी विकास
सुनील केदार- डेयरी विकास व पशुसंवर्धन
विजय वड्डेटीवार- ओबीसी कल्याण
असलम शेख- कपड़ा, बंदरगाह
अमित देशमुख- स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कृति
पोर्टफोलियो बँटवारे से पहले NCP का एक ही मकसद दिखाई दे रहा था, वह था शिवसेना और कांग्रेस पर दबाव बनाकर सरकार में सबसे अहम मंत्रालयों पर कब्जा ज़माना। यह देखने को मिला था कि समय-समय पर NCP ना तो शिवसेना के खिलाफ जाने से हिचकती थी, और ना ही कभी उसे कांग्रेस के खिलाफ बोलने में संकोच होता था। उदाहरण के तौर पर शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को दरकिनार करते हुए खुलकर कहा था कि उनकी सरकार महाराष्ट्र में सीएए और एनआरसी को लागू नहीं होने देगी।
शरद पवार ने कहा था, ”एनआरसी और सीएए के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, ये देश को अन्य गंभीर मुद्दों से भटकाने की कोशिश है।” उन्होंने कहा था कि ”ये किसी एक धर्म को टार्गेट करने की कोशिश है। इसके साथ ही पवार ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे का विरोध किया और उनके बयान को खारिज कर दिया था। बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ही फैसला लेगी कि राज्य में इसे लागू करना है या नहीं। इसी तरह NCP ने शिवसेना से ऊपर उठकर महाराष्ट्र में बालासाहेब ठाकरे की एक मूर्ति के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया था।
इस तरह NCP अभी तक शिवसेना पर दबाव बनाने में सफल होती आई थी। अब अगर बात करें कांग्रेस की, तो मंत्रिपद के बँटवारे से ठीक पहले NCP के नेता नवाब मलिक ने वीर सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरकर उसे बैकफुट पर धकेलने की कोशिश की थी। बता दें कि कुछ दिनों पहले कांग्रेस सेवादल पत्रिका ने वीर सावरकर को समलैंगिक बताते हुए बेहद आपत्तिजनक लेख लिखा था। उसपर नवाब मलिक ने कहा “कांग्रेस सेवादल ने अलग अलग नेताओं को लेकर पुस्तिका निकाली है, जिसमें वीर सावरकर पर भी पुस्तक निकाली गई है। जिस तरह से आपत्तिजनक लेख लिखा गया है मुझे लगता है, यह उचित नहीं है। वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, वैचारिक लड़ाई हो सकती है, लेकिन व्यक्तिगत लांछन लगा देने और वो भी ऐसे समय में जब व्यक्ति जीवित नहीं है, ये ठीक नहीं है। हम विनती करते हैं कांग्रेस से कि वो पुस्तक को वापस ले और जिस लेखक ने उसे लिखा है उससे वो बात करे। इस तरह की चीज़ें आगे न हों वो यह सुनिश्चित करें”।
गौरतलब है कि इससे ठीक एक दिन पहले NCP नेता ने कहा था कि मंत्री पद के बँटवारे में कांग्रेस की वजह से देरी हो रही है। NCP के नेता ने कहा था कि कांग्रेस ग्रामीण विकास मंत्रालय, कृषि और परिवहन मंत्रालय जैसे मंत्रालयों के पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई है और कांग्रेस की ओर से अपरिपक्व रवैया दिखाया जा रहा है। इससे ठीक एक दिन बाद NCP द्वारा कांग्रेस की आलोचना किए जाने से यह संकेत मिले कि पोर्टफोलियो बँटवारे के मुद्दे पर कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने के लिए ही NCP ने ऐसा किया है।
और इसका फायदा NCP को मिला भी है, जिस आप पोर्टफोलियो देखकर समझ भी सकते हैं। पार्टी को वित्त, गृह, सिंचाई और आवासीय मंत्रालय और स्वास्थ्य जैसे अहम मंत्रालय मिले हैं, जिसके बाद NCP के हाथ में ही सरकार की सारी शक्ति आ चुकी है। यह सब NCP की शानदार रणनीति के कारण ही संभव हो पाया है।