USSR यानि सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्टसिन ने वर्ष 1999 में व्लादिमीर पुतिन को देश के राष्ट्रपति के तौर पर नियुक्त किया था। तभी से वे देश के सर्वोच्च पद पर बैठे हुए हैं और देश की कमान अपने हाथों में संभाले हुए हैं। पिछले दो दशकों में वे अपने आप को सर्वोच्च पद पर बनाए रखने के लिए रूस के संविधान में भी कई बदलाव कर चुके हैं।
इसी कड़ी में वे अब दोबारा संविधान में बदलाव करने जा रहे हैं। दरअसल, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संविधान में बड़े सुधारों का प्रस्ताव रखा है। उनके इस प्रस्ताव के बाद रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव और उनकी पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है। मेदवेदेव ने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रस्ताव से सत्ता संतुलन में अहम बदलाव आएंगे। इससे सिर्फ संविधान के अनुच्छेद ही नहीं बदलेंगे, बल्कि पूरा संविधान बदल जाएगा। इससे कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका सभी की शक्तियों में बदलाव होगा।
पुतिन जब से सत्ता में आए हैं, तभी से वे कई बार 1993 में बनाए गए संविधान में बदलाव ला चुके हैं। इसी संविधान के तहत वर्ष 1999 में बोरिस येल्टसिन ने पुतिन को राष्ट्रपति पद सौंपा था। उस वक्त संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति सिर्फ दो बार लगातार 4-4 वर्ष के लिए ही राष्ट्रपति बन सकता था, ठीक वैसे जैसे अमेरिका में होता है।
वर्ष 2000 में पुतिन ने राष्ट्रपति के चुनावों में जीत हासिल की थी, इसके बाद वर्ष 2004 में भी उन्होंने अपनी जीत को दोहराया। तब रूसी संविधान के मुताबिक वर्ष 2008 में उनके पास चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं था। ऐसे में उन्होंने अपने proxy candidate मेदवेदेव को मैदान में उतारा और उनको समर्थन दिया। चुनावों में उनकी जीत हुई और उसके बाद पुतिन ने उनके जरिये रिमोट कंट्रोल सरकार चलाई। इसी दौरान संविधान में बदलाव किया गया और राष्ट्रपति के कार्यकाल को चार साल से बढ़ाकर छः साल तक कर दिया गया। इसके बाद वर्ष 2012 में चुनाव होने थे, जिसके लिए पुतिन ने चार साल से ही तैयारी कर रखी थी। उन चुनावों में फिर पुतिन की जीत हुई, और वो भी छः साल के लिए।
इसी तरह वर्ष 2018 में राष्ट्रपति के चुनावों में फिर उनकी जीत हुई, और अब वे वर्ष 2024 तक देश की सत्ता संभालेंगे। संविधान के मुताबिक वे वर्ष 2024 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने योग्य नहीं होंगे। ऐसे में जिस तरह वर्ष 2008 में उन्होंने वर्ष 2012 की तैयारी करना शुरू कर दिया था, वैसे ही लगता है उन्होंने अब से ही वर्ष 2024 की तैयारी करना शुरू कर दिया है। वे अब संविधान में ऐसे बदलाव लाना चाहते हैं ताकि उनके राष्ट्रपति पद से हटने के बाद भी सरकार उन्हीं के इशारे पर चले।
पुतिन के विपक्षी नेताओं ने यह आरोप लगाया है कि पुतिन राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद भी सत्ता पर काबिज हुए रहना चाहते हैं और वे ज़िंदगी भर रूस के सुप्रीम नेता बने रहना चाहते हैं। पुतिन यह भली भांति जानते हैं कि अगर वे संविधान में दो बार से ज़्यादा बार चुनाव नहीं लड़ने से संबन्धित प्रावधान को हटाते हैं, तो उनके खिलाफ देशभर में विद्रोह हो सकता है। इसलिए उन्होंने संविधान में इस तरह बदलाव करने का फैसला लिया है ताकि सत्ता पर उनका अप्रत्यक्ष नियंत्रण हो सके। मई 2024 में जब राष्ट्रपति पुतिन का कार्यकाल खत्म होगा तब वे 71 वर्ष के हो चुके होंगे और उनका देश पर 25 साल तक राज हो चुका होगा। हालांकि, अब भी वे अपने पास ही सारी शक्ति रखना चाहते हैं। शायद वे अपनी मौत तक सभी शक्तियों को अपने हाथ में रखना चाहते हैं।