शीत युद्ध का नाम तो सुना ही होगा अपने। आम भाषा में शीत युद्ध उस युद्ध को कहते हैं जब युद्ध हथियारों से नहीं बयानों से किया जाता है। आज कल राजस्थान में भी यही देखने को मिल रहा है। सरकार तो कांग्रेस की है लेकिन इसी पार्टी के मुखिया और दूसरे नंबर के नेता एक दूसरे पर बयानों के बाण दाग रहे हैं। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि “किसी के घर में मौत हो जाती है तो उसके यहां जाने के लिए परंपरा नहीं देखी जाती। एक अच्छी परंपरा तो यह है कि उसके घर जाकर सांत्वना देनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि, “अगर ऐसी कोई परंपरा है कि छोटे बच्चे की मौत हो जाती है, उसके यहां तेरहवीं भी नहीं होती और किसी को उसके मां- बाप के आंसू पोंछने नहीं जाना चाहिए तो हमें उस परंपरा को तोड़ना चाहिए। हमें जाकर अपने छोटे बच्चे को खोने वाले मां- बाप को सांत्वना देना चाहिए।”
पायलट ने कहा कि, “जब लोग घुंघट जैसी परंपरा को खत्म करने की बात करते हैं तो हमें छोटे बच्चों की मौत पर उनके घर नहीं जाने की परंपरा भी खत्म करनी चाहिए।” सचिन पायलट मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ पतंग उड़ाने पहुंचे थे।
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर निशाना साधते हुए कहा था कि “लोग कोटा के अस्पताल में मरने वाले छोटे बच्चों के घर जाकर राजनीति कर रहे हैं। उन्हें पता नहीं है कि छोटे बच्चों की मौत पर घर नहीं जाया जाता है।”
इसी पर डिप्टी सीएम ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी होती है कि अपने मतदाताओं का दुख बांटे। छोटे बच्चों के मां- बाप के आंसू पोंछने की जिम्मेदारी भी हम सबकी है। अगर ऐसी कोई परंपरा है तो उसे भी तोड़ना चाहिए। पंचायत चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि हमने समय पर चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है।
Rajasthan Deputy Chief Minister Sachin Pilot on #KotaChildDeaths: I think our response to this could have been more compassionate and sensitive. After being in power for 13 months I think it serves no purpose to blame the previous Govt's misdeeds. Accountability should be fixed. pic.twitter.com/kpD9uxMfUy
— ANI (@ANI) January 4, 2020
इससे पहले सचिन पायलट ने कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत पर अपनी ही सरकार पर निशाना साधा था और स्वीकार किया था कि कोई ना कोई खामी तो रही होगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पुरानी सरकार की तुलना में कम बच्चों की मौत के तर्क को अस्वीकार करते हुए उन्होंने कहा था कि “हमें सरकार में आए 13 महीने हो चुके हैं। पुरानी सरकारों को दोष देने से काम नहीं चलेगा। सरकार का रुख संतोषजनक नहीं है”।
सचिन पायलट ने कहा था कि “13 महीने सरकार में रहने के बाद भी अब अव्यवस्थाओं या कमियों के लिए पूर्व की सरकार पर निशाना साधने से कोई हल नहीं निकलेगा। क्योंकि, अगर उन्होंने अपना काम ठीक तरह से किया होता, तो जनता उन्हें सत्ता से बाहर नहीं करती। हमें जनता ने चुना है, हमें जिम्मेदारी का सामना करना पड़ेगा, जनता की हमसे अपेक्षाएं हैं”।
सचिन पायलट के इस बेहद संतुलित बयान और अपनी सरकार पर सवाल खड़े करने के कारण गहलोत और उनके बीच की राजनीतिक लड़ाई और गहरा सकती है। इससे पहले भी गहलोत और पायलट के बीच कई टकराव हो चुके है। वर्ष 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस को सोनिया के ओल्ड गार्ड्स में से एक अशोक गहलोत पर अधिक भरोसा करना पड़ा और युवा नेता सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद से दरकिनार कर उपमुख्यमंत्री बनाया गया। सचिन पायलट अपना गुडविल बना कर राज्य की सीएम की कुर्सी पर पैनी नजर गड़ाए हुए हैं, जो उन्हें विधानसभा चुनावों में जीत के बाद नहीं मिली थी। पायलट यह जानते है कि अशोक गहलोत अभी दलदल में फंसे हुए हैं, और इसलिए वे गहलोत पर अधिक दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं।