जैसे-जैसे भारत विश्व की कूटनीति में और ज़्यादा सक्रिय होता जा रहा है, ठीक वैसे ही संयुक्त राष्ट्र में भी भारत की कूटनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पिछले कुछ समय से यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन बड़ी मजबूती के साथ डंके की चोट पर अपनी बात रख रहे हैं और ज़रूरत पड़ने पर अपनी बढ़िया ट्रोलिंग स्किल्स से विरोधियों के छक्के भी छुड़ा रहे हैं। कश्मीर मुद्दे पर जिस तरह उन्होंने भारत के पक्ष को सबके सामने रखा और जिस तरह वे आए दिन पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते रहते हैं, वह भारत के सभी राजनयिकों के लिए किसी आइकन से कम नहीं है। वे खुद ही नहीं, बल्कि वे अपने साथ काम करने वाले अन्य भारतीय राजनयिकों को भी कूटनीति के खेल में माहिर करने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं, जिसके कारण UN में भारतीय मिशन की आवाज़ पहले के मुक़ाबले ज्यादा बुलंद हुई है।
इसका ही एक उदाहरण हमें तब देखने को मिला जब कश्मीर पर झूठ फैला रहे पाकिस्तान को कड़ा जवाब देते हुए भारतीय कमीशन ने कहा कि पाकिस्तान के लिए हेट स्पीच वैसे ही है, जैसे मछ्ली के लिए पानी। यूएन में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि के. नागराज नायडू ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि यहां एक प्रतिनिधि है, जो जब भी बोलता है जहर ही उगलता है।
उन्होंने कहा “पाकिस्तान अपने लड़ाकू और भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने के बजाय अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मनगढ़ंत कहानियां सुनाकर सच्चाई से दूर रखने की कोशिश करता है। यह बेहद आश्चर्यजनक है कि जिस देश ने अल्पसंख्यकों को पूरी तरह खत्म कर दिया है, वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की बात कर रहा है। वह हमेशा से अपनी गलतियों को छुपाने के लिए झूठ का सहारा लेता रहा है। लेकिन, पाकिस्तान को अब यह समझ लेना चाहिए कि उसकी झूठी बयानबाजी के झांसे में कोई नहीं आने वाला।”
यह सबसे ताज़ा उदाहरण है कि कैसे सैयद अकबरुद्दीन के नेतृत्व में भारत ज़्यादा मजबूती के साथ UN के मंच पर अपनी बात रख पाने में सक्षम हुआ है। हाल ही में कश्मीर मुद्दे पर जिस तरह उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सभी का दिल जीत लिया था, उसे कोई नहीं भूला है। तब उन्होंने पाकिस्तान के पत्रकार की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया था जिसके कारण उनकी दुनियाभर में तारीफ हुई थी। बता दें कि तब उन्होंने तीन पाकिस्तानी पत्रकारों से अपने सवाल पूछने को कहा था। इसी दौरान एक पत्रकार ने उनसे पूछा था, ‘आप पाकिस्तान के साथ बातचीत कब शुरू करेंगे?’ इसके बाद जो हुआ वह न सिर्फ चौंकाने वाला था बल्कि उससे माहौल भी हल्का-फुल्का हो गया था। सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था, ‘चलिये मैं आपसे हाथ मिलाकर ही शुरूआत करता हूं।’ इसके बाद वे पोडियम छोड़कर आगे बढ़े और तीनों पाकिस्तानी पत्रकारों से हाथ मिलाया। पोडियम पर वापस जाकर उन्होंने कहा था, ‘मैं आपको बता दूं कि हमने शिमला समझौते के लिए प्रतिबद्ध रहने की बात कहकर पहले ही दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है। अब पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का इंतजार करते हैं”। भारतीय राजनयिक के इस कदम की चौतरफा तारिफ हुई थी।
सैयद अकबरुद्दीन एक बढ़िया राजनयिक के अलावा एक बेहतरीन ट्रोल भी हैं। पिछले दिनों जब चीन ने दोबारा कश्मीर का मुद्दा उठाया था और चीन और पाकिस्तान का एजेंडा पूरी तरह धराशायी हो गया था, तो अकबरुद्दीन ने दोनों देशों को ट्रोल करते हुए एक व्यंगात्मक ट्वीट किया था। उन्होंने तब शतरंज की एक फोटो को शेयर करते हुए राजा को पाकिस्तान और चीन से compare करते हुए लिखा था “ये एक ऐसा राजा है जो अगर कोई भी चाल चलेगा, उसके लिए मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही”।
False Flags faced zugzwang @UN
yesterday🙏🏽Zugzwang – Any move that you make gets you into even more trouble. pic.twitter.com/dxad9A7i2T
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) January 16, 2020
इस वर्ष जब पाकिस्तान के पीएम ने बांग्लादेश की फोटो को शेयर कर इसे उत्तर प्रदेश की बताया था और भारत को बदनाम करने की कोशिश की थी, तो भी अकबरुद्दीन ने ट्वीट कर पाकिस्तान को ट्रोल किया था। उन्होंने लिखा था “बार-बार गलती करने वाला देश” और अपने ट्वीट में वो फोटो यूज़ की थी जिसमें पूर्व पाकिस्तानी स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी फिलिस्तीन की फोटो को दिखाकर कश्मीरियों पर होने वाले कथित जुल्म को बयान कर रही थीं।
Repeat Offenders…#Oldhabitsdiehard pic.twitter.com/wmsmuiMOjf
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) January 3, 2020
ऐसे ही कुछ महीनें पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा था कि उनकी साज़िशों के लिए यहां कोई जगह नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा था, “यहां कोई आपका मैलवेयर नहीं लेने वाला।”
सिर्फ इतना ही नहीं, एक जिम्मेदार राजनयिक की तरह वे समय-समय पर यूएन की आलोचना करने से भी नहीं घबराए हैं। वे जब भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की बात करते हैं, तो वे UN में ढाँचीय बदलाव करने की बात का ज़िक्र करना नहीं भूलते हैं। अकबरुद्दीन ने हाल ही में कहा था ”यह तेज़ी से स्वीकार किया जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज पहचान, वैधता, प्रासंगिकता और प्रदर्शन को लेकर संकट का सामना कर रहा है। आंतकी नेटवर्क का वैश्वीकरण, नई तकनीकों का शस्त्रीकरण और ख़तरनाक कूटनीतिक तरीकों का सहारा लेने वालों का मुक़ाबला करने में असमर्थता परिषद की कमियों को दिखाती है।”
वर्ष 2016 में यूएन में भारतीय राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि बनाये जाने के बाद जिस तरह अकबरुद्दीन ने शानदार तरीके से भारतीय मिशन का नेतृत्व किया है, उसकी जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। वैश्विक कूटनीति में ज़्यादा सक्रिय होने के लिए जहां एक तरफ देश में ये ज़िम्मेदारी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संभाली हुई है, वैसे ही यूएन में इस ज़िम्मेदारी का भार अकबरुद्दीन के ऊपर है, और अब तक वे इस ज़िम्मेदारी को बखूबी संभाले हुए हैं।