CAA को लेकर बिहार भाजपा के सबसे बड़े चेहरे और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी अब बैकफुट पर आ गए हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ इतना बड़ा प्रदर्शन होगा। इसके अलावा बड़ी बात कहते हुए उन्होंने यह भी अंदेशा जताया कि वे लोगों को शायद यह कानून समझाने में असफल साबित हुए हैं। जब NDA में भाजपा के साथी JDU और नितीश कुमार पहले ही CAA को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर हमला बोल रहे हैं, ऐसे समय में सुशील कुमार का यह हताशा से भरा बयान भाजपा के रुख को कमजोर करने का काम करेगा। वैसे भी सुशील मोदी शुरू से ही एक चाटुकार नेता की तरह नितीश का महिमामंडन करते आए हैं और उनके रहते हुए कभी भाजपा से बिहार राजनीति में किसी बड़े चेहरे का उदय नहीं हो सका। सुशील मोदी ही एक ऐसा कारण है जिसकी वजह से बिहार में भाजपा कमजोर स्थिति में है, ऐसे में भाजपा को तुरंत इस नेता से पीछा छुड़ाने की ज़रूरत है और उन्हें बिहार के उप-मुख्यमंत्री के पद से हटा देना चाहिए।
बता दें कि वर्ष 2013 से पहले जब JDU और भाजपा का गठबंधन हुआ करता था, तब भी सुशील कुमार को नितीश कुमार का चाटुकार नेता कहा जाता था। वर्ष 2008 में तो सुशील मोदी के खिलाफ भाजपा के विधायकों की नाराजगी इस कदर तक बढ़ गयी थी कि पार्टी को गुपचुप तरीके से एक अंदरूनी चुनाव कराना पड़ा था जिसमे मोदी की ही जीत हुई थी। उस वक्त सुशील मोदी को ‘नितीश का दास’ कहकर बुलाया जाने लगा था। पहले नित्यानंद राय और अब संजय जायसवाल, बिहार भाजपा का अध्यक्ष चाहे कोई भी रहा हो, लेकिन सुशील मोदी ही राज्य में भाजपा के सबसे बड़े चेहरे रहे हैं। लेकिन उनकी नितीश की लगातार चाटुकारिता का ही परिणाम है कि बिहार भाजपा में अब तक कोई ऐसा योग्य उम्मीदवार उभरकर नहीं आ पाया है जो राज्य का मुख्यमंत्री बनने की दावेदारी पेश कर सके।
इसके उलट भाजपा से अगर कोई और नेता नितीश कुमार की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाने की बात करता है, तो भी मोदी उन्हें अपना नितीश प्रेम दिखाने से बाज़ नहीं आते। पिछले वर्ष सितंबर में जब भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने नितीश कुमार से केंद्र की राजनीति में प्रवेश करने और बिहार CM की कुर्सी को खाली करने का आह्वान किया था, तो सुशील मोदी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। तब मोदी ने कहा था “नितीश बिहार में NDA के कैप्टन हैं, और वे वर्ष 2020 के चुनावों में भी हमारे कैप्टन रहेंगे। जब कैप्टन चौके-छक्के लगाकर विरोधियों के छक्के छुड़ा रहा हो, तो बदलाव का तो कोई प्रश्न ही खड़ा नहीं होता”।
@NitishKumar is the Captain of NDA in Bihar & will remain its Captain in next assembly elections in 2020 also.When Captain is hitting 4 & 6 & defeating rivals by inning where is the Q of any change.
— Sushil Kumar Modi (मोदी का परिवार ) (@SushilModi) September 11, 2019
सुशील मोदी एक चाटुकार नेता के साथ-साथ एक बड़बोले नेता भी हैं। वर्ष 2016 में उन्होंने तब बिना वजह एक विवाद को जन्म दे दिया। उन्होंने विवादास्पद बयान दिया था कि “भूमिहारों द्वारा हमेशा से दलितों का शोषण किया जाता है।” दरअसल उन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें दो स्कूली छात्र एक तीसरे छात्र को बुरी तरह से पीट रहे थे। पीड़ित बच्चा दलित था, तो ऐसे में सुशील मोदी सबसे पहले पीड़ित छात्र के परिवार से मिले, कार्रवाई का भरोसा जताया मगर उसके बाद यह ही विवादस्पद बयान दे डाला। सीधे तौर पर सुशील मोदी जैसे नेताओं के इस गैर जिम्मेदाराना बयान से छात्रों में आक्रोश तो भड़का ही था, साथ ही भूमिहार समाज, जोकि बिहार में भाजपा का वोट बैंक माना जाता है, खुल कर सुशील मोदी के विरोध में उतर आया था और उसे बिहार बीजेपी के कई नेताओं का समर्थन भी मिला था।
आज बिहार में भाजपा के पास बैकफुट जाने या नितीश की चाटुकारिता करने का कोई कारण नहीं है। पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनावों में राज्य की 40 सीटों में से 39 पर NDA को विजय मिली थी और इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पीएम मोदी का नाम इस्तेमाल कर ही JDU को इतनी बड़ी सफलता मिली थी, लेकिन सुशील मोदी जैसे चाटुकार नेता की वजह से भाजपा को ज़्यादा जनाधार होने के बावजूद राज्य में मुख्य पार्टी की भूमिका नहीं मिल सकी है। CAA, कश्मीर और NRC को लेकर जिस तरह JDU के भाजपा विरोधी तेवर देखने को मिले हैं, ऐसे में अब समय आ गया है कि JDU को दरकिनार कर BJP बड़ी भूमिका संभाले लेकिन उससे पहले सुशील मोदी जैसे नेताओं को पार्टी से निकालना अति-महत्वपूर्ण कदम होगा और भाजपा को जल्द से जल्द ऐसा करना चाहिए।