वीर मराठा योद्धा सूबेदार ताणाजी मालुसरे पर आधारित फिल्म ‘तानाजी – द अनसंग वॉरियर’ 10 जनवरी को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने के लिए पूरी तरह तैयार है, और अजय देवगन इसके प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। हाल ही में चर्चित फिल्म क्रिटिक राजीव मसन्द के साथ किए गए इंटरव्यू में अजय देवगन ने उन लोगों को आड़े हाथों लिया, जो सूबेदार ताणाजी मालुसरे जैसे राष्ट्र नायक को ‘जाति की बेड़ियों’ में बांधना चाहते हैं।
अजय देवगन ने इंटरव्यू के दौरान एक जगह बताया, “कुछ लोग इसलिए आक्रोश जता रहे हैं कि तानाजी की जाति नहीं बताई गयी। मैं पूछना चाहता हूं कि तानाजी तो देश के लिए लड़े थे, उनकी जाति कैसे मायने रखती है?” अजय का इशारा उन विरोध प्रदर्शनों की ओर था, जहां अखिल भारतीय कोली समाज ने दिल्ली हाई कोर्ट में तानाजी के विरुद्ध इसलिए केस फाइल किया, क्योंकि तानाजी की जाति को फिल्म के ट्रेलर में नहीं दिखाया गया।
जहां एक ओर बॉलीवुड का एक धड़ा हर विषय वस्तु को जाति, लिंग, एवं धर्म के चश्मे से देखने पर ज़ोर देता है, तो वहीं अजय देवगन जैसे कुछ लोग भी हैं, जिनके लिए अभी भी राष्ट्रहित सर्वोपरि है। बात करें सूबेदार ताणाजी मालुसरे की, तो उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान देकर कोंढाणा दुर्ग को न केवल पुनः मराठा साम्राज्य में मिलाया, अपितु भारत में मुग़ल साम्राज्य के पतन की नींव भी डाली। अजय देवगन ने उनकी इसी राष्ट्रवादिता का उदाहरण देते हुए बताया कि योद्धा की कोई जाति नहीं होती।
जब बात आती है सिनेमा में वैचारिक रूप से भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद की बात करने की, तो अजय देवगन उन चंद कलाकारों में शामिल हैं, जो कम से कम अपनी फिल्मों में सस्ती लोकप्रियता के लिए भारतीय संस्कृति या सनातन धर्म का अपमान तो नहीं करते। तानाजी के प्रचार के लिए बहुचर्चित कॉमिक पुस्तक प्रकाशक अमर चित्र कथा को अपना प्रोमोशनल पार्टनर चुना था और उन्होने ट्वीट किया, “इतिहास अपने आप को दोहराए या नहीं, पर हमारे बच्चों के लिए ताणाजी जैसे शूरवीर योद्धाओं का साहस एवं शौर्य एक बेजोड़ उदाहरण होगा। मुझे बड़ी खुशी होती है ये घोषणा करके कि अमर चित्र कथा का एक विशेष संकलन निकलने वाला है, जिसमें ताणाजी शामिल होंगे।‘’
इतना ही नहीं, अजय देवगन तानाजी के बाद अपने इस फ्रैंचाइज़ को बढ़ाते हुए वीर योद्धा सुहेलदेव के शौर्य को भी पर्दे पर जीवंत करेंगे। मुंबई मिरर को दिये साक्षात्कार में अजय देवगन ने बताया, “हमने कई लोगों को शॉर्टलिस्ट किया है। परंतु हमारा अगला प्रोजेक्ट राजा सुहेलदेव पर आधारित होगा, जिन्होंने बहराइच के निकट गजनी के सुल्तान महमूद के सिपहसालार गाजी सैयद सालार मसूद को धूल चटाई थी। सुल्तान महमूद ने सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त किया था, और वीर सुहेलदेव ने उसे पुनर्स्थापित कराया। ये फिल्म अमीश त्रिपाठी के उस पुस्तक पर आधारित होगी, जो वे अभी वीर सुहेलदेव पर लिख रहे हैं”।
सच कहें तो अजय देवगन ने अपने प्रोजेक्ट्स के चुनाव और अपने वक्तव्य से सिद्ध किया है कि वे अन्य बॉलीवुड हस्तियों की भांति सस्ती लोकप्रियता के लिए नैतिकता की बलि नहीं चढ़ाते। तानाजी को ‘जाति या क्षेत्र’ की बेड़ियों में न जकड़कर उन्होने उनके महत्व को उचित स्थान दिया है, जिसके लिए वे निस्संदेह प्रशंसा के योग्य है।