चीन को शुरू से ही विश्व के अन्य देशों से हट कर या छिप कर परीक्षण करने की आदत रही है और यही आदत आज चीन में महामारी का कारण बन चुकी है। आज चीन अपने देश में फैल रहे कोरोना वायरस से सकते में है और इसका कारण है चीन द्वारा इस बीमारी के फैलने पर कोई प्रतिक्रिया न देते हुये इसे विश्व से छिपाने की कोशिश करना। टाइम्स ऑफ इंडिया कि एक रिपोर्ट के अनुसार इस कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर की शुरुआत में ही आ चुका था परंतु जब 20 जनवरी से कार्रवाई शुरू हुई, तब तक यह बीमारी एक भयानक महामारी का रूप ले चुकी थी।
अब यह एक वैश्विक इमरजेंसी घोषित हो चुकी है। इस कारण से दुनिया भर के सभी देश अपने नागरिकों के चीन जाने पर प्रतिबन्ध लगा चुके हैं। आलम यह है कि इस वायरस ने वित्तीय बाजारों को हिला कर रख दिया है। पहले जब यह वायरस फैलना शुरू हुआ तब चीन के स्वस्थ्य अधिकारियों के बीच इसकी चर्चा होनी शुरू हो गई थी। ये सवाल उठने लगे थे कि क्या वर्ष 2002 की तरह ही सायरस वायरस फिर से आ चुका है तो बड़े अधिकारियों ने इस मामले को दबाने की कोशिश शुरू कर दी। उन्होंने इससे कोरोना वायरस से निपटने की बजाए इस बात को दबाने का निर्णय लिया। सत्ताधारी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वैश्विक छवि खराब होने का डर था। इस छवि को बचाने की कोशिश में कई लोगों को अफवाह फैलाने के चक्कर में गिरफ्तार भी किया गया था। परंतु वही अफवाह आज सच्चाई बन चुकी है और अकेले चीन में लगभग 490 लोगों की मौत हो चुकी है और 24 हजार मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
महामारी से निपटने के लिए सरकार के शुरुआती रवैये ने इस वायरस को बड़े स्तर पर फैलने का मौका दिया। इस महत्वपूर्ण समय में भी चीन के अधिकारियों ने राजनीतिक शर्मिंदगी से बचने के लिए इस संकट को गोपनीय रखने का फैसला किया। दिसंबर की शुरुआत में इस वायरस के लक्षणों का पता चलने के सात सप्ताह बाद वुहान शहर को बंद करने का निर्णय किया। इसी निर्णय में हुई देरी चीन पर भारी पड़ी।
चीनी अधिकारियों को ऐसा भ्रम था कि यह बड़ा मामला नहीं है इस वजह से जब वायरस के पहले मामले सामने आए थे, तो वुहान प्रशासन ने एक बयान जारी किया था: “यह रोग रोके जाने योग्य और नियंत्रणीय है।” जब वुहान के महापौर झोउ शियांवांग ने जनवरी में शहर की पीपल्स कांग्रेस को अपनी वार्षिक रिपोर्ट दी, तब उन्होंने शहर के टॉप-क्लास मेडिकल स्कूलों, एक विश्व स्वास्थ्य एक्सपो, और चिकित्सा कंपनियों के लिए एक फ्यूचरिस्टिक उद्योग पार्क का वादा किया था। उस दौरान उन्होंने या किसी अन्य प्रांतीय नेता ने इस वायरस के प्रकोप का उल्लेख नहीं किया।
इस तरह से देखा जाए तो चीन की सरकार को ही इस महामारी के लिए जिम्मेदार माना जाना चाहिए क्योंकि उसके इस ढुलमुल रवैये ने पूरी दुनिया में इस घातक कोरोना वायरस को इतना फैलने दिया। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपने महत्वकांक्षा के लिए बेल्ट और रोड इनिशिएटिव ले सकती है लेकिन वह अपने नागरिकों की रक्षा करने में विफल रही है।