दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं और इस बार भी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने पुनः सत्ता प्राप्त की है। आम आदमी पार्टी ने जनता के बीच अपना विश्वास कायम रखते हुए 62 सीटें प्राप्त की हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पिछले चुनाव के मुक़ाबले से थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करते हुए लगभग 39% वोट शेयर के साथ 8 सीटें और वैधानिक रूप से दिल्ली विधानसभा के प्रमुख विपक्ष का पद प्राप्त कर लिया है।
जहां एक ओर भाजपा के दिल्ली इकाई को कायाकल्प की सख्त आवश्यकता है, तो वहीं हमें उन नेताओं की भी सराहना करनी चाहिए, जिन्होंने जनता में भाजपा के प्रति विश्वास बनाए रखा। इनमें अग्रणी है रोहिणी क्षेत्र से भाजपा विधायक विजेन्द्र कुमार गुप्ता, जिन्होंने एक बार फिर रोहिणी क्षेत्र की सीट से विजय प्राप्त की है। आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट राजेश बंसीवाला से चुनाव लड़ते हुए विजेन्द्र गुप्ता ने 62174 वोट प्राप्त करते हुए अपनी सीट कायम रखी है। वे उन 8 उम्मीदवारों में शामिल हैं जो आम आदमी पार्टी की सुनामी में भी डटकर चट्टान की भांति खड़े रहे।
बता दें कि विजेन्द्र गुप्ता काफी पहले से राजनीतिक मोर्चे पर सक्रिय रहे हैं। महज 17 वर्ष की उम्र में उन्हें जनता विद्यार्थी मोर्चा का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था। श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक रहे विजेन्द्र कुमार गुप्ता 1995 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की ओर से केशवपुरम जिले के प्रभारी बनाए गए थे। रोहिणी क्षेत्र से तीन बार वे बतौर पार्षद चुने गए थे और तीनों बार उन्होंने प्रचंड बहुमत के साथ विजय प्राप्त की थी। उन्हें 2002 में बतौर सेक्रेटरी भाजपा के दिल्ली इकाई की कमान सौंपी गयी थी।
विजेन्द्र गुप्ता में वह सारी खूबियाँ हैं, जिसकी आवश्यकता भाजपा को सख्त रूप से है – ‘परिपक्व क्षेत्रीय नेतृत्व की’। वे नई दिल्ली के क्षेत्रीय समस्याओं से भली-भांति वाकिफ हैं, वे क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मुद्दों, दोनों पर एक अच्छी पकड़ बनाकर रखते हैं, और उन्होंने अपने कार्यों से रोहिणी को एक आदर्श म्यूनिसिपल यूनिट के तौर पर स्थापित किया है। यदि भाजपा के दिल्ली इकाई का पुनरुत्थान होता है, तो विजेन्द्र गुप्ता जैसे नेताओं को अविलंब बेहतर पद और अवसर मिलने चाहिए।
2013 में अरविंद केजरीवाल से चुनाव हारने के बावजूद विजेन्द्र गुप्ता ने हार नहीं मानी। जब 2015 में आम आदमी पार्टी की लहर चली थी, तो विजेन्द्र गुप्ता उन 3 भाजपा नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने न केवल अपनी सीट बचाई, अपितु विधानसभा में भाजपा की उपस्थिति भी कायम रखी। विजेन्द्र गुप्ता दिल्ली भाजपा इकाई के अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने सभी प्रकार के संकटों का सामना करते हुए अपनी छवि में कोई कमी नहीं आने दी।
कैडरों में विजेन्द्र गुप्ता की ज़बरदस्त लोकप्रियता के कारण ही वे अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे हैं। विधान सभा में आम आदमी पार्टी ने उन्हें कई बार अपमानित करने का प्रयास किया है, परंतु वे अपनी विचारधारा से टस से मस नहीं हुए हैं। यह जानते हुए भी कि आम आदमी पार्टी सत्ता वापसी के लिए पूरी तरह तैयार है, रोहिणी की जनता ने उन्हें एक बार फिर सेवा का अवसर प्रदान किया है।
यदि भाजपा की दिल्ली इकाई का पुनरुत्थान करना है, तो विजेन्द्र गुप्ता को बेहतर अवसर अवश्य मिलना चाहिए। दिल्ली में वैश्य समुदाय की अपनी अलग पहचान है, और वे दिल्ली के वोट प्रतिशत में एक अहम स्थान रखते हैं। इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि केजरीवाल ने पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली के वैश्यों को प्रसन्न करने के लिए कई निर्णय लिए हैं, और इसी दिशा में उन्होंने वैश्य समुदाय से दो नेताओं को राज्यसभा भेजा है।
यदि विजेन्द्र गुप्ता को भाजपा की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष बनाया जाता है तो इससे न केवल वैश्य समुदाय का समर्थन प्राप्त हो सकता है, अपितु भाजपा की दिल्ली इकाई को क्षेत्रीय समर्थन भी मिलेगा। ऐसे में विजेन्द्र गुप्ता भाजपा की दिल्ली इकाई प्रमुख के लिए एक प्रबल दावेदार हैं।