दिल्ली के दंगों के बाद अब राजनीति और न्यायपालिका दोनों में माहौल गर्म हो चुका है। कारण है दिल्ली हाइ कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर का पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया जाना। विपक्ष और लेफ्ट ब्रिगेड सरकार पर निशाना साध रही है और उनका कहना है कि मुरलीधर को दंगों में BJP के नेताओं के खिलाफ कड़े संदेश के कारण ट्रांसफर किया गया है। कांग्रेस और इकोसिस्टम ने इस बात को साबित करने के लिए अपना पूरा तंत्र लगा दिया है। परंतु वे भूल रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने अपना recommendation 12 फरवरी को ही जारी कर दिया था। 12 फरवरी को कई रिपोर्ट भी प्रकाशित हुये थे, लेकिन एजेंडा चलाने के लिए विपक्षी पार्टियों के पास ना ही कोई मौका और न ही कोई कारण है। दंगों में AAP के कई नेताओं के हाथ होने की भी खबर है इसी वजह से ये सभी BJP को घेरने की कोशिश कर रहें हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगाता है कि न्याय करने वालों को देश में बख्शा नहीं जाएगा।’ कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप ने कहा, ‘पूरा देश अचंभित है, लेकिन मोदी शाह सरकार की दुर्भावना, कुत्सित सोच व निरंकुशता किसी से छिपी नहीं, जिसके चलते वो उन लोगों को बचाने का हर संभव प्रयास करेंगे, जिन्होंने भड़काऊ भाषण दे नफरत के बीज बोए और हिंसा फैलाई’।
न्याय की नई मिसाल!
26 फरवरी की सुबह दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस मुरलीधर की खंडपीठ ने हिंसा फैलाने के जुम्मेवार भाजपा नेताओं पर FIR ना दर्ज करने के लिए फटकार लगाई ⬇️
साथ ही जस्टिस मुरलीधर के दिल्ली हाईकोर्ट से तबादले के आदेश जारी हो गए।
काश इस मुस्तैदी से दंगियों को पकड़ा होता। pic.twitter.com/uHigpwaNsY
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) February 26, 2020
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने न्याय अवरुद्ध करने का प्रयास किया है। गौरतलब है कि दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस एस मुरलीधर ने बीजेपी नेताओं की बयानबाजी पर कार्रवाई न करने पर पुलिस को फटकारा था।
यही नहीं प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर ऐसे ही सवाल किया।
So immediately after Justice Murlidhar of Delhi HC lambasted the Delhi police & the govt's SG in the Delhi riots case, he is transferred by the govt to Punjab& Haryana HC!https://t.co/4agQSbIwmn
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) February 27, 2020
ऐसे ही कांग्रेस और लेफ्ट ब्रिगेड का पूरा इकोसिस्टम इसी बात को दोहराते हुए सरकार से सवाल करने लगा।
Justice Murlidhar’s midnight transfer signals the Modi government’s clear intention to continue to support violent hate mongering
— Swati Chaturvedi (@bainjal) February 27, 2020
J. Murlidhar, Delhi HC judge asked the SG in the Court, "What's the appropriate time to file FIR, Mr Mehta? The city is burning".
He has been transferred today to Punjab and Haryana HC. It didn't even take 12 hours. They are working fast. They are lazy only to stop a riot.
— Sanghamitra (@AudaciousQuest) February 26, 2020
पर आपको बता दें की सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम ने 12 फरवरी को ही जस्टिस मुरलीधर के ट्रान्सफर की recommendation को सरकार के पास भेज दिया था।
For those outraging over transfer of Justice Murlidhar from Delhi High Court to Punjab and Haryana HC, the transfer wasn't decided today. Supreme Court Collegium decided it on Feb 12. Check the attached documents. That said, Govt's only focus should be to restore peace in Delhi. pic.twitter.com/G1jRrejMKg
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) February 26, 2020
सरकार को बस उस recommendation के ऊपर मोहर लगाना था। इसके बाद सरकार ने कल यानि 26 फरवरी को बस अधिसूचना जारी की।
सोचने वाली बात यह है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का इकोसिस्टम ताहिर हुसैन जैसे नेताओं को बचाने में लगा है ताकि लोगों का ध्यान उससे हटकर जस्टिस मुरलीधर के ट्रान्सफर की ओर किया जा सके। बता दें कि ताहिर हुसैन का दंगे करवाने में पूरा हाथ होने की रिपोर्ट है। एक वीडियो भी सामने आई है जिसमें दंगाइयों की भीड़ उनके घर के छत से पेट्रोल बम फेंक रही है और उनके छत से पत्थर और ऐसे बम बरामद भी हुये हैं। बता दें कि ताहिर हुसैन आम आदमी के पार्टी के पार्षद हैं।
यही नहीं लेफ्ट ब्रिगेड इस मामले में BJP के कपिल मिश्रा को भी घसीटने की कोशिश कर रहा है।
इससे भी हास्यास्पद बात यह है कि जस्टिस मुरलीधर ने भी अपने ट्रान्सफर पर सहमति जता दी थी फिर भी इस मामले को जानबूझकर तूल दिया जा रहा है।
बता दें कि 12 फरवरी को जस्टिस मुरलीधर के ट्रान्सफर के बाद हाईकोर्ट का Bar Association ने बंद का ऐलान किया था। बता दें कि जस्टिस एस मुरलीधर मई 29, 2006 से ही दिल्ली हाई कोर्ट में नियुक्त हैं। यानि उनके दिल्ली हाई कोर्ट में लगभग 14 वर्ष हो चुके हैं वो भी बिना ट्रान्सफर के। जस्टिस मुरलीधर ने 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू की थी। वे बिना फीस के केस लड़ने के लिए चर्चित रहे हैं, इनमें भोपाल गैस त्रासदी और नर्मदा बांध पीड़ितों के केस भी शामिल हैं। 2006 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया। जस्टिस मुरलीधर ने साल 2018 में कई सख्त फैसले लिए जिसमें उन्होंने 1984 में हुए सिख दंगों में शामिल रहे सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ फैसला सुनाया था। साल 2018 में ही उन्होंने गौतम नवलखा समेत कई ऐक्टिविस्टों को माओवादियों से संबंध के मामले में जमानत भी दी थी।
अब उनके ट्रान्सफर को प्रकाशित खबर में भी लिबरल मीडिया ने अपने एजेंडे को स्पष्ट कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम की recommendation को बस लागू किया है वो भी राष्ट्रपति के निर्देश पर। अगर राष्ट्रपति ने कोई फैसला कर रखा है तो उस फैसले का हाई कोर्ट में चल रहे सुनवाई से टाला तो नहीं जा सकता है। और अगर कोलेजियम ने पहले उनके स्थानतरण की सूचना जारी कर दी है तो फिर अब इस मुद्दे को तूल देना ही दिखाता है कि लेफ्ट ब्रिगेड किस तरह से भाजपा को दंगों के लिए दोषी करार देने के लिए तत्पर है।