अपनी विचारधारा को किनारे कर बीते वर्ष शिवसेना महा विकास अघाड़ी में शामिल हुई थी। इसके बाद से ही ये पार्टी बार बार कई मुद्दे पर जनता के समक्ष एक्सपोज हुई है। यहाँ तक कि गठबंधन में अपने सहयोगी दलों के समक्ष ये पार्टी झुकने तक को तैयार रही है। इस पार्टी ने बालासाहेब ठाकरे के सिद्धांतों के खिलाफ हर वो काम किया है जिसे अगर आज वो देखते तो बहुत आहत होते। अब इस पार्टी ने अपने पुराने रुख के विपरीत मॉडल डिटेंशन सेंटर का मैनुअल जारी किया है।
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को हरी झंडी मिलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र सरकार को मॉडल डिटेंशन सेंटर का मैनुअल जारी किया है। गठबंधन सरकार में इस मुद्दे पर कांग्रेस और एनसीपी के विरोध के बीच उद्धव सरकार ने तेजी दिखाते हुए एक अस्थायी डिटेंशन सेंटर को अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक स्थायी डिटेंशन सेंटर के लिए भी जमीन तलाशने की कवायद जारी है’।
ये वही महाराष्ट्र सरकार है जिसने बीते वर्ष दिसंबर में एनआरसी पर ऐतराज को लेकर वहां का इकलौता डिटेंशन सेंटर बंद करवा दिया था। उस समय महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आदेश पर रोक लगाते हुए महाराष्ट्र के मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को यह आश्वासन दिया था कि वो सीएए के विरोध में हैं। नवी मुंबई पुलिस के महिला कल्याण केंद्र के पास नेरुल क्षेत्र में तीन एकड़ की साइट पहले से थी जिसे पूर्व सरकार ने डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए आवंटित करने के लिए कहा था।
वैसे महाराष्ट्र सरकार के रुख में ये बदलाव यूं ही नहीं आया है। जबसे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे महाराष्ट्र की सक्रिय राजनीति में उतरे हैं तबसे यहाँ के राजनीतिक परिदृश में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। राज ठाकरे ने सार्वजनिक मंच से कहा कि वो पाकिस्तानी और बंगलादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने के लिए एनडीए के समर्थन में हैं। उन्होंने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को सख्त चेतावनी देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘मोर्च का उत्तर मोर्चे से दिया गया है लेकिन आगे पत्थर का जवाब पत्थर से और तलवार का जवाब तलवार से दिया जाएगा’।
वास्तव में राज ठाकरे ने एक तरह से शिवसेना के हिंदुत्व का राजनीतिक अपहरण कर लिया है। एक तरफ शिवसेना सेकुलरवादी की ओर बढ़ रही है तो वहीं मनसे राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ रही है। सही मायनों में देखा जाए तो जिस विचारधारा को बालासाहेब ठाकरे ने महाराष्ट्र में खड़ा किया था उसे फिर से राज ठाकरे जिंदा करने में जुटे हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पुनरुत्थान हेतु जिस तरह से राज ठाकरे ने वीर सावरकर को सम्मान दिया है, उससे स्पष्ट होता है कि वे हिन्दुत्व पर उद्धव ठाकरे के विश्वासघाती कदमों के लिए उन्हें कटघरे में खड़ा कर चुके हैं।
ऐसे में उद्धव ठाकरे डरे हुए हैं और यू टर्न लेते हुए डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है। इसी संबंध में शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने हाल ही में लोकसभा में सीएए और एनआरसी का मुद्दा उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से जानकारी भी मांगी थी। इस जानकारी में राज्यों के लिए मॉडल डिटेंशन सेंटर का मैनुअल, चालू हालत वाले डिटेंशन सेंटर की संख्या, वर्तमान समय में इन डिटेंशन सेंटर में रखे गए लोगों की संख्या, सेंटर की क्षमता और निर्माणाधीन डिटेंशन सेंटर के बारे में ब्योरा मांगा गया था। इसपर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने जवाब में कहा कि ‘राज्य सरकारें अपनी जरूरत के हिसाब से ऐसे अवैध प्रवासियों को डिटेन करने के लिए डिटेंशन सेंटर बनाएं, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है और उनके देश में भेजे जाने की प्रक्रिया लंबित है।’
अब उद्धव सरकार के इस यू टर्न से स्पष्ट है कि जिस वोटर बेस को उन्होंने महा विकास अघाड़ी से हाथ मिलाकर लगभग गंवा दिया था उसे फिर से खुद की पार्टी से जोड़ने के लिए प्रयास कर रहे हैं। अब उनका ये प्रयास कितना सफल होता है ये तो आने वाला समय ही बता सकेगा।