गोवा का नाम दिमाग में आते ही हम में से अधिकतर लोगों के मन में ड्रग्स, नशा और सस्ती बियर उभरकर आने लगती है। एक बढ़िया टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने की वजह से लोग वहाँ जाते हैं, और एक पर्यटक की तरह ही सुंदर beaches, बड़े-बड़े होटल्स और महंगे रेस्टोरेंट्स में अपनी छुट्टियाँ बिताकर वापस अपने घर आ जाते हैं, लेकिन गोवा की संस्कृति ऐसी बिल्कुल नहीं है। गोवा की संस्कृति भी उतनी ही सम्पन्न है जितनी भारत के अन्य किसी राज्य या शहर की है। शायद यही कारण है कि गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने मोहित सूरी की सबसे नई फिल्म मलंग को लेकर कुछ अहम बातें कही हैं, और उन्होंने मूवी में दिखाए गोवा के ड्रग कल्चर पर आपत्ति जताई है।
गोवा के सीएम ने हाल ही में मीडिया के सामने अपनी नाराजगी को बयां किया। साथ ही उन्होंने कहा कि अब गोवा में शूट होने वाली फिल्मों की स्क्रिप्ट को पहले रिव्यू किया जाएगा। सावंत ने मीडिया से बातचीत में कहा “ये मुद्दा मेरे नोटिस में लाया गया है। एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा अब फिल्मों की रिव्यू करके ही आगे भेजेगी। जब हमारे राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की अच्छी व्यवस्था है और इसके अलावा अच्छी खासी सुविधाएं हैं तो फिर फिल्मों में इस राज्य को ऐसा क्यों दिखाया जाता है जैसे ये राज्य सिर्फ एक ड्रग्स स्टेट हो?”
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बता दें कि एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा एक सरकारी एजेंसी है, जो राज्य में फिल्मों की शूटिंग की परमिशन देती है। अब इसी एजेंसी के माध्यम से फिल्मों को रिव्यू किया जाएगा और जो फिल्म राज्य की छवि को खराब कर रही होगी, उसे राज्य में शूटिंग की इजाजत नहीं दी जाएगी।
गोवा सीएम की इस आपत्ति के बाद ‘मलंग मूवी’ विवादों में आ चुकी है। दिशा पाटनी और आदित्य रॉय कपूर starrer इस फिल्म से यह संदेश देने की कोशिश की गयी है कि अगर आपको एक मस्त मलंग की तरह जीना है, तो मौज से ड्रग्स फूँकों, और नाम खराब हो रहा है गोवा का। आखिर गोवा में ड्रग्स और बीचेस के अलावा भी बहुत कुछ चीज़ें हैं।
गोवा के बारे में ड्रग्स से जुड़ा stereotype बनाने में बॉलीवुड का बहुत बड़ा योगदान रहा है। ‘गो गोवा गोन’ से लेकर ‘दम मारो दम’ और फिल्म ‘स्मोक’ जैसे फिल्में, इन सब में ड्रग्स और गोवा का एक साथ ज़िक्र किया गया है। मानो दुनिया में गोवा से बड़ा ड्रग हैवन तो कोई है ही नहीं, इन सबसे आखिर नाम तो गोवा का ही खराब होता है, और बॉलीवुड की इन्हीं फिल्मों की वजह से गोवा के बारे में हम सब के मन में ऐसी धारणा बनी है।
फिल्मों के माध्यम से stereotype खड़े जाने का यह कोई पहली बार विरोध नहीं हो रहा है। याद कीजिये ‘उड़ता पंजाब’ की वजह से कैसे पंजाब में बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। पंजाब सरकार ने तो इसे बैन तक करने की धमकी दे डाली थी। फिल्मों में story ही नहीं होती, उनमें एजेंडा भी होता है, उनके माध्यम से stereotypes को बढ़ावा दिया जाता है, और कुछ में तो नशाखोरी जैसी चीजों को बढ़ावा दिया जाता है। मलंग मूवी की वजह से अब गोवा फिर इसी का शिकार हुआ है। हालांकि, अबकी बार गोवा की सरकार इस समस्या का permanent इलाज निकालने के मूड में नज़र आ रही है।