छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति को जेसीबी से ध्वस्त करने का विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एमपी काँग्रेस इकाई एक बार फिर विवादों के घेरे में है। जब से ये बात सामने आई है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर्ज़ माफी का वादा नहीं पूरा कर पाने की बात मानी है, कांग्रेस के कई नेता पार्टी हाइकमान से काफी क्रोधित हैं। इन्हीं में अग्रणी है ज्योतिरादित्य सिंधिया, जिन्होंने मूल मुद्दों पर काँग्रेस सरकार की निष्क्रियता को आड़े हाथों लेते हुए विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने तक की धमकी दी है।
एएनआई से हुई बातचीत के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं, “यह असंभव है कि काँग्रेस सरकार वादा करे और उसे पूरा न करे। यदि कांग्रेस ने किसी चीज़ का वादा किया है तो उसे पूरा करना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा सड़क पर उतरना पड़ेगा। राहुल गांधी जी ने कहा था कि सरकार बनाने पर हम 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ कर देंगे, पर हमने ऐसा किया नहीं। इससे विपक्ष को भी हमारी सरकार को घेरने का अवसर मिल रहा है”।
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की समस्या को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा, “मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि आपकी मांगें हमारे सरकारी घोषणापत्र में शामिल है। सरकार को आए अभी एक साल ही हुआ है, शिक्षकों को थोड़ा सा सब्र रखना चाहिए। यदि ये न हो पाया तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपकी ढाल और तलवार दोनों बनूँगा। यदि मैनिफेस्टो के वादे पूरे नहीं हुए, तो आप अपने आप को अकेला नहीं समझे। सिंधिया भी आपके साथ सड़क पर आएगा”।
सच कहें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बार फिर अपने बगावती तेवर जगजाहिर कर दिए हैं। 2018 में उन्होंने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा कर मध्य प्रदेश में पूरे 15 वर्ष बाद काँग्रेस पार्टी को जीत दिलाई। परंतु राजस्थान में सचिन पायलट की भांति उन्हें भी ठेंगा दिखाते हुए काँग्रेस हाइकमान ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को भड़काने के आरोपियों में से एक कमल नाथ को मुख्यमंत्री का पद सौंपा। तभी से ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश काँग्रेस के विरुद्ध बगावती तेवर दिखाने में कोई अवसर हाथ से जाने नहीं देते।
उदाहरण के तौर पर सिंधिया ने यह बयान दिया था कि कांग्रेस को आत्म अवलोकन की जरूरत है और पार्टी की आज जो स्थिति है, उसका जायजा लेकर सुधार करना समय की मांग थी। बीते कुछ समय से मध्य प्रदेश में सिंधिया बनाम कमलनाथ की लड़ाई तेज हुई है और दोनों के ही समर्थकों के बीच भी तनातनी बनी रहती है।
सिंधिया को मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की मांग उनके समर्थक मंत्री समय-समय पर करते रहे हैं लेकिन फिर मध्य प्रदेश के अध्यक्ष पद के लिए उन्हें महत्व नहीं दिया गया। बता दें कि सिंधिया के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने की अटकलें अगस्त-सिंतबर में भी लगी थीं। भाजपा को राज्य में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की आवश्यकता है और 36 विधायक यदि कांग्रेस के संपर्क से दूर हैं तो यह मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सत्ता में वापसी की ओर इशारा कर रहे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया अलग-अलग मंचों से कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। भ्रष्टाचारों और अनुच्छेद 370 जैसे संवेदनशील मुद्दों की नब्ज पकड़ कर वह मध्य प्रदेश की जनता की आँखों के तारे बनते जा रहे हैं। अनुच्छेद 370 पर काँग्रेस की विचारधारा से इतर जाते हुए सिंधिया ने खुलेआम अनुच्छेद 370 के हटाये जाने का समर्थन किया। इतना ही नहीं, उन्होने सीएए का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करते हुए दावा किया कि भले ही कानूनी तौर पर ये उचित न लगे, पर नैतिक तौर पर यह अधिनियम आवश्यक था।