इंडोनेशिया कहने को तो दुनिया का सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है, लेकिन आज भी वहां के नागरिकों के दिल में उमड़ते हिन्दू संस्कृति के लिए प्यार और सम्मान को आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। इंडोनेशिया के इतिहास में भारत और हिन्दू धर्म का बहुत बड़ा योगदान रहा है और इसीलिए इस देश में हिन्दू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म का भी प्रभाव देखने को मिलता है। इसी का एक उदाहरण हमें अब देखने को मिला है जब इस देश में पहली बार राष्ट्रीय हिन्दू यूनिवर्सिटी खुलने जा रही है, जिसका नाम होगा ‘आई गुस्ती बागुस सुग्रीव’!
आई गुस्ती बागुस सुग्रीव इंडोनेशिया के एक धार्मिक नेता और शिक्षाविद थे, जिन्होंने इस देश के मुस्लिमों में शिक्षा स्तर को उठाने और मुस्लिमों को सभ्य बनाने की दिशा में अहम कदम उठाए थे, और उनका नाम रामायण के जाने-माने पात्र सुग्रीव के नाम पर ही रखा गया था। बता दें कि जिस शैक्षणिक संस्थान को अब हिन्दू यूनिवर्सिटी बनाया गया है, वह पहले हिन्दू धर्म संस्थान के नाम से जाना जाता था। इसे अब वहां की जोको विडोडो सरकार ने स्टेट यूनिवर्सिटी की मान्यता प्रदान की है। यह इंडोनेशिया के बाली में स्थित है, जहां की लगभग 84 प्रतिशत आबादी हिन्दू है।
बता दें कि हिन्दू धर्म के संस्थान को यूनिवर्सिटी में बदलने के फैसले का मकसद देश में हिन्दू धर्म को बढ़ावा देना है। इस विश्वविद्यालय में ‘एडमिनिस्टर हिंदू हायर ऐजुकेशन प्रोग्राम’के साथ-साथ ‘हिंदू हायर ऐजुकेशन प्रोग्राम को सपोर्ट करने वाले’ दूसरे हायर ऐजुकेशन प्रोग्राम भी होंगे।
भारत में इंडोनेशिया के राजदूत सिद्धार्थो आर सूर्योदिपुरो ने इंडोनेशिया सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा “ये यूनिवर्सिटी भारत और इंडोनेशिया में ‘अनेकता में एकता’ सिद्धांत की मजबूती की पहचान है, जहां हम मानते हैं कि हर कोई समग्र विकास में योगदान दे सकता है”। इस देश के इतिहास का भारत के साथ जुड़ाव ही इंडोनेशिया के लोगों में हिन्दू धर्म के प्रति इस विश्वास की वजह है।
भारत और इंडोनेशिया के रिश्ते हज़ारों साल पुराने हैं। ईसा के जन्म से पहले से ही भारत के सौदागर और नाविक वहां जाते रहे हैं। यही कारण है कि इंडोनेशिया और भारत में काफ़ी सारी सांस्कृतिक समानताएं देखने को मिलती हैं। प्राचीन काल से ही भारतीय सौदागर और नाविकों के आने-जाने के कारण इंडोनेशिया में न सिर्फ़ हिंदू धर्म बल्कि बौद्ध धर्म का भी गहरा प्रभाव नज़र आता है। इंडोनेशियाई भाषा, स्थापत्य, राजशाही और मिथकों पर भी इन धर्मों का असर है। उदाहरण के लिए इंडोनेशिया के पुराने साम्राज्यों के नाम श्रीविजया और गजाह मधा आदि हैं।
सुमात्रा में श्रीविजय विशुद्ध मलय राज्य था, जिसका प्रभाव समूचे दक्षिण-पूर्वी एशियाई तटीय क्षेत्र पर था। सातवीं शती में भारत के साथ व्यापारिक संबंध बनने के साथ ही हिंदू व बौद्ध धर्म का प्रभाव यहाँ पहुँचा, जिससे शक्ति-संपन्न श्रीविजय साम्राज्य फला-फूला। पहली सदी से ही इंडोनेशियाई जहाजों ने अफ्रीका तक की व्यापारिक यात्राएँ भी शुरू कर दी थीं। श्रीविजय आधुनिक-कालीन तटवर्ती व्यापारिक केंद्र पालेमबांग में स्थित था और उसका सुमात्रा, पश्चिमी जावा एवं अधिकांश मलय प्रायद्वीप के विशाल क्षेत्रपर आधिपत्य था। राजा राज चोल प्रथम के शासनकाल के दौरान दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य एवं श्रीविजय के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध थे। ग्यारहवीं सदी तक श्रीविजय साम्राज्य का प्रभाव धूमिल पड़ चुका था।
यह दिखाता है कि भारत और इंडोनेशिया के बीच ऐतिहासिक संबंध कितने मजबूत हैं और इसी का प्रमाण हमें आज भी देखने को मिल रहा है। अब जब इंडोनेशिया में पहली हिन्दू यूनिवर्सिटी खुली है, तो भविष्य में हमें इस देश में हिन्दू धर्म के प्रभाव को बढ़ता देखने का मौका मिल सकता है और इस देश की संस्कृति को संजोए रखने की दिशा में यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है।