कई बार यह देखा गया है कि मीडिया हाउस अपनी बात को साबित करने के लिए किसी व्यक्ति के बयान का इस्तेमाल अपनी रिपोर्ट में करते हैं। कई बार झूठे बयान को भी डाले जाते हैं। इसी तरह The Print नाम के मीडिया वेब पोर्टल ने इस बार वित मंत्री निर्मला सीतारमण के कथन को अपने एक लेख में जगह दिया। लेख को ट्विटर पर शेयर किया गया था जिसका टाइटल था ‘क्यों निर्मला सीतारमण बॉम्बे के लोगों को नहीं समझती हैं’
Is this parody? If not and if serious, this is calumny. The quotes attributed to me are not mine. https://t.co/f7CtNxTdX3
— Nirmala Sitharaman (Modi Ka Parivar) (@nsitharaman) February 15, 2020
Why Nirmala Sitharaman doesn’t understand ‘Bombay people’https://t.co/HcP7cxY6Qu
— ThePrintIndia (@ThePrintIndia) February 14, 2020
अब बताते हैं इस रिपोर्ट की सच्चाई। इस रिपोर्ट के झूठ का पर्दाफाश किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं वित्त मंत्री ने किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ‘क्या ये parody है? इस रिपोर्ट में लिखा गया बयान मेरा नहीं है’। जब वित्त मंत्री ने इसपर खुद जवाब दिया तो The Print ने तुरंत माफ़ी भी मांग ली अब विश्वसनीयता का सवाल था तो माफ़ी मांगनी ही थी।
परन्तु ये सोचने वाली बात है यदि निर्मला सीतारमण की निगाहें इस न्यूज़ पर न जाती तो ये मुंबई के लोगों के दिमाग पर क्या प्रभाव डालता? अक्सर यह देखा जाता है कि इस तरह किसी के भी बयान को तोड़ मरोड़ कर फेक न्यूज़ फैलाया जाता है। ऐसे में आँख मूंद कर किसी भी मीडिया पोर्टल पर भरोसा करने से पहले एक बार खबर की जांच अवश्य कर लें। खैर, The Print इससे पहले भी रक्षा मंत्री के बयान को गलत तरीके से पेश कर चुका है। उस दौरान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ही थी। उस दौरान The Print के लिए column लिखने वाले Lt. Gen H S Panag ने निर्मला सीतारमण के स्टेटमेंट को गलत तरीके से लिखा था।
वैसे The Print और उसके संस्थापक शेखर गुप्ता का फेक न्यूज़ से नाता कोई नया नहीं है। हर मुद्दे पर वे फेक न्यूज़ फैलाकर लोगों को भ्रमित करने का काम करते हैं। अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए वे देश की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी फेक न्यूज़ फैलाने से गुरेज नहीं करते। वे भारतीय सेना को लेकर भी फेक न्यूज़ फैलाने का काम कर चुके हैं। जब भारत और अमेरिका के बीच COMCASA (प्रस्तावित संचार संगतता और सुरक्षा समझौता) संधी पर हस्ताक्षर होने वाले थे, तो शेखर गुप्ता ने यह झूठ फैलाया था कि भारतीय सेना को इस संधी से आपत्ति है क्योंकि इससे अमेरिका पाकिस्तान के साथ भारत के खूफिया सूत्र साझा कर सकता है। लेकिन शेखर गुप्ता को करारा झटका तब लगा जब प्रिंट के इस दावे को खुद सेना के एडीशनल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पब्लिक इनफार्मेशन ने ख़ारिज किया था। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा था ‘ भारतीय सेना को लेकर पेश किये गये तथ्य पूरी तरह से गलत है, भारतीय सेना ने इस तरह की कोई आपत्ति सरकार के पास नहीं भेजी है’।
अब ऐसे मीडिया संस्थानों को यह सोचना चाहिए कि अब सोशल मीडिया का जमाना है और किसी का भी झूठ तुरंत पकड़ में आ जाता है। पहले किसी भी मुद्दे पर पत्रकार कुछ भी लिख कर बिना जांच के ही अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर देते थे जिससे लोगों के मन में किसी के लिए भी गलत धारणा बैठ जाती थी। अब ऐसा नहीं होने वाला है।