देश की राजधानी दिल्ली में कुछ यूनिवर्सिटी के छात्रों को मीडिया के कैमरों और लाइमलाइट की मानो आदत सी हो गयी है। यही कारण है कि कल जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने एक बार फिर पुलिस से भिड़ंत की और सुर्खियों में आने की उनकी कोशिश पूरी तरह सफल रही। इन छात्रों द्वारा बार-बार पुलिस प्रशासन से भिड़ना और बेवजह विवाद खड़ा करना दिखाता है कि ये छात्र लाइमलाइट में आने को कितने आतुर रहते हैं।
दरअसल, कल जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों और जामिया नगर के कुछ निवासियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए संसद की ओर मार्च निकाला। दिल्ली पुलिस ने पहले ही इन प्रदर्शनकारियों से संसद की ओर मार्च ना निकालने की प्रार्थना की थी, और प्रदर्शनकारियों को ना ही इसकी इजाज़त दी गयी थी। हालांकि, इसके बावजूद इन प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकालना जारी रखा। प्रदर्शनकारी ‘कागज नहीं दिखाएंगे’ और ‘जब नहीं डरे हम गोरों से तो क्यों डरे हम औरों से’ जैसे नारे लगा रहे थे। प्रदर्शन में कई महिलाएं भी थीं। हाथों में कई लोग तिरंगा थामे हुए थे और ‘हल्ला बोल’ के नारे लगा रहे थे।
Delhi: 9 detained after police stop Jamia protesters from Parliament marchhttps://t.co/usPNbR6na9
— The Indian Express (@IndianExpress) February 10, 2020
पुलिस से धक्का-मुक्की और झड़प के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी बेहोश भी हो गए जिन्हें बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने फेक न्यूज़ फैलाना शुरू कर दिया कि दिल्ली पुलिस ने जामिया के छात्रों पर फिर से लाठीचार्ज किया है। उदाहरण के लिए विवादित छात्र उमर खालिद का यह ट्वीट देखिये:
Delhi Police unleashes brutalities on Jamia students once again. Your lathis will not be able to break our resolve to fight against CAA/NRC/NPR. #IndiaAgainstCAA_NPR_NRC pic.twitter.com/66tpHXgTiX
— Umar Khalid (@UmarKhalidJNU) February 10, 2020
दिल्ली में छात्रों का हिंसक विरोध प्रदर्शन कोई नयी बात नहीं है, पिछले वर्ष दिसंबर में भी दिल्ली में कई जगह हमें ऐसे विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे, जिनमें बड़े पैमाने पर हिंसा देखने को मिली थी। दिल्ली में ऐसा तब हो रहा था, जब कुछ ही महीनों बाद दिल्ली में चुनाव होने वाले थे। इतना ही नहीं, इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के पीछे आम आदमी पार्टी और PFI के ही कई सदस्यों का नाम सामने आया था। तब दिल्ली पुलिस ने जामिया हिंसा मामले में जामिया पुलिस स्टेशन और न्यू फ्रेंड्रस कॉलोनी पुलिस स्टेशन में नामजद मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ खान और आम आदमी पार्टी की जामिया युनिवर्सिटी छात्र विंग के नेता कासिम उस्मानी समेत 7 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
इन पार्टियों और नेताओं के पास छात्र आंदोलन के नाम पर लाईमलाइट में आने का बेहद आसान तरीका था, जिसे इन्होंने बखूबी अपनाया।
देश की मीडिया और कुछ राजनीतिक पार्टियां अपने हित साधने के लिए इन छात्र नेताओं और प्रदर्शनकारियों को जरूरत से ज़्यादा महत्व देती हैं, जिसका फायदा उठाकर ये छात्र जान-बूझकर हमेशा संघर्ष की स्थिति में ही रहना चाहते हैं। ये अक्सर वहां प्रदर्शन करते हैं, जहां सुरक्षा कारणों से इन्हें प्रदर्शन करने से मना किया गया होता है। ऐसे में पुलिस जैसे ही कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इनपर कोई कार्रवाई करती है तो तुरंत इन्हें विक्टिम कार्ड खेलने का मौका मिल जाता है। कल जो कुछ भी हमें देखने को मिला, वह सिर्फ इन छात्रों द्वारा लाईमलाइट में आने की एक कोशिश-भर थी, जो सफल रही।