बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देश भर में सुशासन बाबू कहा जाता है लेकिन इस मौजूदा कार्यकाल की बात करें तो बेहद विवादित रहा है। नीतीश सरकार राज्य में हर मोर्चे पर फेल रही है। सबसे अफसोसजनक बात ये है कि सुशासन बाबू के कुप्रबंधन की वजह से केंद्र सरकार की कई जन कल्याणकारी योजनाएं लागू नहीं हो पाई हैं। इन्हीं में एक है केंद्र सरकार की सबसे प्राइम योजना ”आयुष्मान भारत” जिस पर नीतीश सरकार पूरी तरह फेल रही है। अब केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि इस योजना के तहत नया पैसा राज्य सरकार को नहीं दिया जाएगा। केंद्र की मोदी सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि मेडिकल इंश्योरेंस के मामले में बिहार राज्य का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में अलग-अगल राज्यों में कुल 1699 करोड़ रूपए की आवंटन की है लेकिन इसमें बिहार को कोई पैसा नहीं दिया गया है। जबकि बिहार में कुल 1 करोड़ 10 लाग ऐेसे लोग हैं जिन्हें आयुष्मान भारत जैसी योजना का लाभ मिलना चाहिए था।
केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना इसलिए बिहार में फेल हो गई क्योंकि इसे सही से अस्पतालों में लागू नहीं किया गया। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 17 महीने पहले 156,000 अस्पतालों में इस स्कीम को लागू किया गया। इस योजना के तहत कुल 20 लाख परिवारों को 40 लाख से अधिक ई कार्ड जारी किए गए जो राज्य की जनसंख्या व जरूरतमंदों के मुताबिक बेहद कम था।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि अन्य राज्यों की तरह इस योजना को चलाने का हमारे पास कोई अनुभव नहीं था लेकिन हम इस योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हमने पिछले 3 महीनों में कुल 20 लाख ई कार्ड बांटे हैं। जो आयुष्मान भारत योजना का लाभ ले सकेंगे।
बिहार सरकार पर तंज कसते हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा- ”नीतीश जी को “आयुष्मान कुर्सी” की ज़्यादा फ़िक्र है न की “आयुष्मान बिहार”। आयुष्मान भारत योजना में बिहार सबसे फ़िसड्डी राज्य है। केंद्र सरकार ने इसके लिए एक पैसा भी बिहार सरकार को नहीं दिया। इनके मंत्री कहते है इसका हमारे पास ढाँचा और अनुभव नहीं है।”
नीतीश जी को “आयुष्मान कुर्सी” की ज़्यादा फ़िक्र है न की “आयुष्मान बिहार”। आयुष्मान भारत योजना में बिहार सबसे फ़िसड्डी राज्य है। केंद्र सरकार ने इसके लिए एक पैसा भी बिहार सरकार को नहीं दिया। इनके मंत्री कहते है इसका हमारे पास ढाँचा और अनुभव नहीं है।https://t.co/zuNKgobLoF
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 11, 2020
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कोई 17 महीने पहले शुरु बुई आयुष्मान भारत योजना के तहत बिहार में करीब 1,56,000 मरीजों ने अस्पतालों में दाखिला लिया है और अब तक सिर्फ 40 लाख लोगों को ही ई-कार्ड जारी किए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले सप्ताह संसद में बताया कि, “तीन बड़े राज्यों (बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश) में इस योजना के लाभार्थियों की करीब 30 फीसदी आबादी है और ये राज्य अपने यहां इस योजना को लागू कर रहे हैं। ऐसे में इन राज्यों में अभी भी योजना से फायदा उठाने वालों की मांग बढ़ रही है।” केंद्र सरकार के अपने बयान के मुताबिक इस योजना के तहत कम पैसे इसलिए आवंटित हुए क्योंकि इसका खराब क्रियान्वयन हुआ है।
बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार स्वास्थ मोर्चे पर पूरी तरह फेल रहे हैं। पिछले साल जून-जुलाई के बीच चमकी बुखार के कारण बिहार के कई क्षेत्रों में बच्चों की असामयिक मृत्यु हुई, जिसके कारण नीतीश कुमार की सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की मौत ने नीतीश कुमार के कुशासन की पोल खुल गयी थी। बिहार में यह बीमारी काफी पहले से है लेकिन नीतीश कुमार ने अपने 13 साल के शासनकाल में इस बीमारी से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
कुछ दावों की माने तो इस बीमारी के कारण पहले भी मासूमों की मौत हो चुकी है। इतनी मौतों के बाद भी नीतीश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से कभी नहीं लिया। हमेशा उन्होंने सब कुछ ठीक होने का ढोंग किया। यही नहीं हर बार की तरह उन्होंने बस मृतकों के परिवार को मुआवजा देने की घोषणा कर अपनी ज़िम्मेदारी से पलड़ा झाड़ लेना उनकी राजनीति का हिस्सा रहा है। उनके मंत्री भी यही कहते हैं कि अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं।
इसके अलावा जब बिहार बाढ़ से प्रभावित था तब भी नीतीश सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह सही तरीके से नहीं किया, और तो और इसके लिए भी वो केंद्र सरकार की और देख रहे थे। नीतीश कुमार ने केंद्र से मदद की दरकार की लेकिन अपने स्तर पर कोई उचित कदम नहीं उठाये। हर बार नीतीश कुमार स्थिति का आंकलन करने की बजाय और उचित कदम उठाने की बजाय पल्ला झड़ने की भरपूर कोशिश करते हैं। स्थिति तो इतनी दयनीय हो गयी कि स्वयं उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी बाढ़ में फंसे हुए दिखाई दिये। परंतु नितीश कुमार की असफलता यहीं तक सीमित नहीं है।
राज्य में कुशासन, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गुंडागर्दी और शराब की अवैध तस्करी आम बात हो चुकी है। सच कहें तो नीतीश कुमार सुशासन से कुशासन बाबू बन गए हैं। ऐसे में यदि भाजपा समय रहते नहीं चेती, तो जदयू के साथ गठबंधन 2020 में बिहार चुनाव में भाजपा के लिए काफी हानिकारक होगा। इसलिए भाजपा को अविलंब नीतीश कुमार जैसे अवसरवादियों का साथ छोड़कर बिहार में अपना जनाधार सशक्त करने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इस बार नीतीश तो डूबेंगे ही, और अगर भाजपा न चेती तो वह भी साथ डूब जाएगी।