महाराष्ट्र सरकार में सत्ता पर काबिज NCP और शिवसेना में मनमुटाव बढ़ गया है। दरअसल, एनसीपी नेता शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर सवाल उठाए है जिसमें महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि एल्गार परिषद (भीमा कोरेगांव) मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा अपने हाथ में लेने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। शरद पवार ने कहा कि केन्द्र का इस तरह से राज्य के हाथों से जांच लेना केंद्र गलत है और महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके फैसले का समर्थन करना भी गलत है।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि “महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार (भीमा कोरेगांव जांच में शामिल) आपत्तिजनक था। मैं चाहता था कि इन अधिकारियों की भूमिका की जांच हो। उन्होंने कहा कि सुबह में पुलिस अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की बैठक हुई थी और दोपहर 3 बजे केंद्र ने मामले को एनआईए को हस्तांतरित करने का आदेश दिया। यह संविधान के अनुसार गलत है, क्योंकि अपराध की जांच राज्य का अधिकार क्षेत्र है”।
बता दें कि पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र के इस फैसले की यह कहते हुए आलोचना की थी कि केंद्र सरकार को जांच में दखल देने का पूरा अधिकार है, लेकिन एनआईए को जांच सौंपने से पहले उसे राज्य सरकार को विश्वास में लेना चाहिए था।
बता दें कि जब महाराष्ट्र में NCP-शिवसेना और कांग्रेस की सरकार बनी थी, तो महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को एनसीपी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को यह आश्वासन दिया कि 2 और 3 जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के संबंध में दलित कार्यकर्ताओं के खिलाफ दायर आपराधिक मामले वापस ले लेंगे। इस प्रतिनिधिमंडल में कैबिनेट सदस्य जयंत पाटिल, छगन भुजबल और विधायक प्रकाश गजभिये शामिल थे।
इससे पहले महाराष्ट्र की मुर्बा-कलवा सीट से राकांपा विधायक डॉ. जितेंद्र अव्हाड़ ने भी ट्वीट कर यही मांग की थी। उन्होंने कहा था कि- ‘आरे आंदोलन में गिरफ्तार किए गए लोगों को मुक्त कर दिया गया है, अब इस सरकार को भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों को पिछली सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों से मुक्त करना चाहिए…हां … यह हमारी सरकार है।’
आरे चे आंदोलन करणारे सुटले …. #भिमाकोरेगाव मध्ये खोटे गुन्हे दाखल केले मागच्या सरकारनी
आता ह्या माझ्या सरकारनी ते गुन्हे मागे घ्यावेत @OfficeofUT @Jayant_R_Patil
होय … हे आपले सरकार …#MahaVikasAghadi— Dr.Jitendra Awhad (@Awhadspeaks) December 1, 2019
हालांकि, पिछले महीने केंद्र सरकार ने इस केस को पुणे पुलिस से लेकर केंद्रीय सरकार के अधीन जांच एजेंसी NIA को सौंप दिया था। जब यह केस राज्य सरकार से छिन गया तो उद्धव ठाकरे की सरकार ने बाद में इसे स्वीकृति दे दी, जिसके कारण ही NCP नेता शरद पवार गुस्सा हैं, और वे अपनी ही सरकार की आलोचना कर रहे हैं।
आपको बता दें कि वर्ष 2018 में, जून में महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच के दौरान 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस की जांच में ये पाया गया था कि माओवादी 21 मई 1991 में हुई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे। पीएम मोदी की हत्या की साजिश से जुड़ी कड़ी में पुलिस की स्पेशल टीम ने देशभर के कथित नक्सल समर्थकों के घरों व कार्यालयों पर ताबड़तोड़ छापेमारी करनी शुरू की। अकादमिक, वकील, मीडिया और तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर के कई हाई प्रोफ़ाइल लोगों के घरों पर छापेमारी की गयी थी।
इस मामले में पुलिस ने सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवर राव, वेरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया था। इन सभी कार्यकर्ताओं पर भीमा कोरेगांव हिंसा एल्गार परिषद से जुड़े होने का भी आरोप था। पुलिस ने यह भी आरोप लगाया था कि इन अर्बन नक्सलियों ने पुणे में एल्गार परिषद सम्मेलन में सहायता की थी, जिसके बाद ही हिंसा फैली थी।
अब इस मामले की जांच NIA के हाथों में चली गयी है तो इन अर्बन नक्सलियों के खिलाफ निष्पक्ष तरीके से जांच हो सकेगी, और दोषियों को उपयुक्त सज़ा दी जा सकेगी। NCP की हताशा देखकर आप समझ सकते हैं कि इस फैसले से वह कितनी नाखुश है। स्पष्ट है NCP के करीबियों का भी भीमा कोरेगांव केस में नाम सामने आ सकता है। इसके लिए हमें जांच खत्म होने तक का इंतज़ार करना होगा।