आज दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल ने लगातार दूसरी बार और कुल मिलाकर तीसरी बार मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली है। केजरीवाल ने कई समुदायों का विश्वास जीतते हुए आम आदमी पार्टी को एक बार फिर बहुमत के आंकड़े के पार पहुंचाया, जिसमें प्रमुख रूप से महिलाएं भी शामिल थी। परंतु उन्हें ठेंगा दिखाते हुए अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर ये सिद्ध कर दिया कि वे वास्तव में महिला अधिकारों के कितने हितैषी हैं, क्योंकि इस बार भी केजरीवाल के प्रमुख कैबिनेट में किसी महिला को स्थान नहीं मिला है।
आज केजरीवाल के मंत्रिमण्डल के कुछ सदस्यों ने शपथ ली, जिसमें एक भी महिला शामिल नहीं थी। यहां तक कि आतिशी मार्लेना, जो कालकाजी क्षेत्र से 11300 से भी ज़्यादा मतों से विजयी हुईं हैं, कैबिनेट में स्थान मिलने से वंचित रही हैं। परंतु किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ये वही अरविंद केजरीवाल हैं, जिन्होंने दिल्ली के चुनाव से ऐन वक्त पहले ये ट्वीट किया था,
“वोट डालने ज़रूर जाइये। सभी महिलाओं से ख़ास अपील – जैसे आप घर की ज़िम्मेदारी उठाती हैं, वैसे ही मुल्क और दिल्ली की ज़िम्मेदारी भी आपके कंधों पर है। आप सभी महिलायें वोट डालने ज़रूर जायें और अपने घर के पुरुषों को भी ले जायें। पुरुषों से चर्चा ज़रूर करें कि किसे वोट देना सही रहेगा” –
वोट डालने ज़रूर जाइये
सभी महिलाओं से ख़ास अपील – जैसे आप घर की ज़िम्मेदारी उठाती हैं, वैसे ही मुल्क और दिल्ली की ज़िम्मेदारी भी आपके कंधों पर है। आप सभी महिलायें वोट डालने ज़रूर जायें और अपने घर के पुरुषों को भी ले जायें। पुरुषों से चर्चा ज़रूर करें कि किसे वोट देना सही रहेगा
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 8, 2020
इस विवादास्पद ट्वीट पर खूब बवाल मचा था और इसके पीछे स्मृति ईरानी ने भी अरविंद केजरीवाल को लताड़ते हुए लिखा, “आप क्या महिलाओं को इतना सक्षम नहीं समझते की वे स्वयं निर्धारित कर सकें कि किसे वोट देना है ? #महिलाविरोधीकेजरीवाल” –
आप क्या महिलाओं को इतना सक्षम नहीं समझते की वे स्वयं निर्धारित कर सके किसे वोट देना है ? #महिलाविरोधीकेजरीवाल https://t.co/fUnqt2gJZk
— Smriti Z Irani (Modi Ka Parivar) (@smritiirani) February 8, 2020
महिलाओं द्वारा बेहिसाब वोट किए जाने पर भी अरविंद केजरीवाल ने एक भी महिला को अपने कैबिनेट में जगह नहीं दी है। इंडियन एक्स्प्रेस द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 49 प्रतिशत पुरुषों के मुक़ाबले 60 प्रतिशत महिलाओं ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, “इस जेंडर गैप का असर ऐसा है कि यह सभी समुदायों और जातियों की सीमाओं को भी पार कर जाता है”।
केजरीवाल की विजय में उनके लोकलुभावन वादों का भी काफी अहम रोल रहा है। चाहे डीटीसी बसों और मेट्रो में महिलाओं को फ्री राइड की सुविधा हो, बिजली और पानी की मुफ्त सेवा हो, यह सभी महिला वोटरों को लुभाने में कामयाब रही है। कांग्रेस को महिला मतों का केवल 3 प्रतिशत मिला, और जबकि भाजपा को 35 प्रतिशत मत महिलाओं की ओर से मिले। पुरुषों द्वारा आम आदमी पार्टी और भाजपा को मिले वोटों में 6 प्रतिशत का ही अंतर था।
परंतु महिलाओं द्वारा आम आदमी पार्टी को जीताने में इतनी अहम भूमिका होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं को अपने कैबिनेट में कोई जगह नहीं दी है। दरअसल, केजरीवाल इन वादों से महिलाओं का उत्थान नहीं चाहते, अपितु उन्हें अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं। इसी बात पर प्रकाश डालते हुए एक नारीवादी मीडिया आउटलेट shethepeople.tv ने लिखा, “केजरीवाल के लोकलुभावन वादों को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि यहां केवल महिलाओं के सुरक्षा की बात की गई है, पुरुषों का व्यवहार बदलने की नहीं”।
परंतु ठहरिए, आम आदमी पार्टी का इतिहास यूं ही इतना खराब नहीं है। इससे पहले भी केजरीवाल कई अवसरों पर अपनी संकुचित विचारधारा को जगजाहिर कर चुके हैं। पिछले वर्ष एक अधेड़ उम्र की महिला ने आम आदमी पार्टी के विधायक मोहिंदर गोयल पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। कार्रवाई करना तो बहुत दूर की बात, आम आदमी पार्टी ने इस व्यक्ति को एक बार फिर दिल्ली के रिठाला क्षेत्र से टिकट दिया। दिलचस्प बात तो यह है कि इस विषय पर वामपंथी ब्रिगेड द्वारा कोई भी विरोध नहीं जताया गया है –
A woman in her 40s alleged that AAP MLA Mohinder Goyal raped her. https://t.co/fTgw0uLrC1
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) March 7, 2019
आम आदमी पार्टी की सरकार का इतिहास ऐसे विवादों से भरा पड़ा है। मालवीय नगर से चुनाव लड़ने वाले सोमनाथ भारती पर तो 2015 में पत्नी के साथ घरेलू हिंसा करने के आरोप हैं। ये और बात है कि उसके विरुद्ध मामले दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिये गए थे। परंतु सोमनाथ भारती कोई दूध के धुले नहीं हैं। 2015 में इन्होंने ही कहा था- “मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि यदि दिल्ली सरकार को पूरी आज़ादी दी गयी, तो सुंदर औरतों को अर्धरात्रि में भी बाहर जाने में कोई परेशानी नहीं होगी”। जिस तरह से उन्होंने सुंदर औरतों का reference दिया था, वो कितना परिपक्व था आप खुद समझ सकते हैं।
और हम उस घटना को कैसे भूल सकते हैं, जहां एक आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता को अरविंद केजरीवाल की निष्ठुरता के कारण आत्महत्या करनी पड़ी थी? उस महिला कार्यकर्ता ने अरविंद केजरीवाल से आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता रमेश भारद्वाज के विरुद्ध एक्शन लेने को कहा, क्योंकि उसने उस महिला कार्यकर्ता का यौन शोषण किया था।
परंतु कार्रवाई का आश्वासन तो बहुत दूर की बात, केजरीवाल ने उल्टे उस महिला से सुलह करने को कहा, जिसके कारण उस महिला कार्यकर्ता के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा। आज तो केजरीवाल इस पीड़िता के अस्तित्व को मानने से ही इनकार देता है। एक इंटरव्यू में पीड़िता के उल्लेख पर जनाब कहते हैं, ‘कौन है ये?’ –
Soni Mishra was an AAP volunteer, She committed suicide after Kejriwal said "Compromise kar le" when she complaint about sexual harassment.
Now Kejriwal refuses to even recognize her. This is the price Aam Aadmi have to pay in Politics. pic.twitter.com/ttuKg3HVSO
— BALA (@erbmjha) January 29, 2020
आम आदमी पार्टी ने लुटियंस मीडिया में अपनी लोकप्रियता बनाए रखी है। इसीलिए यदि वो कोई पाप भी करे, तो मीडिया के आँख और कान दोनों बंद रहते हैं। अब जिस तरह से केजरीवाल ने महिलाओं को अपने कैबिनेट से बाहर रखा है, उससे साफ सिद्ध होता है कि वे वास्तव में महिला अधिकारों के कितने हितैषी हैं।