पीएम मोदी ने एक स्वागतयोग्य फैसले में हेट स्पीच यानि भड़काऊ भाषण के दायरे को बढ़ाने की बात कही है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक प्रस्ताव पेश किया है कि अंतर क्षेत्रीय झड़पों को भड़काने के लिए किए गए भड़काऊ भाषणों को ‘हेट स्पीच’ की श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि देश के सभी नागरिकों को क्षेत्रीय व भाषाई आधार पर शोषित न किया जा सके और उन्हें सम्मान मिले।
भारत एक समृद्ध सांस्कृतिक विविधताओं से भरा राष्ट्र है, लेकिन देश में कुछ ऐसे तत्व हैं जो क्षेत्रीय, भाषाई आधार पर लोगों को प्रताड़ित करते हैं। अगर हम अतीत में जाएं तो शिवसेना और एमएनएस के करतूतों को देख पाएंगे कि कैसे उन्होंने उत्तर भारतीयों के खिलाफ भाषाई आधार पर प्रताड़ना की। ये दोनों पार्टियां उत्तर भारतीयों के खिलाफ जहर उगला करती थीं। उन्हें हिंदी भाषी लोगों से खास दुश्मनी थी। उनके नेता खुलेआम मंच से धमकी दिया करते थे। कहते थे कि उत्तर भारतीयों ने मराठियों का रोजगार छिन लिया। यहां तक कि मराठी न बोलने वाले लोगों को भगाया जाने लगा।
यह सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है क्षेत्रीय व भाषाई आधार पर नेताओं की बयानबाजी दक्षिण भारतीय नेताओं में भी कम नहीं है। यहां के नेता अपनी स्थानीय जनता को हिंदी भाषियों के खिलाफ भड़काते हैं। अगर दक्षिण भारत की राजनीति की बात करें तो वहां हिंदी बनाम तमिल, तेलुगु, कन्नड़ की होती है। यहां के नेता उत्तर भारतीयों के खिलाफ आग उगलने जैसा बयान देते हैं। पर दुर्भाग्य से इस तरह की बयानबाजी को अभद्र भाषा यानि हेट स्पीच के दायरे में नहीं शामिल किया गया है। इन्हीं कारणों से पीएम मोदी ने अभद्र भाषा के परिभाषा को और विस्तार करने की बात कही है।
पीएम मोदी ने दिसंबर में आयोजित राज्य पुलिस प्रमुखों और खुफिया/जांच एजेंसियों के वार्षिक सम्मेलन के दौरान अभद्र भाषा की परिभाषा के विस्तार की मांग की, जिसके बाद खुफिया ब्यूरो ने हाल ही में सभी राज्यों और मंत्रालयों को कार्रवाई के बिंदु भेजे।
मौजूदा कानूनों की समीक्षा करते हुए पीएम मोदी ने यह भी कहा कि, “हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि देश का कोई भी नागरिक अभद्र भाषा की वजह से अपमानित न हो”।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री एक राजनीतिक पार्टी के इशारों पर महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों पर हमले, या खालिस्तान जैसे एक अलग राज्य की मांग करने वाले नफरती लोगों के तरफ इशारा कर रहे थे।
इतना ही नहीं आज सोशल मीडिया के दौर में भी जातीय, क्षेत्रीय बयानबाजी काफी होती है। नेता से लेकर कुछ सांप्रदायिक तत्व तक लोगों पर अभद्र टिप्पणियां करते हैं। जिन्हें लगाम लगाने के लिए यह कानून किसी हथियार से कम नहीं होगा।
कुल मिलाकर, इस नए कानून से भारत की एकता और मजबूत होगी। जो भी लोग अपने बयानों से भारतीय एकता को तोड़ने का काम करते हैं, जो उत्तर-दक्षिण, कश्मीरी-नॉन कश्मीरी, मराठी और यूपी-बिहारी की एकता को भंग करने के लिए जहर उगलते हैं उनके खिलाफ ये नया संशोधित कानून किसी हथियार से कम नहीं होगा। पीएम मोदी ने ये काम आज किया है जिसे कई दशकों पहले ही कर देना चाहिए था।