शाहीन बाग़ में चल रहा विरोध प्रदर्शन अब अपनी आखिरी सांसे गिन रहा है, लेकिन अभी से पहले ही शाहीन बाग़ में दो गुट बनकर एक दूसरे के खिलाफ आकर खड़े हो गए हैं। इन दो गुटों में से एक गुट चाहता है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों से बात करे, जबकि एक गुट ऐसा भी है जो इन वार्ताकारों को कोई भाव नहीं देना चाहता। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कह चुका है कि प्रदर्शनकारियों का इस तरह सड़क जाम करना उचित नहीं है, और प्रदर्शनकारियों को किसी दूसरी जगह प्रदर्शन करना चाहिए, लेकिन शाहीन बाग़ में एक गुट इस बात को मानने को तैयार ही नहीं है।
कल भी शाहीन बाग़ में हमें साफ तौर पर यही देखने को मिला। दिन में करीब साढ़े 3 बजे वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामाचंद्रन प्रदर्शनकारियों से बात करने पहुंचे, लेकिन उनको बार-बार समझाने पर भी वो बिना मीडिया के सामने अलग से बात करने को राज़ी नहीं हुए। रामाचंद्रन ने उन्हें समझाने की कोशिश की, कि अभी CAA-NRC का मुद्दा कोर्ट में लंबित है और इस तरह सड़क जाम करना उचित नहीं है, लेकिन एक गुट ऐसा था जो सिर्फ मीडिया और हो-हल्ले के जरिये ही सरकार से संवाद करना चाहता था। स्थिति को देखकर रामाचंद्रन ने जैसे ही कहा कि इस तरह बात नहीं हो सकती और वे कल शाहीन बाग़ नहीं आएंगे, तो शाहीन बाग़ का दूसरा गुट तुरंत मनाने उन्हें पहुंच गया।
अब इन दो गुटों को देखकर खुद वार्ताकार भी अचंभित हैं कि आखिर बात करें तो किससे करें। एक तरफ इसे प्रदर्शन को लोग बूढ़ी महिलाओं और दादियों का प्रदर्शन बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ इस प्रदर्शन में हमें कम उम्र की पढ़ी लिखी लड़कियां देखने को मिलती है, जो वार्ताकारों से बात करने पर बिलकुल भी राज़ी नहीं होती।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने धरने पर बैठे लोगों को समझाने के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है, जिसमें वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन के अलावा देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह शामिल हैं। वार्ताकारों ने बुधवार और गुरुवार को शाहीन बाग जाकर प्रदर्शनकारियों को दूसरी जगह शिफ्ट होने के लिए समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। शाहीन बाग़ के इन प्रदर्शनकारियों को देखकर लगता है कि यह विवाद कभी नहीं सुलझने वाला, हालांकि इतना तय है कि अभी सड़क बंद होने से लोगों को किसी राहत की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
दिल्ली चुनावों की वजह से पहले ही शाहीन बाग़ बहुत सुर्खियां बंटोर चुका है। इन प्रदर्शनों के पीछे PFI और कई राजनीतीक पार्टियों का हाथ बताया जा चुका है। ED ने तो यह तक स्पष्ट कर दिया था कि शाहीन बाग में होने वाले प्रदर्शन में PFI का हाथ है और इस संगठन का सीधा लिंक AAP और कांग्रेस ने नेताओं से है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार 24 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई तक इन प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत में किसी निष्कर्ष तक पहुंच पाते हैं या नहीं!