आज संसद में वित्त मंत्री ने बजट पेश किया। अपने भाषण में उन्होंने भारतवर्ष की विविधता, चाहे भाषा हो या सांस्कृतिक विरासत सभी का समावेश किया। उत्तर के कश्मीरी कवि से लेकर दक्षिण के तमिल कवि तक के दर्शन को उन्होंने अपने भाषण में समाहित किया था। हालांकि, यह एक लंबा बजट भाषण था लेकिन विपक्ष ने जिस तरह से संसद में होहल्ला किया, अशोभनिए था। बजट भाषण के दौरान यह ध्यान देने वाली बात थी कि जब भी वित्त मंत्री ने भारत के वास्तविक इतिहास और संस्कृति की बात की तब-तब विपक्ष ने ऐसा हँगामा किया जैसे उन्होंने कुछ उल्टा-सीधा कह दिया हो!
वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान पंडित दीनानाथ कौल की कश्मीरी कविता पढ़ी, जिसे सुनकर सदन में तालियां बजने लगीं और पूरा सदन गूंज उठा। लेकिन विपक्ष को यह नहीं पचा और इस पर भी हो-हल्ला मचाना शुरू कर दिया। वित्त मंत्री के इस कविता की पक्तियां कुछ इस प्रकार थी, “हमारा वतन खिलते हुए शालीमार बाग जैसा, हमारा वतन डल झील में तैरते हुए कमल जैसा, नौजवानों के गर्म खून जैसा, मेरा वतन तेरा वतन हमारा वतन, दुनिया का सबसे प्यारा वतन…!
ऐसा लगता है कि कांग्रेस और अन्य विपक्ष दल को भारत की संस्कृति के बारे में या तो पता नहीं है या फिर वे अपनी संस्कृति को मिटाने के लिए इस तरह के बर्ताव करते हैं। यह आज से नहीं होता आ रहा है। यह तब से चालू है जब से भारत वर्ष पर इस्लामिक हमले होने शुरू हुए और उन हमलों का महिमामंडन किया गया। तब से भारतीयों के मन में संस्कृति के प्रति हिन भावना पैदा हो गयी है। इन विपक्ष के नेताओं में भी यही देखने को मिल रहा है।
इसके बाद जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजटीय भाषण में 4000 साल पूरानी सिंधु सभ्यता का जिक्र किया। वित्त मंत्री ने कहा कि ‘कॉमन एरा 4000 पुरानी सरस्वती-सिंधु सभ्यता की लिपि से पता चलता है कि भारत मेटलर्जी औऱ कारोबार में आगे था’। यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि वित्त मंत्री ने सिंधु घाटी सभ्यता नहीं बल्कि सरस्वती-सिंधु कहा। बता दें कि सरस्वती नदी को कांग्रेस के इतिहासकर काल्पनिक मानते हैं लेकिन यह सिद्ध हो चुका है सरस्वती वास्तविक नदी है और उसके किनारे सभ्यता भी समृद्ध हुई थी।
निर्मला सीतारमण यहीं नहीं रुकी और उन्होंने आगे तमिल कवि तिरुवल्लूर की कविता भी सुनाई। उन्होंने मूल तमिल कविता (Piniyinmai Selvam Vilaivinpam Emam Aniyenpa Naattiv Vaindhu) को पढ़ा और फिर उसका अनुवाद समझाते हुए कहा कि ‘एक आदर्श देश में पांच चीज़ें होती हैं। वहां बीमारियां न हो, पैसा हो, अच्छी फसल हो, खुशहाली हो और जगह सुरक्षित हो। लेकिन जब जब उन्होंने भारतीय संस्कृति की बात की तब-तब कांग्रेस और विपक्षी दल हँगामा कर रहे थे। हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व में लगातार विरोध और उकसावे के बाद भी निर्मला ने आधुनिक बजट के संदर्भ में सांस्कृतिक reference दिया। निर्मला सीतारमण का संकृतिक उल्लेख पर नाराजगी सिर्फ संसद तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि विरोधियों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी नाराजगी जताई।
वित्त मंत्री यहीं नहीं रुकी उन्होंने कालिदास के रघुवंशम की भी चर्चा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम् के प्रथम सर्ग के 18 वें श्लोक का जिक्र किया जिसमें महाकवि कालिदास ने राजा दिलीप की कर व्यवस्था के बारे में बताया है।
प्रजानामेव भूत्यर्थं स ताभ्यो बलिमग्रहीत् ।
सहस्रगुणमुत्स्रष्टुमादत्ते हि रसं रवि: ॥ (रघुवंश १ । १८)
इस श्लोक का अर्थ है कि जैसे सूर्य हजार गुना पानी बरसाने के लिए ही पृथ्वी के जल का बहुत कम भाग लेता है, वैसे ही सूर्यवंशी राजा भी अपनी प्रजा के हितके लिए ही प्रजा से बहुत कम मात्रा में कर लिया करते थे।
कांग्रेस इस पर भी हँगामा करती रही। कांग्रेस की हालत देख कर एक बात तो स्पष्ट हो गयी कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल न्यूटन के 1st law का अनुसरण करते हैं। न्यूटन का प्रथम सिधान्त यह कहता है कि यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है तो वह तब तक विराम अवस्था में ही रहेगी जब तक उसपर कोई बाहरी बल न लगाया जाये, और गतिशील है तो तब तक एकसमान गति की अवस्था में रहेगी जब तक की उसपर बाहरी बल लगाकर उसे स्थिर न किया जाये। विपक्षी दलों की हालत भी कुछ ऐसी ही है।
हालाँकि, यह पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं था क्योंकि भारतीय संसद के इतिहास में शायद यह पहली बार था जब बजट को पूरी तरह से भारतीय संस्कृति के साथ पेश किया गया था। यह पहली बार हो रहा था जब हमारे भारतीय इतिहास को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर महत्वपूर्ण ध्यान दिया गया। आम तौर पर प्रचलन में सिंधु घाटी सभ्यता का उल्लेख मिलता है लेकिन निर्मला सीतारमन ने, सरस्वती सिंधु सभ्यता का उल्लेख किया। यह उन लोगों की भावनाओं के लिए एक झटका था जो दशकों से आर्यन – द्रविण के झूठे सिद्धांत को मानते हैं और उसे ही फैलाते हैं।
हमें अक्सर बताया जाता है कि कैसे द्रविड़ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी थे, और आक्रमणकारी आर्यों ने उन्हें दक्षिण में जाने पर मजबूर किया। हालांकि यह सिधान्त अब पूरी तरह से झूठा साबित हो चुका है। इस वजह से जब वित्त मंत्री ने सरस्वती सिंधु सभ्यता और संत तिरुवल्लुवर का वर्णन किया तो विपक्ष के सदस्यों को आहात करने के लिए यह काफी था।
सच कहूं तो, यह भारत के इतिहास में प्रस्तुत पहला बजट है जो सभी पहलुओं में भारतीय था। निर्मला सीतारमण ने भविष्य के सांसदों के लिए एक प्रभावशाली बेंचमार्क स्थापित किया है।