त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार एक नए स्वरूप में। कभी अपने बयानों के लिए विवादों के घेरे में रहने वाले बिप्लब कुमार देब ने अपनी सोशल मीडिया के छवि पर काफी ध्यान दिया, जो उनके हालिया ट्वीट्स में भी झलकता है। पिछले कुछ दिनों से महोदय ने सोशल मीडिया पर तबाही मचा रखी है, और हाल ही में उनका शिकार बने हैं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया [मार्क्सवादी] के कुछ ओवर Enthusiastic नेता, जिन्हें आज भी लगता है कि एक इशारे पर पूरा देश उनके सामने झुक जाएगा।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की कि वे भारत के दौरे पर आ रहे हैं, और स्वभाव अनुसार सीपीआई ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया। पीटीआई के एक ट्वीट के अनुसार डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे के दौरान सीपीआई [एम] इसका विरोध करेगी। इसपर बिप्लब कुमार देब ने तुरंत कटाक्ष से परिपूर्ण एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होने केवल इतना ही लिखा, “तीनों पार्टी कार्यकर्ता करेंगे न?”
All the three party workers? 😂 https://t.co/EInQRY6P6c
— Biplab Kumar Deb (MODI Ka Parivar) (@BjpBiplab) February 13, 2020
एक ट्वीट में बिप्लब कुमार देब ने मार्क्सवादियों पर ऐसा प्रहार किया कि अब उनसे न निगलते बन रहा है, न ही उगलते। जनाब ने सीपीआई [एम] के राजनीतिक प्रदर्शन पर इस ट्वीट के माध्यम से एक अप्रत्यक्ष, परंतु कड़ा प्रहार किया है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में सीपीआई [एम] को कुल मिलाकर 950 से भी कम मत मिले, जो वैध वोटों का मात्र 0.01 प्रतिशत था। कभी पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा जैसे राज्यों पर एकछत्र राज करने वाले वामपंथियों को आज केरल छोड़कर लगभग हर राज्य में जमानत बचाने तक के लाले पड़े हुए हैं।
कई जगह तो चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों के मत का अंतर ही मार्क्सवादियों को मिले कुल वोट से ज़्यादा होता है। इससे ज़्यादा बेइज्जती की बात क्या हो सकती है कि कभी भारत भर में 60-80 के दशक में एक मजबूत पकड़ रखने वाली सीपीआई आजकल नोटा से भी कम वोट लाती है। इसी परिप्रेक्ष्य में बिप्लब देब ने एक और ट्वीट किया था, जिसमें उन्होने सीताराम येचुरी के भाजपा की हार पर प्रसन्नता व्यक्त करने वाले बयान के जवाब में कहा, “बात भी कौन कर रहा है? वामपंथी विचारधारा पर काम करने वाली जिस पार्टी को नोटा से भी कम मत मिले हों, वो कृपया ऐसे ज्ञान न बांटें” –
Look who is talking about befitting reply to hate and violence, the party which has got less votes than NOTA and follows the leftist ideology. https://t.co/EvHgAsZAYA
— Biplab Kumar Deb (MODI Ka Parivar) (@BjpBiplab) February 12, 2020
परंतु सीपीआई [एम] की हरकतों को देखते हुए एक कहावत उनपर एकदम सटीक बैठती है, ‘चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये’। पुलवामा के कायराना हमले पर राहुल गांधी ने अपने विवादास्पद बयान से काफी सुर्खियां बटोरी थी, परंतु सीताराम येचुरी भी कहीं कम नहीं थे। उन्होंने भी पुलवामा के हमले पर राजनीतिक रोटियाँ सेंकते हुए ट्वीट किया, “पुलवामा के हुतात्माओं के नाम पर मोदी और भाजपा ने प्रत्यक्ष रूप से वोट मांगे। देश के लिए अपनी जान गँवाने वालों के परिवारजनों के लिए आखिर मोदी सरकार ने किया क्या है अब तक?”
इस पर भी बिप्लब कुमार देब ने वामपंथियों का स्याह पहलू उजागर करते हुए कहा, “श्रीमान येचुरी, आप उस पार्टी का हिस्सा हैं जो चीन के विरुद्ध 1962 में हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों के लिए रक्तदान कराने का विरोध कर रहा था। हम वो पार्टी हैं, जिसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और उसकी रक्षा में जुटे सैनिक आज भी सर्वोपरि हैं”
Mr. Yechury, you belong to the party that was against donating blood to the Indian soldiers during 1962 war with China. We are a party whose top priority is national security and the soldiers who are ensuring it. https://t.co/UQtO7lQwIh pic.twitter.com/TsLhEBnw1X
— Biplab Kumar Deb (MODI Ka Parivar) (@BjpBiplab) February 14, 2020
परंतु बिप्लब कुमार देब के सोशल मीडिया छवि में ये क्रांतिकारी बदलाव यूं ही नहीं आया। वे पहले भी इसी तरह से अपने विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब देते थे, परंतु भाषाई समस्या के कारण उनके बयानों को अक्सर मीडिया तोड़-मरोड़ के पेश करती थी, जिससे बिप्लब देब की छवि को काफी नुकसान पहुंचता था। उदाहरण के लिए जब उन्होंने युवाओं को गौ पालन और उससे जुड़े फायदे गिनाए, तो मीडिया ने यह अफवाह फैलाई कि बिप्लब देब ने रोजगार के लिए नौकरी की लालसा छोड़ गौपालन करने को कहा है।
Har ghar mein gai honi chahiye. Yahan dudh Rs 50 litre hai, toh ek gai paal le, koi graduate hai, naukri ke liye ghoomta rehta hai 10 saal se, agar 10 saal gai paal leta toh apne aap Rs 10 lakh ka bank balance tayar ho jata: Tripura CM Biplab Kumar Deb (28.04.18) pic.twitter.com/x5Gu6elttv
— ANI (@ANI) April 29, 2018
मीडिया ने पीएम मोदी द्वारा बिप्लब देब को ‘बुलाने’ को लेकर फैलाई झूठी खबर
पर बात यहीं पर नहीं रुकी। महाभारत काल में इंटरनेट और सैटेलाइट के दावे से लेकर मिस यूनिवर्स डायना हेडन की आलोचना तक मीडिया आग में घी डालने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही थी ताकि वो इस ताजा विवाद को तोड़-मोड़ कर अपने एजेंडे के अनुरूप इस्तेमाल कर सके। ऐसे में बिप्लब कुमार देब ने सोशल मीडिया की कमान स्वयं अपने हाथों में ली है, और पिछले कुछ दिनों से वे विपक्ष के खोखले दावों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कई राज्यों की तुलना में त्रिपुरा सर्वप्रथम राज्य था जहां सीएए और एनआरसी के प्रति विरोध शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया।
बिप्लब कुमार देब उन नेताओं में शामिल हैं, जो संकट आने पर घबराने की बजाए उसका डटकर सामना करते हैं। चूंकि उन्होंने सुनील देवधर के साथ मिलकर त्रिपुरा से 2 दशक बाद वामपंथी शासन को उखाड़ फेंका, इसलिए वे वामपंथी ब्रिगेड के निशाने पर अक्सर रहते हैं। परंतु बिप्लब कुमार देब भी कम नहीं है, और वर्तमान ट्वीट्स से इतना तो सिद्ध होता है कि वे आगे भी विपक्षियों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।