सोमवार को ऑस्कर अवार्ड्स की घोषणा की गयी। इस ऑस्कर समारोह में बोंग जून हो द्वारा निर्देशित दक्षिण कोरिया की फिल्म ‘पैरासाइट’ ने इतिहास रचते हुए न केवल सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म का पुरस्कार जीता, अपितु सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी जीता। पैरासाइट’ ऐसा कीर्तिमान रचने वाली ‘इतिहास की पहली फिल्म है।
इसके अलावा ‘पैरासाइट’ ने सर्वश्रेष्ठ ओरिजिनल स्क्रीनप्ले और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के ऑस्कर पुरस्कार भी अर्जित किए। इतना ही नहीं, पिछले वर्ष इसी फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए प्रसिद्ध कान फिल्म फेस्टिवल के बहुप्रतिष्ठित गोल्डेन पाम यानि पाम डी ओर [Palm D’Or] को भी अपने नाम किया है। यह उपलब्धि दक्षिण कोरिया के निस्संदेह गौरव का क्षण है, परंतु इस उपलब्धि से यह भी सिद्ध होता है कि दक्षिण कोरिया ने किस तरह से योग्यता और प्रतिभा को तवज्जो दे कर समूचे एशिया के लिए एक बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत किया है।
Parasite | 4 wins out of 6 nominations | First non-English movie to win the Best Picture
🏆 Best Original Screenplay
🏆 Best International Feature Film
🏆 Best Director
🏆 BEST PICTURE pic.twitter.com/0cMWTXoflN— Saranghaeyo Oppa (@SaranghaeyOppaa) February 10, 2020
परंतु दक्षिण कोरिया सॉफ्ट पावर के मामले में इतना अग्रणी कैसे है? इसके लिए हमें द्वितीय विश्व युद्ध पर थोड़ा प्रकाश डालना पड़ेगा। जब कोरिया पर जापान का आधिपत्य था। विश्व युद्ध हारने पर कोरिया पर Allies ने कब्जा जमा लिया। उत्तरी क्षेत्र पर USSR ने आधिपत्य जमा लिया, जबकि दक्षिणी क्षेत्र पर अमेरिका ने आधिपत्य जमाया था। आगे चलकर ये वर्चस्व की लड़ाई कोरिया के विभाजन का कारण बना।
दक्षिण कोरिया को अपने पड़ोसी के मुक़ाबले कम संसाधन और प्रतिभा हाथ लगी थी। परंतु जो दक्षिण कोरिया ने आने वाले दशकों में प्राप्त किया है, वो केवल दक्षिण पूर्वी एशिया के लिए ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण एशियाई महाद्वीप के लिए एक बेजोड़ उदाहरण बन गया है।
जो बोंग जून हो के ‘पैरासाइट’ ने प्राप्त किया, वो तो मात्र एक उदाहरण है। दक्षिण कोरिया ने सिनेमा, संगीत, उद्योग, परिवहन इत्यादि में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं, और जिसकी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मानती है। उदाहरण के लिए ‘के पॉप’ को देख लीजिए। पाश्चात्य शैली के संगीत का कोरियाई भाषाई में अद्भुत मिश्रण आज पूरी दुनिया को कोरियाई प्रतिभा का दीवाना बना चुका है। अब यह मत कहिएगा कि गंगनम स्टाइल आपको याद नहीं है।
‘के पॉप’ के सबसे उत्कृष्ट उपलब्धियों में से एक माने जाने वाले इस म्यूज़िक वीडियो ने 2012 में यूट्यूब पर मानो गर्दा ही उड़ा दिया था। इस वीडियो ने यूट्यूब पर अभी तक 3.5 अरब से ज़्यादा व्यू कमाए हैं, और 2012 के यूट्यूब वीडियो में ये सबसे लोकप्रिय वीडियो मानी गयी थी। PSY के नक्शेकदम पर चलकर अब BTS जैसे रॉक बैंड भी दुनिया भर में कोरियाई प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।
परंतु कोरिया का प्रभाव केवल सिनेमा और संगीत तक ही सीमित नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो मोबाइल के क्षेत्र में भी कोरिया ने अपने उत्पादों से दुनिया भर में अपनी धाक जमाई हुई है। स्मार्ट फोन में सैमसंग और एलजी के ब्रांड हो, इलेक्ट्रॉनिक्स में एलजी हो, या फिर आटोमोबाइल में ह्यून्डाई और KIA मोटर्स जैसे कंपनी ही क्यों न हो, आप बस बोलते जाइए और कोरिया ने इन सभी क्षेत्रों में अपने उत्पादों से विश्व भर में कोरियाई प्रतिभा की धाक जमाई है।
खेलों के क्षेत्र में दक्षिण कोरिया के क्या कहने। ओलंपिक खेलों में ये विश्व के टॉप 20 मेडल विनर्स की सूची में दक्षिण कोरिया हमेशा अपना स्थान बनाती है। खेलों में दक्षिण कोरिया कितना प्रतिभाशाली है, इस बात का प्रमाण आप इसी बात से लगा सकते हो कि वो फीफा फुटबॉल विश्व कप में सेमीफ़ाइनल में पहुँचने वाली एकमात्र एशियाई देश है, और यह रिकॉर्ड आज भी यथावत है।
ऐसे ही कोरियाई सिनेमा के प्रतिभा को भी सलाम करने को अब सिनेमाई जगत को विवश होना पड़ा है। कोरियाई सिनेमा में प्रतिभा की कभी कोई कमी नहीं थी, कमी थी तो बस अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की। एक कोरियाई विश्वविद्यालय में काम करने वाले Mr Bechervaise का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा को कोरियाई प्रतिभा पहचानने में काफी समय लग गया। उनके अनुसार, “कान जैसे फिल्म फेस्टिवल में कोरियाई प्रतिभा को पहचानने में वर्षों लग गए, और अब जाकर किसी फिल्म [पैरासाइट] ने वहां ‘पाम डी ओर’ जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार कमाया है। पिछली बार हम ऐसे पुरस्कार जीतते जीतते रह गए थे, और केवल ‘द हैंडमेडन’ को 2018 में बाफ्टा पुरस्कार मिला था”।
आप कोरियाई सिनेमा के प्रभाव का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि हमारे भारतीय सिनेमा के कई निर्माता आज भी उनकी कई फिल्मों की रीमेक यदा कदा बनाते हैं, यह और बात है कि उनमें से बहुत कम फिल्में ही मूल फिल्म के विषय और उसके कंटेंट के साथ न्याय कर पाती हैं। ‘बोंग जून हो’ द्वारा निर्देशित ‘पैरासाइट’ उनकी पहली ऐसी फिल्म नहीं है, जिसने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति पायी है। ‘मेमोरीज़ ऑफ मर्डर’ हो, ‘द होस्ट’ हो, ‘स्नोपियर्सर’ हो या ‘ओक्जा’ हो, सभी ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई है।
सच कहें तो ‘पैरासाइट’ इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि कैसे दक्षिण कोरिया ने एक सॉफ्ट पावर के तौर पर हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। हम आशा करते हैं कि दक्षिण कोरिया ऐसे ही ख्याति प्राप्त करती रहे और एशिया के सभी देश इस छोटे से देश की बड़ी उपलब्धियों को आत्मसात करे।