मोदी सरकार की डिजिटल इंडिया की योजना के तहत लॉन्च हुआ इंस्टेंट रियल टाइम पेमेंट सिस्टम UPI हर दिन अपनी सफलता के नए आयाम छूता जा रहा है। यही कारण है कि अब जहां एक और गूगल अमेरिकी सरकार से अमेरिका में भी इसी तरह का पेमेंट सिस्टम विकसित करने की बात कह रहा है तो वहीं अब दुनिया की एक अन्य बड़ी टेक्नोलॉजिकल कंपनी पेपल ने भी भारत में UPI आधारित पीयर टू पीयर (पी2पी) पेमेंट एप लॉंच करने का फैसला लिया है। यानि अब आप गूगल पे, फोन पे और पेटीएम के अलावा पेपल की सहायता से भी UPI पेमेंट कर सकेंगे। अधिक से अधिक कंपनियों का UPI आधारित पेमेंट सिस्टम को अपनाना दिखाता है कि UPI बेहद सफल पेमेंट सिस्टम साबित हुआ है।
बता दें कि इससे पहले पिछले वर्ष दिसंबर में अमेरिका की सबसे बड़ी टेक्निकल कंपनियों में से एक गूगल ने यूएस के केन्द्रीय बैंक यानि फेडरल रिज़र्व को सुझाव दिया था कि वे भारत द्वारा संचालित यूपीआई का अनुसरण करे, जिससे अमेरिका में तेज़ गति से भुगतान संभव हो सके। गूगल ने तब फेडरल रिज़र्व को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने न केवल यूपीआई की सफलता के बारे में बात की थी, अपितु यूपीआई की तर्ज पर यूएस में ‘FedNow’ नामक एक आरटीजीएस प्लैटफ़ार्म निर्मित करने का भी सुझाव दिया था। स्वयं गूगल द्वारा संचालित गूगल पे भी यूपीआई का एक अहम हिस्सा बन चुका है। गूगल के भारतीय विभाग से संबन्धित सीज़र सेनगुप्ता कहते हैं, “हम इस बात को स्पष्ट रहे हैं कि डिजिटल पेमेंट को सुचारु रूप से सक्रिय रखने के लिए बैंक, सरकार और टेक कंपनीज़ के बीच उचित साझेदारी ही सही है, जो यूपीआई जैसे स्पष्ट और स्टैंडर्ड आधारित इनफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देती है”।
2017 में लॉन्च हुई यूपीआई अब विश्व भर में अपनी क्षमता का लोहा मनवा रही है। फिडेलिटी नेशनल इन्फॉर्मेशन सर्विसेज द्वारा ‘पोस्ट पेमेंट्स इनोवेशन इंडेक्स’ में यूपीआई को सर्वश्रेष्ठ त्वरित पेमेंट इंटरफेस [IMPS] की उपाधि मिली थी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने देश के वित्तीय प्रणाली के डिजिटलाइजेशन को लागू करने हेतु डिजिटल और कार्ड गतिविधियों में भारी कटौती की, जिसके कारण देशभर में डिजिटल गतिविधियों के क्षेत्र में क्रान्ति आ गयी। नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में डिजिटल इंडिया की मुहिम लगातार आगे बढ़ रही है। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 में यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस यानि यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट ने डेबिट कार्ड से हुए लेनदेन को भी पीछे छोड़ दिया है। वित्त वर्ष 2019 में देश में 5.35 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए, जबकि डेबिट कार्ड के जरिए सिर्फ 4.41 बिलियन लेनदेन हुए। देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि यूपीआई ट्रांजेशक्शन के आंकड़ों ने डेबिट कार्ड के जरिए लेनदेन के आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है। इससे यह साबित होता है कि देशवासियों में डिजिटल पेमेंट के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है।
यही कारण है कि अब ग्राहकों की पसंद को देखते हुए अमेरिकी कंपनियाँ भी UPI आधारित पेमेंट सिस्टम ही विकसित कर रही हैं और UPI को बढ़ावा दे रही हैं। अब तक तकनीक के मामले में और खासकर ऑनलाइन भुगतान से जुड़ी संवेदनशील तकनीक के मामले में भारत अमेरिकी कंपनियों का ही अनुसरण करता था, लेकिन ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि अमेरिकी कंपनियाँ भारत में बने UPI को अपनी तकनीक से बेहतर मान रही हैं और अमेरिका में भी ऐसी ही तकनीक को विकसित करने की मांग कर रहा है। अब भारत में UPI आधारित पेमेंट एप लॉन्च करने के बाद ना सिर्फ पेपल के जरिये भारतीय ग्राहक अंतर्राष्ट्रीय भुगतान कर सकेंगे, बल्कि इससे देश कैश-लैस इकॉनमी बनने की ओर भी अग्रसर होगा।