दिल्ली दंगों की आड़ में पश्चिमी मीडिया भारत को बदनाम करने की भरपूर कोशिश कर रही है। 24 फरवरी को राष्ट्रपति ट्रम्प जब भारत के दौरे पर आए थे, तो उसी के बाद से पश्चिमी मीडिया का भारत पर हमला तेज हो गया है और दिल्ली में हुए दंगों ने पश्चिमी मीडिया को भारत को बदनाम करने का एक स्वर्णिम अवसर प्रदान कर दिया। ऐसे में अब अमेरिकी अखबार भारतीय पत्रकारों को भारत विरोधी और हिन्दू विरोधी लेख लिखने के लिए हजारों डॉलर देने का ऑफर दे रहे हैं।
ये खुलासा कल द पायोनीर के लिए लिखने वाले पत्रकार जे गोपीकृष्णन ने अपने ट्वीट के माध्यम से किया। जे गोपीकृष्णन ने अपने ट्वीट में खुलासा किया कि उन्हें ट्रम्प के भारत दौरे और दिल्ली में हुई हिंसा को आपस में जोड़कर 1 हज़ार शब्दों का लेख लिखने के बदले एक अमेरिकी अखबार द्वारा 1500 डॉलर देने का ऑफर दिया गया।
जे गोपीकृष्णन ने इसको लेकर अपने ट्वीट में लिखा “ये अपना एजेंडा फैलाने के लिए कुछ भी करते हैं, आखिर हम सब हैं तो मनुष्य ही। ट्रम्प इन्हें presstitutes बिलकुल सही कहते हैं। शर्म आती है ऐसे भारतीय पत्रकारों पर जो कुछ रुपयों के लिए अपने आप को बेच देते हैं”। इसके बाद एक अन्य ट्वीट में वे लिखते हैं “मैं गुस्से में क्यों हूँ, एक अमेरिकी अखबार ने मुझे दिल्ली दंगों को ट्रम्प से जोड़कर एक लेख लिखने के बदले 1500 डॉलर देने का ऑफर दिया। मैंने उन्हें जवाब दिया, ट्रम्प तुम्हें presstitutes यूं ही नहीं कहते”।
Rascals … These crooks see everything on negative perspectives….at the end alll are humans….Trump is right calling them Presstitutes…Hate Indian origin journos selling their souls for few Dollars…. https://t.co/jNMNy2hMeq
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) February 29, 2020
Why i am angry? A US Newspaper today asked me write on Delhi Riots asking how many died on Religion basis in connection with Trump's visit. Rate was $1500 for 1000 words….My Reply was : Your President Trump rightly call you as Presstitutes @#$%^&* @#$%^ 😡😡 https://t.co/DIdQBusN5a
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) February 29, 2020
इससे साफ होता है कि पश्चिमी मीडिया अब भारत और हिंदुओं को बदनाम करने के लिए जान-बूझकर लाखों रुपये देकर पत्रकारों को ऐसे लेख लिखने के लिए लुभाने की कोशिश कर रही है, और दुर्भाग्य की बात यह है कि भारत के कुछ पत्रकार कुछ रुपयों के लिए ऐसा करने के लिए तैयार भी हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर भारत के राणा अय्यूब और बरखा दत्त जैसे पत्रकार अमेरिकी मीडिया के लिए समय-समय पर हिन्दू-विरोधी और भारत विरोधी लेख लिखते रहते हैं। अरुंधति रॉय जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी भी रुपयों के लिए भारत को बदनाम करने से पीछे नहीं हटते।
हाल ही में वॉशिंगटन पोस्ट के लिए लिखते हुए बरखा दत्त ने भी दिल्ली दंगों को ट्रम्प की भारत यात्रा से जोड़कर पेश किया। उन्होंने एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था “भारत में अब नफरत की राजनीति जगजाहिर हो चुकी है”। इस लेख में बरखा दत्त ने लिखा कि पीएम मोदी ट्रम्प की भारत यात्रा से सुस्त पड़ी इकॉनमी, दिल्ली में मिली हार और वैश्विक मीडिया में अपनी खराब छवि को दुरुस्त करना चाहते थे, लेकिन तभी दिल्ली में मुस्लिम विरोधी हिंसा हो गयी”। बरखा दत्त ने इस तथ्य को पूरा छिपा लिया कि इस हिंसा में बड़ी संख्या में हिन्दू भी मारे गए हैं”।
द पायोनीर के पत्रकार जे गोपीकृष्णन के खुलासे से यह स्पष्ट हो गया है कि बरखा दत्त जैसे पत्रकार कुछ रुपयों के लिए ही वैश्विक मीडिया में झूठ छापने के लिए तैयार हो जाते हैं। ये देश के हितों को नहीं, बल्कि अपने निजी हितों को पहले देखते हैं। इससे इनकी खबरों की गुणवत्ता और ऐसे पत्रकारों की विश्वसनीयता के बारे में भली भांति पता चल जाता है।