दुनिया में किसी भी चीज़ के बारे में जानकारी पाने के लिए आम व्यक्ति सबसे पहले विकिपीडिया पर ही जाता है। परंतु विकिपीडिया हिंदू विरोधी और भारत विरोधी प्रोपेगैंडे का मंच बनता जा रहा है, जिसे पुरी दुनिया पढ़ रही है।
हाल ही में दिल्ली के दंगों के बारे में विकीपीडिया पर एक लेख लिखा गया था जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कैसे एक पक्ष ने हिंदुओं को हिंसा के लिए पूरी तरह जिम्मेदार बताया है।
यह पेज अब तक 1600 से अधिक बार एडिट किया जा चुका है। यह ठीक NCERT की किताबों की तरह ही है, जिसे पढ़ाकर आम लोगों का ब्रेनवाश किया जा रहा है।
यह सभी को पता है कि विकिपीडिया के किसी भी लेख को एडिट किया जा सकता है, उसके बाद उसके एडिटर, किसी भी एडिटिंग को हरी झंडी दिखाते हैं। शुरुआत में तो दिल्ली दंगों के पेज पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा मचाए गए उत्पात को बिल्कुल भी कवर नहीं किया गया था। उल्टे कपिल मिश्रा को पूरे प्रकरण के लिए दोषी सिद्ध करते हुए कहा गया था कि ये दंगे धार्मिक, राष्ट्रवाद और इस्लामोफोबिया के कारण हुए हैं।
पूर्वोत्तर दिल्ली की हिंसा से संबंधित लेख को DBigXray नामक एक यूज़र ने लिखा था। विकिपीडिया में पॉलिसी रही है कि चाहे कुछ भी हो, हर दावे को कई स्त्रोतों से verify कराना बेहद आवश्यक है। परंतु अपने ही नीतियों की धज्जियां उड़ाते हुए इस लेख में केवल एक ही पक्ष के विचारों को सामने रखा गया। चाहे सीएए समर्थक भीड़ द्वारा पत्रकारों को धमकाने की अफवाह हो, या फिर कपिल मिश्रा को पूरी दिल्ली प्रकरण के लिए एकमात्र दोषी बनाना हो, ऐसा लग रहा था कि आदमी पार्टी की PR टीम ने इस तरह का लेख लिखा हो।
मॉडरेटर ने अमानतुल्लाह खान के बारे में भी कोई उल्लेख करने से साफ मना कर दिया था। इस लेख पर यदि ध्यान दें, तो एक आम आदमी को यही लगेगा कि हिंदुओं ने अपने आंतरिक मुगलों को जगाकर पूरे दिल्ली पर बर्बरता की। परंतु सच्चाई इससे कोसों दूर है। 25 फरवरी को, एक मुस्लिम भीड़ ने शांतिपूर्वक मार्च कर रहे हिंदुओं पर तेजाब फेंक दिया, परंतु लेख में इस घटना का उल्लेख है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्षेत्र में तैनात किए गए अर्धसैनिक बलों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा तेजाब फेंका गया था।
कितनी चतुराई से विकिपीडिया ने हिंदुओं को दोषी बनाते हुए एक पक्ष को शांतिदूत करार दिया है। यह पेज अब तक लगभग 1600 से अधिक बार एडिट किया जा चुका है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह हिन्दू विरोधी गैंग अपने काम पर लगे हुए हैं।
जब भी कोई मामला सामने आता है तो तुरंत विकिपीडिया पर उससे संबन्धित मामलों की एडिटिंग शुरू हो जाती है। उदाहरण के लिए जब पुलवामा हमला हुआ था तब पाकिस्तान से कई बार पेज की एडिटिंग की गयी थी।
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब विकिपीडिया पर इस तरह से information warfare चलता है। कुल मिलाकर विकीपीडिया वामपंथियों और लिबरलों का गढ़ बन गया है, जहां कोई भी आता है और छीछालेदर करके चला जाता है। और यहां किसी भी लेख को इतने शातिर तरीके से लिखा जाता है कि पहली बार पढ़ने वालों को यह दुनिया का परम सत्य लगेगा।
विकिपीडिया का सच तो तब सामने आता है जब किसी बड़े मुद्दे पर प्रोपोगेंडा फैलाया जाता है और कुछ राष्ट्रवादी जब उसे सुधारने की कोशिश करते हैं तब फिर से उसे एडिट करके हिन्दू विरोधी बना दिया जाता है। कुछ दिनों पहले जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने BJP जॉइन किया था तब उनके विकिपीडिया पेज पर भी गाली-गलौज लिख दी गयी थी। वहीं कुछ दिनों पहले UP पुलिस के विकिपीडिया पेज को तहस-नहस कर दिया गया था।
यह मामला स्पष्ट संकेत देता है कि वामपंथियों ने अपनी प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए किस तरह लगभग हर उल्लेखनीय संस्थान में घुसपैठ कर रखा है। विकीपीडिया का वास्तविक सच ऐसे समय में बेनकाब हो रहा है, जब अरबपति जॉर्ज सोरोस ने सार्वजनिक रूप से मोदी और ट्रम्प जैसे राष्ट्रवादी नेताओं की सरकार गिराने के लिए 1 बिलियन डॉलर देने का वादा किया है।
ऐसे में अगर आप भी विकीपीडिया पेज पर लिखा कोई आर्टिकल पढ़ रहे हों तो उसे जरुर एक बार क्रॉस चेक कर लें, वरना आप भी वामपंथियों की काल्पनिक साहित्य को सार्वभौमिक सत्य मान बैठेंगे।