पहले आर्मेनिया, फिर साइप्रस और अब मिस्र, तुर्की के सभी दुश्मनों को अपने पाले में करता जा रहा है भारत

तुर्की सावधान! तुमको चारों तरफ से घेर लिया गया है

तुर्की

आर्मेनिया और साइप्रस के बाद अब भारत ने तुर्की के एक और कट्टर दुश्मन मिस्र के साथ सुरक्षा और रणनीतिक संबंध मजबूत करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में अगले सप्ताह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिस्र के दौरे पर जा रहे हैं जहां वे रक्षा सौदों को फाइनल करने के साथ-साथ इस अफ्रीकन देश के साथ रणनीतिक सम्बन्धों को मजबूत करने की दिशा में भी काम करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी पहली बार इस देश की यात्रा कर रहे होंगे। आखिरी बार वर्ष 2009 में मनमोहन सिंह ने मिस्र का दौरा किया था।

मिस्र और तुर्की अभी लीबिया में जारी युद्ध में आमने सामने खड़े हैं और लीबिया दोनों देशों का युद्धक्षेत्र बना हुआ है। दोनों देशों में तनाव इतना बढ़ा हुआ है कि जनवरी महीने में मिस्र ने एक महीने से भी कम समय में दो बार भूमध्य सागर में युद्धाभ्यास कर Turkey को कड़ा संदेश भेजा था। अब जब भारत और मिस्र की नौसेनाएँ भी आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए काम करेंगी, तो भारत इस प्रकार तुर्की को रणनीतिक तौर पर चारों ओर से घेरने में कामयाब हो सकेगा।

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर नई दिल्ली को भड़का चुके हैं। एर्दोगान कश्मीर पर खुलकर पाकिस्तान का पक्ष ले चुके हैं जिससे इस देश के खिलाफ भारत में काफी गुस्सा है। यही कारण है कि अब तुर्की के दुश्मन देशों के साथ भारत की नज़दीकियाँ बढ़ाना रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।

तुर्की और मिस्र ना सिर्फ लीबिया में एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं बल्कि, भूमध्य सागर को वैश्विक ऊर्जा केंद्र में बदलने की मिस्र, इजरायल और साइप्रस की योजना से अलग-थलग किए जाने से भी तुर्की नाराज़ चल रहा है। दरअसल, हाल ही में भूमध्य सागर में बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस के भंडार मिले हैं, जिसके बल पर मिस्र, इजरायल और साइप्रस भूमध्य सागर में बड़ी ऊर्जा योजना शुरू करने पर काम कर रहे हैं, लेकिन भूमध्य सागर के साथ एक बड़ी तटीय सीमा साझा करने वाले देश Turkey को इन देशों से किनारे कर दिया है। दूसरी ओर मिस्र, लीबिया में Turkey समर्थित उग्रवादियों पर मिस्र की सेना पर हमला करने और मिस्र में शांति भंग करने के आरोप भी लगाता रहता है। कुल मिलाकर दोनों देशों के रिश्ते हमेशा तनावपूर्ण रहते हैं।

अभी हाल ही में भारत ने तुर्की के एक और शत्रु देश आर्मेनिया के साथ रक्षा सौदा तय किया था। सरकार के सूत्रों के अनुसार रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित और भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा निर्मित किए गए चार ‘SWATHI weapon locating radars‘ तुर्की के दुश्मन देश आर्मेनिया को निर्यात किए जाएंगे। यह रडार अपनी 50 किलोमीटर की सीमा में दुश्मन के हथियारों, मोर्टार और रॉकेट जैसे स्वचालित हथियारों की सटीक स्थिति का पता लगा सकता है। भारतीय सेना जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर अपने संचालन के लिए इसी रडार का उपयोग कर रही है जिससे सेना पाकिस्तानी चौकियों द्वारा हमले के स्रोत का पता लगाती है। अब यही radars तुर्की के सबसे बड़े दुश्मन आर्मेनिया के पास होंगे। इसके अलावा पिछले महीने ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी में आर्मेनिया के साथ रणनीतिक सम्बन्धों को मजबूत करने हेतु अर्मेनिया के विदेश मंत्री से मुलाक़ात की थी। कुल मिलाकर भारत Turkey को कड़ा संदेश भेजने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है और अब पीएम मोदी की मिस्र यात्रा भी इसी कड़ी में भारत के रुख को स्पष्ट कर रही है। मिस्र के साथ संबंध बढ़ाने से ना सिर्फ तुर्की को कूटनीतिक तौर पर घेरने में मदद मिलेगी बल्कि इससे भारत अफ्रीका में भी अपना प्रभाव बढ़ा पाएगा।

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