पिछले कुछ दिनों से मीडिया में हर्ष मंदर का नाम छाया हुआ है और कारण है दिल्ली दंगों से पहले इनके भाषण का वायरल होना। हालांकि, इनकी पहचान यहीं तक सीमित नहीं है। ये वही एक्टिविस्ट हैं जिन्होंने कपिल मिश्रा के खिलाफ SC में याचिका लगाई थी लेकिन इनके द्वारा दिये गए भाषण को पढ़ उल्टा इन्हें ही फटकार लगाई और हर्ष मंदर से उनके भाषण के विषय में जानकारी मांगी। हर्ष मंदर कोई साधारण व्यक्ति नहीं है जो लोगों को सड़क पर उतारने की बात कर किसी समुदाय को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।
अगर हम थोड़ी सी जांच करे तो यह पता लगेगा कि भारत के खिलाफ साजिश में इस व्यक्ति का कितना बड़ा योगदान रहा है और यह किस-किस संगठन से जुड़ा है जो भारत के खिलाफ अभियान चलाते हैं।
सबसे पहले शुरुआत करते हैं हर्ष मंदर के सोनिया गांधी और कांग्रेस से जुड़े होने की कहानी। यह सभी को पता है कि कांग्रेस के कार्यकाल में मंत्री कैबिनेट से ऊपर भी एक कमिटी थी जिसे सोनिया गांधी और उनके विश्वासपात्र चलाते हैं। National Advisory Council (NAC) के नाम की इस कमिटी में हर्ष मंदर भी थे। इस कमिटी का कोई भी सदस्य जनता का प्रतिनिधि नहीं था लेकिन लोकतन्त्र और संप्रभुता को पैरों तले कुचल कर देश के सारे फैसले इसी कमिटी के टेबल से गुजरते थे। उस दौरान हर्ष मंदर थे तो भारत सरकार के एडवाइजर लेकिन उन्होंने अरुणा रॉय और निखिल डे के साथ मिल कर 26/11 के आतंकी हमलों में पकड़े आतंकवादी कसाब के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के सामने mercy plea यानि दया याचिका लगाई थी।
सिर्फ कसाब ही नहीं, बल्कि लोकतन्त्र के मंदिर, “संसद” पर हमला करने की साजिश करने वाले अफजल गुरु को भी बचाने के लिए ये दया याचिका दायर कर चुके हैं। हर्ष मंदर के CV में तो बस NAC और आतंकवादियों को बचाना तो ICEBERG के ऊपरी हिस्से के बराबर है।
विश्व के अनेक देशों की सरकारों को NGOs की मदद से उथल पुथल कर देने वाले Deep State Kingpin जॉर्ज सोरोस के भारत में भी कई लिंक और NGO हैं। उनमें से हर्ष मंदर प्रमुख हैं। हर्ष मंदर कई ऐसे Organization से जुड़े हैं जिनकी फंडिंग के ऊपर FCRA लग चुका है। यही नहीं हर्ष मंदर Open Society Foundation के Human Rights Initiative Advisory Board में भी हैं। यह फ़ाउंडेशन जॉर्ज सोरोस द्वारा संचालित किया जाता है जिसने भारत की मोदी सरकार जैसी राष्ट्रवादी सरकार के खिलाफ कदम उठाने के लिए 1 बिलियन डॉलर लगाने का ऐलान किया था।
अब फ़ैसला संसद या SC में नहीं होगा। SC ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में secularism की रक्षा नहीं की। इसलिए फ़ैसला अब सड़कों पर होगा।
This man Harsh Mander, who wrote the draconian CVB, is in HC to get FIRs against people for hate speech… And a judge gave him midnight hearing! pic.twitter.com/zrXYyBxfE3
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) March 4, 2020
इसमें धरना देने से लेकर शाहीन बाग जैसे रोड ब्लॉक जैसे कार्यक्रमों में इन्वेस्ट किया जाएगा। World Economic Forum पर अपने भाषण के दौरान सोरोस ने पीएम मोदी का भी नाम लिया था। इससे स्पष्ट होता है कि यह व्यक्ति भारत की राष्ट्रवादी सरकार को अस्थिर करने के लिए कुछ भी करेगा। जैसा कि हमने पहले बताया कि हर्ष मंदर जॉर्ज सोरोस की Open Society Foundation के Human Rights Initiative Advisory Board में हैं।
यही नहीं शाहीन बाग के दौरान सबसे आगे रहने वाली संस्था Karwana e Mohabbat भी हर्ष मंदर का ही NGO है। यही नहीं हर्ष मंदर Ara Pacis Initiative (API) से भी जुड़े हुए हैं। हर्ष मंदर API के Council for Dignity, Forgiveness, Justice and Reconciliation के मेम्बर हैं।
API की स्थापना एक इतालवी अभिनेत्री, मारिया निकोलेटा गेडा ने की थी लेकिन API की वेबसाइट के अनुसार इसे रोम के मेयर ने इटली के राष्ट्रपति के संरक्षण और इटली के प्रधानमंत्री के कार्यालय और विदेश मामलों के तत्वावधान में Ara Pacis Initiative का उद्घाटन 21 अप्रैल 2010 को किया गया था।”
इससे स्पष्ट होता है कि हर्ष मंदर जिस संस्था के सदस्य हैं वो सीधे इटली सरकार के अंदर आता है। यह कहा जा सकता है कि यह संस्था इटली सरकार की ही एक entity है। यह संस्था “The Sahara Triangle: New Perspectives”- नाम के dialogue का आयोजन कर इटली की विदेश नीति को आगे बढ़ाता है। यही नहीं Ara Pacis Initiative में इटली की सीक्रेट सर्विस के भी होने का अनुमान लगाया जाता रहा है।
अब यह समझने की कोशिश कीजिये कि हर्ष मंदर का इन सभी संस्थानों से जुड़ने का क्या मतलब है? एक तरफ वो जॉर्ज सोरोस की संस्था का हित साध रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ, इटली सरकार और सीक्रेट सर्विस की। इसका क्या अर्थ लगाया जा सकता है? कहीं वो इन दोनों के एजेंट के तौर पर काम तो नहीं कर रहे है?
पश्चिम के देशों को भारत की प्रगति देखी नहीं जाती। पश्चिमी कंपनियाँ भी भारत की कंपनियों को आगे नहीं आने देना चाहती हैं। अमेज़न की भारत में भेदभावपूर्ण नीतियाँ और Washington पोस्ट में भारत विरोधी लेख इसके कुछ उदाहरण हैं।
भारत को कोई मिलिट्री के क्षेत्र में भी आगे बढ़ते नहीं देखना चाहता इसी वजह से वे सभी कोशिश कर रहे हैं कि भारत की मजबूत राष्ट्रवादी सरकार गिर जाए। ऐसे में जॉर्ज सोरोस की राष्ट्रवादी सरकारों से नफरत, मोदी सरकार के प्रति नफरत से भी जोड़कर देखा जा सकता है। मोदी सरकार के प्रति इसी नफरत को हर्ष मंदर भारत में फैला रहे हैं और सोरोस का हित साध रहे हैं। हर्ष मंदर का न सिर्फ कार्यपालिका में बल्कि न्यपालिका में भी कई लिंक है जो लगातार भारत के विकास कार्यो को PIL के जरीय रोकते हैं और आतंकवादियों के लिए दया याचिका दायर करते हैं। कांग्रेस के इकोसिस्टम के केंद्र में हर्ष मंदर ही रहे हैं। अब इनका नाम सामने आने से राजदीप सरदेसाई और योगेंद्र यादव जैसे लोग इन्हें बचाने में जुट चुके हैं और विदेशी एजेंसियों का हित साध रहे हैं। सीएए विरोधी प्रादर्शनों ने भारत विरोधी सभी अभियानों को जनता के सामने एक्सपोज कर दिया है। भारत सरकार को इनके विदेशी एजेंसियों से संपर्क को ध्यान में रख कर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।