दुनिया के सभी देश कोरोना की महामारी से जूझ रहे हैं, चाहे वो अमेरिका हो या दक्षिण कोरिया या फिर यूरोप ही क्यों न हो। इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए अगर किसी देश ने सबसे बेहतर ढंग से तैयारी की है तो वो भारत ही है और अभी तक सिर्फ 76 मामले ही आए हैं जिसमें अधिकतर विदेशी देशों से आए हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि विदेशी मीडिया तो जैसे भारत को बदनाम करने पर तुली हुई है। अमेरिका की टाइम मैगज़ीन (Time Magazine) ने एक रिपोर्ट छापी है जिसमें यह कहा गया है कि भारत अपने देश में कोरोना के मामले को अंडररिपोर्ट कर रहा है यानि कोरोना वायरस के फैलने का सही आंकड़ा नहीं बता रहा है।
इस पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत में अभी तक इस वायरस के 5000 test किए गए हैं लेकिन अभी तक सिर्फ 74 मामले ही positive पाये गए हैं। इस पत्रिका ने Harvard Global Health Institute के director, Dr. Ashish Jha के हवाले से लिखा है कि यह सच नहीं है।
यह आश्चर्यजनक है कि कोई डॉक्टर अमेरिका में बैठ कर भारत के आंकड़ों पर कमेंट कर रहा है। हालांकि, प्रोपोगेंडे के लिए ये सब करना इन मीडिया हाउस के लिए आम बात है। इस रिपोर्ट को लिखने वाली रिपोर्टर ने ट्वीट कर कहा कि, “मैंने Ashish Jha और alt news fact checkers प्रतीक सिन्हा और सहकर्मी से बात की। सरकार द्वारा फैलाये जा रहे misinformation से expert चिंतित हैं और predict कर रहे हैं कि भारत में कोरोना के मामले रिपोर्टेड आंकड़ों से अधिक केस है।”
I spoke to @ashishkjha and @AltNews fact-checkers @Neurophysik + @free_thinker about India's ability to handle the coronavirus outbreak.
Experts are worried about "government-sponsored misinformation" and predict there are more cases than reported.https://t.co/EuCWmZ7zut
— Sanya Mansoor (@sanya_mansoor) March 12, 2020
उनके इस ट्वीट से स्पष्ट पता चल रहा है कि वे इस बात पर जोर दे रही हैं कि सरकार दुनिया के सामने गलत आंकड़े पेश कर रही है। मुझे तो दूसरे नाम से और हैरानी होती है। alt news के प्रतीक सिन्हा और उनकी सहकर्मी कब से भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाले आंकड़ों के एक्सपर्ट बन गए हैं ? और अल्ट न्यूज़ यह कैसे और किस आधार पर यह कह रहा है कि सरकार गलत आंकड़ा पेश कर रही है?
हवार्ड के एक एक्सपर्ट और एक फ़ैक्टचेकर के आधार पर टाइम मैगज़ीन यह साबित करना चाहती है कि भारत कोरोना वायरस के मामलों को अंडररिपोर्ट कर रहा है। अमेरिकी मीडिया द्वारा इस तरह से भारत को बदनाम करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पश्चिमी मीडिया के कई अहम पोर्टल्स की तरह ही पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों का आरोप हिंदुओं के सिर मढ़ दिया था। इस पोर्टल ने तो झूठी रिपोर्टिंग करते हुए IB अफसर के भाई के ऐसे कथन को आधार बनाया जो अंकित के भाई ने कभी कहा ही नहीं था।
PM मोदी को divider-in-chief की संज्ञा देने वाले टाइम मैगज़ीन की एक रिपोर्ट में शीर्षक दिया गया “सिर्फ हमारे खिलाफ ही हिंसा की जा रही है; दिल्ली हिंसा के बाद भारत के मुस्लिम अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं”।
आप टाइम मैगज़ीन (Time Magazine) में छपे लेख को पढ़ने के बाद आसानी से समझ सकते हैं जिसमें लिखा है “वैसे कुछ हिन्दू भी हिंसा में मारे गए थे, लेकिन जल्द ही यह सामने आ गया कि राष्ट्रवादी नारों के साथ इमारतों को जलाती और मुस्लिमों को पीटती हिन्दुओं की हिंसक भीड़ पर PM नरेंद्र मोदी और हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी BJP का हाथ था”। अब इसे घोर एजेंडा नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे? इसी तरह कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद भी इसी तरफ प्रोपोगेंडा चलाया गया था जिससे भारत की छवि वैश्विक स्तर पर खराब हो।
कोरोना से निपटने के लिए भारत ने सबसे बेहतरीन तरीके से इंतज़ाम किया है और न सिर्फ अपने देश में बल्कि अन्य देशों को भी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। देशभर में कोरोना के 52 टेस्टिंग सेंटर हैं। इसके अलावा 57 सैंपल इकट्ठा करनेवाले सेंटर भी बनाए गए हैं। सरकार की तरफ से 30-40 हजार लोगों पर नजर रखी जा रही है। देश के 30 एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के पूरे इंतजाम किए गए हैं।
इंडियन आर्मी मानेसर इमरजेंसी फैसिलिटी पर हर रोज करीब 3.5 लाख रुपये खर्च कर रही है। इसी तरह नेवी ने भी फैसिलिटी बनाई है। इसके अलावा इरान को भी भारत ने एक वैज्ञानिक लैब गिफ्ट करने का फैसला लिया है। जब इरान ने ईरान में फंसे भारतीयों की टेस्टिंग करने से मना कर दिया तो भारत ने खुद अपने डॉक्टर्स को ईरान भेजकर वहाँ एक लैब स्थापित की और उसके बाद भारत अपने नागरिकों की टेस्टिंग कर वापस अपने वतन ला रहा है। अब भारत ने ऐलान किया है कि जब इस लैब से भारत के नागरिकों की टेस्टिंग हो जाएगी तो उस लैब को ईरान को ही सौंप दिया जाएगा। साथ ही सरकार ने इससे जुड़े सभी मामलों पर कड़ी निगरानी रखे हुए है और इस महामारी से बचाओ के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है।
इसके बावजूद पश्चिमी मीडिया भारत को बदनाम करने में लगी हुई है और एक के बाद एक बिना किसी विश्वसनीयता रिपोर्ट के आधार खबर छाप रही है जो बेहद शर्मनाक है।