इटली में चीन से भी ज़्यादा लोग मरे, चीनी मोबाइल कंपनी ने 8 मिलियन ग्राहक खो दिये, चीन की बड़ी साजिश Exposed

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कोरोनावायरस

इस साल तीन महीने कोरोना से जूझने के बाद चीन अपने यहां कोरोना पर काबू पाता दिखाई दे रहा है। पिछले दो दिनों में चीन में कोई भी नया घरेलू कोरोना का केस देखने को नहीं मिला है। लेकिन कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में दुनिया के बाकी देश जूझते दिखाई दे रहे हैं। उदाहरण के तौर पर इटली में कोरोना से होने वाली कुल मौतें चीन में हुई मौतों के आंकड़े को पार कर चुकी है। इटली में कोरोनावायरस संक्रमण की चपेट में आकर अब तक कुल 4,032 लोगों की मौत हो चुकी है। कोविड-19 की वजह से होने वाली मौतों का यह आंकड़ा किसी भी अन्य देश से ज़्यादा है, यहां तक कि संक्रमण के केंद्र चीन में होने वाली मौतों से भी ज़्यादा। इससे चीन द्वारा सामने रखे गए मौतों के आंकड़े की भी विश्वसनीयता पर भी संदेह खड़ा हो गया है।

इटली में लगभग 40 हज़ार लोग कोरोनावायरस से ग्रसित हुए हैं, यह संख्या चीन में ग्रसित हुए लोगों से आधी है, फिर भी दोनों देशों में मरने वाले लोगों की संख्या बराबर है। यानि इटली के आंकड़ों के मुताबिक इटली में मृत्यु दर चीन से दोगुना है। आसान शब्दों में चीन अपने यहां आंकड़ों को सही से नहीं बता रहा है। वहीं कुछ सूत्रों के मुताबिक, चीन में जनवरी से फरवरी महीने में China mobile कंपनी ने अपने लगभग 8 मिलियन ग्राहकों को खो दिया। इसको लेकर सब लोगों में हैरानी है।

China Mobile चीन में तीन बड़ी mobile कंपनियों में से एक है और इस अकेले कंपनी द्वारा 8 मिलियन ग्राहकों को खो देना यह सवाल खड़ा करता है कि क्या वाकई चीन ने कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई को जीत लिया है और क्या चीन में सिर्फ 3 हज़ार से ज़्यादा लोगों की ही मौत हुई है?

इतना तो तय है कि चीन जिस तरह अपने यहां आंकड़ों को सही से नहीं बता रहा है और दुनिया को भ्रम में रख रहा है, उसने कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को कई गुना कमजोर कर दिया है। चीन अभी दुनिया को कोरोनावायरस से जुड़ी कोई भी जानकारी ना देने के प्रति इतना संवेदनशील है कि अगर कोई भी पत्रकार वुहान से ground रिपोर्टिंग करता है तो उसे चीन की कम्युनिस्ट सरकार गायब करवा देती है।

बता दें कि पिछले एक महीने में चीन में ऐसे दो पत्रकार गायब हो चुके हैं जो कोरोनावायरस के केंद्र कहे जाने वाले वुहान शहर में ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे थे। इन दोनों पत्रकारों के नाम हैं फांग बिन और चेन कियुषी है। ये दोनों ना सिर्फ अपनी जान दांव पर लगा कर वुहान से रिपोर्टिंग कर रहे थे, बल्कि इसे यूट्यूब और अन्य चीनी मीडिया सोशल साइट्स पर अपलोड करके दुनिया तक पहुंचा भी रहे थे। यही बात शायद चीनी सरकार को बुरी लगी और अब उनके सोशल मीडिया अकाउंट पूरी तरह शांत पड़ चुके हैं। यह दर्शाता है कि चीन अपने यहां से किसी भी तरह की जानकारी को अपने देश से बाहर जाने से रोकना चाहता है जिसके कारण पूरी दुनिया में लगातार इस महामारी का संकट बढ़ता जा रहा है। अभी वुहान से कोई भी जानकारी जुटाने का एकमात्र आधिकारिक जरिया चीन की सरकारी मीडिया ही है।

चीन दुनिया को जो दिखाना चाहता है, अभी चीन की सरकारी मीडिया सिर्फ उसी को प्रसारित कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में इस वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या और इससे मरने वाले लोगों की संख्या आधिकारिक आकड़ों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा हो सकती है। हालांकि, कोई भी विश्वसनीय सूत्र ना होने के कारण लोगों तक सही खबरें नहीं पहुंच पा रही है और इससे फेक न्यूज़ को भी बढ़ावा मिल रहा है। पत्रकारिता और डेटा के फ्री फ्लो (free flow) पर चीनी सरकार की इस लगाम से अब इस महामारी के बारे में दुनिया में और ज़्यादा अनिश्चितता बढ़ रही है, जो कि कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने में अहम भूमिका निभा रही है।

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