पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के राज्य सभा में नामित होने के बाद लिबरल गैंग में अफरा-तफरी मच गई है। राष्ट्रपति द्वारा नामित होने के बाद उन्होंने कहा था कि शपथ लेने के बाद वे खुल कर बताएंगे कि उन्होंने ये पद क्यों स्वीकार किया। अब वे संसद में जाने के कारण कई मीडिया चैनल को इंटरव्यू के जरीए बता रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि इन इंटरव्यू में वह लिबरल गैंग की ही पोल खोल रहे हैं।
गुरुवार को उन्होंने अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में खुद पर लगे आरोपों का बेबाकी से जवाब दिया। लिबरल गैंग पर हमला करते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि, “एक ‘लॉबी‘ के चलते न्यायिक स्वतंत्रता पर खतरा है।” उन्होंने कहा कि आधा दर्जन लोग ऐसे हैं जो जजमेंट उनके पक्ष में ना आने पर जजों की छवि खराब करने की कोशिश करते हैं।
गोगोई ने कहा, ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब है कि इसके ऊपर बैठे आधा दर्जन लोगों के शिकंजे को खत्म करना। जब तक यह शिकंजा खत्म नहीं होगा तब तक न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो पाएगी। वे जजों को फिरौती देने के लिए पकड़ते हैं। अगर कोई फैसला उनके मन मुताबिक नहीं आता तो वह जज की छवि को खराब करने की हरसंभव कोशिश करते हैं।’
उन्होंने आगे कहा कि, “मैं उन जजों को लेकर चिंतित हूं जो यथास्थितिवादी हैं, जो इस लॉबी से पंगा नहीं लेना चाहते और शांति से रिटायर होना चाहते हैं।”
अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर उन्होंने कहा कि, ‘एक जज के रूप में मैंने अपनी भूमिका संतोषजनक ढंग से पूरी की, अगर मैं राज्यसभा के लिए नामांकन स्वीकार करता हूं, तो यहाँ पर न्यायिक स्वतंत्रता से समझौता करने का सवाल ही कहां है?’
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार एक इंटरव्यू में गोगोई ने उस आलोचना को भी खारिज कर दिया जिसमें विभिन्न नेता कह रहे थे कि उन्हें राज्यसभा सदस्यता, ‘कुछ फैसलों’ की वजह से मिली है। उन्होंने कहा कि, ‘मेरी निंदा इसलिए हो रही है क्यों मैंने एक लॉबी को खारिज कर दिया। अगर एक जज अपनी अंतरात्मा की आवाज के अनुसार मामले का फैसला नहीं करता तो वह अपनी शपथ के साथ न्याय नहीं कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि ‘लॉबी’ द्वारा जहर उगले जाने, बदनाम किए जाने के डर से तमाम जज चुप रहना ही बेहतर समझते हैं। पूर्व सीजेआई ने कहा, ‘मैं आज चुप नहीं रह सकता।’
गोगोई ने आगे कहा कि अगर कोई जज फैसला इस आधार पर करेगा कि आधा दर्जन लोग क्या कहेंगे तो वह अपने जज के रूप में लिए गए शपथ के साथ अन्याय कर रहा है। उन्होंने आगे कहा, “मेरी अंतरात्मा ने मुझे जिस ओर दिशा दी मैंने वह फैसला किया।”
तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा के दौर में मामलों को अलग-अलग बेंचों में आवंटित किए जाने के तरीके के खिलाफ 4 जजों की ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की तरफ इशारा करते हुए गोगोई ने कहा, ‘जब मैंने जनवरी 2018 में प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो मैं उस लॉबी का प्रिय (डार्लिंग) था। लेकिन वे चाहते हैं कि जज एक निश्चित तरीके से केस तय करें और उसके बाद ही वे उन्हें ‘स्वतंत्र जज‘ के रूप में प्रमाणित करेंगे। मैंने कभी यह महसूस नहीं किया कि अदालत के बाहर कुछ अपेक्षा है। मैंने वही किया जो मुझे जो सही लगा।‘
पूर्व CJI गोगोई ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ‘दूसरों की राय से (पत्नी को छोड़कर) ना कभी डरा था, ना डरता हूं और ना ही डरूंगा। मेरे बारे में दूसरों की क्या राय है, यह मेरी नहीं बल्कि उनकी समस्या है और इसे उन्हें ही हल करना है।
अयोध्या और राफेल केस के फैसले का जिक्र करते हुए पूर्व सीजेआई ने कहा, ‘अगर अयोध्या फैसले की बात करें तो यह सर्वसम्मत था। 5 जजों की बेंच का सर्वसम्मत फैसला था। इसी तरह राफेल भी 3 जजों की बेंच का सर्वसम्मत फैसला था। क्विड प्रो क्वो (Quid pro quo) का आरोप लगाकर क्या वे इन दोनों फैसलों से जुड़े सभी जजों की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा रहे हैं?
राज्यसभा सांसद के लिए नामित होने पर उपजे विवाद और विरोध पर गोगोई ने कहा, ‘यदि कोई पूर्व CJI प्रो प्रो क्विड चाहता है, तो वह बड़े लाभ और सुविधाओं के साथ बड़े आकर्षक पदों की तलाश कर सकता है, न कि राज्यसभा का नामांकन। मैंने फैसला किया है कि अगर नियम अनुमति देता है, तो मैं आरएस (राज्य सभा) से वेतन और भत्ते नहीं लूंगा और छोटे शहरों में लॉ कॉलेजों के पुस्तकालयों को रेनोवेट करने के लिए दे दूंगा।’
इस आलोचना पर कि उन्होंने बतौर सीजेआई ‘सीलबंद रिपोर्ट्स’ पर जोर दिया, जिसे राफेल जैसे अहम मामले में पारदर्शिता के लिहाज से अनैतिक माना जाता है, गोगोई ने कहा, ‘क्या हमें राफेल विमानों पर लगे युद्धक उपकरणों से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं को सार्वजनिक कर देने चाहिए थे? पाकिस्तान दिल खोलकर हंसता और कहता कि उसने सर्वोच्च न्यायालय के जरिए भारत को पीछे छोड़ दिया। और क्या राफेल डील का मामला किसी रोड कंस्ट्रक्शन से जुड़े सामान्य मामले जैसा है कि कीमत को लेकर दोनों में एक स्तर की पारदर्शिता की जरूरत हो?’
पूर्व CJI ने सवाल किया, ‘यही लॉबी क्यों चुप थी जब 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितता से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सीलबंद रिपोर्ट्स को स्वीकार किया? वे अब क्यों चुप हैं जब शाहीन बाग प्रदर्शन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद रिपोर्ट सौंपी गई? इस पर सवाल क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं?’
जिस तरह से पूर्व CJI ने लिबरल गैंग पर हमला किया है उससे तो यह गैंग पूरी तरह से तिलमिला चुकी होगी। पूर्व CJI ने सभी का पोल खोलते हुए केस दर केस दिए गए फैसलों पर लिबरलों को पूरी तरह एक्सपोज कर दिया है। जिस तरह की बेबाकी से रंजन गोगोई बयान दे रहे हैं ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में लिबरलों पर और भी बम फटेंगे और खुलासे होंगे।