पिछले साठ वर्षों में फेविकोल भारतीयों के लिए एक भरोसेमंद ब्राण्ड के रूप में उभरकर सामने आया है। जब से इसका पहला विज्ञापन टीवी पर आया है, उस समय से लेकर अब तक फेविकोल की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। इसी की एक अनोखी मिसाल फेविकोल के एक वर्तमान एड में देखने को मिली है। वुहान वायरस के कारण सोशल distancing को बढ़ावा देने हेतु एक ट्वीट किया है।
Social distancing made simple
#CoronaVirus #FevicolKaJod #MazbootJod pic.twitter.com/wf8WF9TxmE
— Fevicol (@StuckByFevicol) March 17, 2020
इस ट्वीट में आप देख सकते हैं कि कैसे उन्होंने अपने आइकोनिक लोगो में दोनों हाथियों के बीच की दूरी बढ़ाते हुए लिखा, “कल के मजबूत जोड़ के लिए, आज थोड़ी दूरी मेंटेन करोना”। कोरोना और करोना के बीच शब्दों के इस खेल से साफ पता चलता है कि कैसे फेविकोल ने वर्तमान परिस्थिति का उपयोग करते हुए लोगों के बीच ज्ञान का संचार किया है।
बता दें कि COVID 19 या वुहान वायरस एक वैश्विक महामारी बन चुकी है, जिसमें अब तक 8000 से भी ज़्यादा मौतें हो चुकी है। भारत में भी 150 से ज़्यादा केस पाये गए हैं। ऐसे में मीडिया और ब्राण्ड मार्केटिंग इस दिशा में काफी आगे तक जा सकती है, और फेविकोल इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।
फेविकोल और अमूल ‘spontaneous मार्केटिंग’ के लिए काफी जाने जाते हैं। इनके अधिकतर एड्स में वर्तमान घटनाओं की छाप अवश्य रहती है, जिसके लिए ये वर्षों से जनता के बीच काफी लोकप्रिय है। फेविकोल के अधिकतर एड काफी सरल हैं, पर उतने ही प्रभावशाली और आकर्षक भी, जिससे एक आम भारतीय तुरंत कनेक्ट हो जाता है। इसके अलावा संस्कृति फेविकोल के अधिकतर एड्स में एक महत्वपूर्ण रोल निभाता है।
पिछले वर्ष लाइवमिंट को दिए एक साक्षात्कार में फेविकोल के एड संभालने वाले ओजिल्वी के मुख्य क्रिएटिव ऑफिसर और एक्ज़ेक्यूटिव चेयरमैन पीयूष पाण्डेय बताए थे,
“फेविकोल की ब्राण्ड एडवरटाइज़िंग का मुख्य उद्देश्य हमेशा से लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना रहा है। हमने ब्राण्ड को बढ़ावा देने के लिए भारतीय संस्कृति के अनछुए पहलुओं पर ज़ोर दिया है। फेविकोल के विज्ञापनों की सादगी ही इसका सबसे बड़ा गुण है”।
अब फेविकोल के विज्ञापन से भला कौन नहीं परिचित है? सर्वप्रथम फेविकोल का लोकप्रिय एड राजकुमार हिरानी ने निर्देशित किया था, जिसे हम सब फेविकोल के ‘दम लगा के हईशा’ एड के नाम से जानते हैं। इसमें हृष्ट पुष्ट पुरुष एक हाथी से रस्साकशी कर रहे थे, ताकि फेविकोल से चिपका लकड़ी का तख़्ता टूट जाये, परंतु एड के अनुरूप वो टूटता ही नहीं।
इसी प्रकार से कई अन्य विज्ञापन हैं, जिसे भारतीय जनता ने भर-भर के अपना प्यार दिया है। कैसे भूल सकते हैं उस ओवरलोडेड बस को, जिसमें कई यात्री लदे हुए हैं, परंतु एक भी यात्री नहीं गिरता। फिर एड के अंत में आता है, ‘फेविकोल – द अल्टिमेट एडहेसिव’।
ऐसे ही रॉयल फैमिली के ब्रेक अप पर फेविकोल ने ट्वीट किया, “प्रिय रॉयल फैमिली, कोहिनूर नहीं, फेविकोल ले जाना चाहिए था”।
Fevicol hota toh suss-ex na hota aur parivaar atoot rehta 👫#meghanandharry #FevicolKaJod #MazbootJod pic.twitter.com/WP43Pkfxz8
— Fevicol (@StuckByFevicol) January 22, 2020
एक और विज्ञापन में भारतीय परिवारों के बीच के जोड़ पर ध्यान देते हुए दिखाया गया है कि कैसे एक छोटे बच्चे द्वारा तुलसी के पौधे को पानी दिये जाने पर एक के बाद एक परिवार के सभी 100 सदस्य जवाब देते हैं, परंतु एक ठोस जवाब नहीं मिलने के कारण लड़का फिर से पानी देने लग जाता है।
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि फेविकोल के पास सबसे असरदार विज्ञापन ही नहीं हैं, अपितु उनके विज्ञापन से जनता को कई मुद्दों पर अहम सीख भी मिलती है, जिससे अभी मार्केटिंग कंपनियों को सीख लेनी चाहिए और उन्हे वुहान वायरस के संबंध में जागरूक होने के लिए उपयोग में लाना चाहिए।