वुहान वायरस दुनिया भर में तबाही मचा रहा है, इस महामारी से कई देशों की हालत खस्ता हो चुकी है। जहां चीन के बाद ईरान, स्पेन, इटली, जर्मनी और अब पाकिस्तान में स्थिति बद से बदतर हो चुकी है, तो वहीं भारत इस महामारी को विकराल रूप धारण करने से रोकने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है। परंतु कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपनी खराब आदतों के कारण भारत की मेहनत पर पानी फेरने में लगे हुए हैं।
कुछ राज्यों में वुहान वायरस के संदिग्ध मरीज isolation या quarantine से भाग रहे हैं, जिसमें केरल और महाराष्ट्र में ऐसे मामले खूब सामने आ रहे हैं। जब भी वुहान वायरस का एक संदिग्ध भागता है, तो वो अपने आसपास के लोगों के साथ पूरे राज्य की सुरक्षा और स्वास्थ्य, दोनों को खतरे में डाल देता है। उदाहरण के लिए कोच्चि से विदेशी पर्यटकों के एक ग्रुप को दुबई जाने से रोका गया। इस ग्रुप में एक अंग्रेज़ पर्यटक भी था, जो वुहान वायरस से संक्रमित पाया गया। जब इस व्यक्ति को केरल के एक स्टेट रिज़ॉर्ट के isolation में रहने को कहा गया, तो ग्रुप समेत ये व्यक्ति वहां से भाग निकला, और दुबई को जाने वाली एक फ्लाइट में बैठ गया, जिसे जबरन उतारना पड़ा।
इसी प्रकार से जहां ओडिशा में एक आयरिश व्यक्ति कटक से भाग निकला, तो वहीं केरल में ही एक अमेरिकी युगल अलप्पुज़्हा मेडिकल कॉलेज से भाग निकले। हालांकि उनके कोच्चि के हवाई अड्डे पर रोका गया और उन्हें फिर isolation में भेज दिया गया।
एक वैश्विक महामारी यानि pandemic के चार स्टेज होते हैं, जिसमें तीसरा और सबसे घातक स्टेज होता है कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का। ये बाहर से आए किसी संक्रमित व्यक्ति से होते होते पूरे समुदाय में फैलने लगता है, और इसी कारण से पहले चीन, फिर इटली और अब ईरान, स्पेन, जर्मनी, फ्रांस और यहां तक कि पाकिस्तान में भी एक विकराल रूप धारण कर चुका है।
फिलहाल भारत इस महामारी के दूसरे स्टेज में है, और एक्स्पर्ट्स की माने, तो तीसरे स्टेज में जाने से रोकने के लिए भारत के पास एक महीना है। यदि भारत ऐसा करने में सफल रहा, तो सिंगापुर, ताइवान, दक्षिण कोरिया के साथ उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो जाएगा, जिसने समय रहते वुहान वायरस को बुरी तरह हरा दिया।
परंतु जिस तरह से कुछ संदिग्ध व्यक्ति isolation से भाग रहे हैं, या फिर बेतुके सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, वो अपने साथ-साथ पूरे क्षेत्र को खतरे में डाल रहे हैं। यदि इसे समय रहते रोका नहीं गया, तो भारत भी तीसरे स्टेज की ओर जा सकता है, जहां से इस घातक बीमारी को रोक पाना यदि असंभव नहीं, तो बेहद कठिन होगा।
भारत को इस संबंध में दक्षिण कोरिया के मामले से सीख लेनी पड़ेगी। वहां पर 30 केस दर्ज होने तक सब ठीक था, परंतु 31वें मरीज ने सावधानी न बरतते हुए काफी भीड़-भाड़ वाली जगह में शामिल हुआ, जिसके कारण वुहान वायरस के केस दक्षिण कोरिया में आसमान छूने लगे। यदि विशेषज्ञों की मानें, तो इस 31वें मरीज के कारण जो दक्षिण कोरिया अपने कुल मरीजों की संख्या 2000 से नीचे रख सकती थी, वो 8000 के पार पहुंच गयी है।
Mindnumbing. Everything was smooth in South Korea for the first 30 #Coronavirus patients. Then the 31st patient decided not to employ social distancing. That ONE patient is now believed to have triggered EIGHTY PER CENT of the country’s infections. https://t.co/4rJY8aJfAQ
— Shiv Aroor (@ShivAroor) March 15, 2020
फिलहाल, कोरिया ने इस मामले की भयावहता को काफी हद तक नियंत्रण में कर लिया है, परंतु यदि ये चीज़ भारत में हुई, तो वुहान वायरस के मरीजों की संख्या गिनने में शायद लोगों के पसीने छूट जाएंगे। इसमें काफी हद तक उक्त देश में प्रशासन की सतर्कता भी मायने रखती है, और यही कारण कि चीन में उत्पन्न वुहान वायरस का प्रमुख केंद्र अब यूरोप बन चुका है।
Case numbers are increasing about 33% a day in most western countrieshttps://t.co/wcu5QwC9Ju pic.twitter.com/Dypvk9Wqra
— Conrad Hackett (@conradhackett) March 16, 2020
अब इस ग्राफ को ही देख लीजिये। इस ग्राफ से पता चलता है कि कैसे यह बीमारी चीन से आगे बढ़ चुकी है। भले ही भारत में इटली जैसा अप्रत्याशित उछाल नहीं आया है, परंतु एक भी व्यक्ति के भागने से पूरे क्षेत्र को खतरा हो सकता है। जैसी हमारी जनसंख्या है, यह वायरस हमारे क्षेत्र में इटली के दर से भी फैल सकता है, यदि समय रहते राज्य सरकारों ने कड़े निर्णय नहीं लिए तो।
फिलहाल केंद्र सरकार ने राज्यों को Epidemic Diseases एक्ट की धारा 3 के प्रावधान लागू करने का सुझाव दिया है, जिसमें ऐसे भगोड़े लोगों के पाये जाने पर उनके विरुद्ध छह महीनों के कारावास और 1000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
परंतु ये शायद ऐसी भयावह बीमारी के लिए काफी नहीं पड़ेगा, और सरकार को थोड़ा सख्त होना पड़ेगा। एक महामारी के वक्त उपचार से भागना mass murder को बढ़ावा देने से कम नहीं होता, और इसे रोकने राज्य सरकारों को कड़े से कड़े एक्शन लेने चाहिए। यदि हमें वुहान वायरस की महामारी को भारत में रोकना है, तो हमें युद्धस्तर पर काम करना होगा।
इस क्षेत्र में हम दक्षिण कोरिया और सिंगापुर से काफी कुछ सीख सकते हैं, जिन्होंने आक्रामक टेस्टिंग और सख्त प्रावधान के निर्णय लेकर न सिर्फ स्थिति को काबू में किया, बल्कि वुहान वायरस के कारण होने वाली मृत्यु की संख्या पर भी रोक लगाई। सिंगापुर मलेशिया से ज़्यादा दूर नहीं है, परंतु सीमा से सटे अन्य देशों की भांति यहां कुल केस 250 भी नहीं छू पाये हैं। इसके अलावा सिंगापुर में वुहान वायरस से संक्रमित लोगों में 105 से ज़्यादा लोग ठीक भी हो चुके हैं, जिससे ये सिद्ध होता है कि सिंगापुर ने स्थिति को पूरी तरह काबू में रखा है।
हमें इस बात को स्वीकारना होगा कि वुहान वायरस के संदिग्ध मरीजों के भागने से न केवल भारत में वुहान वायरस के विकराल रूप धारण करने का खतरा भी बंता है, अपितु यदि स्थिति को नियंत्रण में नहीं लाया गया, तो हमारी भी स्थिति इटली या स्पेन जैसी हो सकती है। आशा करते हैं कि केंद्र सरकार और अन्य राज्य सरकार मिलकर इस महामारी से निपटेंगे।