दिन प्रतिदिन करोनावायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। विश्व में रोज 1000 से अधिक नए मामले देखे जा रहे हैं और कई मौतें भी हो रही हैं। भारत में भी मामले बढ़ते जा रहे हैं, सरकार निर्देश देने में लगी है लेकिन सोशल मीडिया देखने से एक बात स्पष्ट होती जा रही है, और वह है कि विश्व के एक विशेष वर्ग कोरोना से बिलकुल भी चिंतित नहीं है।
When religion overrides your normal thought process, then this happens.
I call them Madrasa Chhap. What about you? #IndiaFightsCorona pic.twitter.com/MjtHkBVa8d— Keya Ghosh (Modi Ka Parivar) (@keyakahe) March 21, 2020
हाल ही में एक वीडियो वायरल हुई थी जिसमें 4 लड़के दिखाई दे रहे थे। एक लड़का आता है और बाकी लड़कों को अस्सलाम वालेकुम कहता है लेकिन बाकी के तीन लड़कों में से एक हाथ मिलाने से मना कर देता है और कहता है कि कोरोना हो जाएगा। उसकी इस बात पर अस्सलाम वालेकुम कहने वाला लड़का कहता है, “तो क्या हुआ मौत के दर से हम सुन्नत छोड़ दे?” वह आगे कहता है कि, “आज सुन्नत छोड़ दे और कल पूरा इस्लाम छोड़ दे?” उसकी इस बात को सुन कर बाकी तीन लड़के उससे गले मिल जाते हैं”।
यानि उन्हें इस्लाम के लिए कोरोना के फैलने से कोई डर नहीं है। चाहे कुछ भी हो वो अपना धर्म नहीं छोड़ सकते। ये तो कुछ भी नहीं है। जब विश्व की कई मेडिकल संस्थाओं ने एल्कोहल युक्त सेनीटाइजर का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया तो मुस्लिमों द्वारा हलाल सैनिटाइजर की मांग की गयी।
Takyahlah dok tunggang agama dan jual Hand Sanitizer ‘halal’ waktu wabak Covid-19 ni.
Mufti Wilayah yang kini Menteri Hal Ehwal Agama dah kata penggunaan Hand Sanitizer alkohol ialah HARUS, tidak najis dan boleh guna untuk solat pic.twitter.com/Lwj7sDrPP5
— Asrul Muzaffar🇲🇾 (@asrulmm) March 14, 2020
बता दें कि इस्लाम में अल्कोहल हराम होता है इसी वजह से मलेशिया की एक दो कंपनियाँ तो हलाल सैनिटाइजर बना कर दोगुने दाम पर बेचने भी लगे। इस खास सेनीटाइजर में एल्कोहल की जगह इथेनॉल का प्रयोग किया गया था। हालांकि, CDC यानि Centers for Disease Control and Prevention के निर्देशानुसार कोरोना से बचने के लिए 60 प्रतिशत से अधिक एल्कोहल वाले सैनिटाइजर ही सबसे उपयुक्त है। लेकिन बावजूद इसके कई लोग हलाल सैनिटाइजर की मांग करते दिखे। बिना एल्कोहल वाले सैनिटाइजर कोरोना जैसे करोनावायरस का रोकने करने में सक्षम नहीं है। CDC के अनुसार कई अध्ययनों में पाया गया है कि 60-95% के बीच अल्कोहल के concentration वाले सैनिटाइज़र, कम अल्कोहल concentration या गैर-अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र की तुलना में कीटाणुओं को मारने में अधिक प्रभावी होते हैं।
एक और वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक महिला यह कह रही है कि ये लोग फैला रहे हैं कि कोरोना है कोरोना है! कोई कोरोना नहीं है। हम लोगों को पता, उन्हें कोरोना से डर होगा हमे नहीं है। कोरोना कुरान से निकला है। वो उसी से निकला है, कोरोना क्या है अभी उससे भयानक भयानक बीमारियाँ निकलने वाली हैं। ऊपर वाले ने चाहा तो हमे कुछ नहीं होगा। वो डरे हम लोग डरने वाले हैं।
A Muslim activist in India claims #CoronavirusOutbreakIndia will not harm Muslims as the word #Corona comes from the #Quran. ”The virus will not affect Muslims; it's for other people.”
pic.twitter.com/vCvwaH9aNV— Tarek Fatah (@TarekFatah) March 20, 2020
अब इस तरह से अगर कोई कह कर किसी भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाएगा तो करोनावायरस के फैलने का चांस 100 प्रतिशत से बढ़ कर 200 प्रतिशत हो जाएगा। लेकिन फिर भी प्रदर्शन करने जाना ही है। नागरिकता नहीं जा रही है फिर भी ऊपर वाले का हाथ सिर पर है इसीलिए प्रदर्शन करने जाना ही है।
इस तरह के लोग जब प्रदर्शन या किसी स्थान पर जाते हैं तो उसका परिणाम क्या होता मलेशिया में देखने को मिला था जब एक धार्मिक मीटिंग के कारण कई लोग कोरोना से संक्रमित हो गए थे।
ये तो बस कुछ उदाहरण थे। ईरान में तो कोरोना के फैलने के कई दिनों बाद तक वहां के धार्मिक स्थान खुले थे और उन्हें जीभ से चाटने की प्रथा जारी थी। यही नहीं वहां के सुप्रीम लीडर के प्रतिनिधि ने सभी को इस धार्मिक स्थान पर जाने का निर्देश दिया था। हालांकि, कुछ दिनों बाद ही उनकी कोरोना भी मौत हो गई थी।
Videos on social media show Iranians licking shrines amid controversy over calls to close access to the shrines. #Iran has recorded the highest number of #coronavirus cases in the Middle East.
More here: https://t.co/K8O0DBk1zC pic.twitter.com/ywyXJjDTvm
— Al Arabiya English (@AlArabiya_Eng) March 1, 2020
उसके बाद ईरान में इस करोनावायरस से संक्रमित लोगो में भारी इजाफा हुआ था और मरने वालों की भी संख्या बढ़ी थी।
भारत में भी यही हो रहा है और लोग आज भी मस्जिद जाना बंद नहीं कर रहे हैं। सरकार के सख्त निर्देशों के बावजूद शाहीन बाग में प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार को की जाने वाली जुम्मे में लोग जुट रहे है और सरकार द्वारा जारी निर्देश को ताक पर रख रहे हैं।
भारत के मुस्लिम भी वही गलती कर रहे हैं जो विश्व के अन्य मुस्लिमों ने किया और उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है। इसके सबसे बड़े गुनहगार मौलवी हैं जो सरकार के सख्त निर्देश के बावजूद भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, और कोरोना के फैलने में मदद कर रहे हैं। इस तरह से अगर मुस्लिम अल्लाह के नाम पर प्रदर्शन करते रहेंगे या जुम्मे पर जाते रहेंगे तो भारत में कोरोना भी फिर उसी स्तर से फैल सकता है। उदाहरण के तौर पर शाहीन बाग में प्रदर्शन करने वाली एक महिला की बहन को करोनावायरस की खबर आ चुकी है। अगर उस महिला को होता है तो यह पूरे शाहीन बाग में फैल सकता है और फिर इसके कम्यूनिटी ट्रांसमिशन के स्तर पर पहुंच सकता है। भारत के मुस्लिमों को समझना होगा कि शुक्रवार की नमाज के लिए जाना बंद कर दें, social distancing का अभ्यास करें, इन समयों में किसी भी धार्मिक गतिविधि पर विराम लगाएं। हलाल सैनिटाइजर जैसी कोई चीज नहीं होती है। उन्हें यह समझना होगा कि कोरोना केवल काफिरों को संक्रमित करने वाला नहीं है, यह सभी को संक्रमित करेगा। ऐसा भी नहीं है कि कोरोना सिर्फ गैर-मुस्लिम राष्ट्रों के में फैला है। ईरान, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे मुस्लिम देशों में यह अधिक नुकसान कर चुका है। और हां कोरोना कुरान ’से तो बिलकुल नहीं आता है।