प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आप में एक उत्कृष्ट जन नेता है, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण रविवार को देखने को मिला था, जब जनता कर्फ्यू एक अप्रत्याशित सफलता के रूप में उभरा। वुहान वायरस से लड़ने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए धर्म, क्षेत्र, जात पात, कुछ मायने नहीं रखा गया, और कारगिल से लेकर चेन्नई तक, मिज़ोरम से लेकर गुजरात तक, सब जगह शंखनाद से लेकर, घंटियां, तालियां और थालियां सब एक साथ बजाई गई। परन्तु जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीव हैंकी ने पीएम मोदी की इस नीति का बेहद भद्दा मज़ाक उड़ाया तो देश की जनता ने स्टीव को आड़े हाथों लिया।
Beating utensils was not directed as a response to #CoronaVirus it was a symbolic gesture to show gratitude to Health workers and those making self-isolation easy for ppl. Stop lecturing without knowing the context!
— Padmaja 🇮🇳 (@prettypadmaja) March 23, 2020
Stop being silly. The clapping and clanging of utensils by citizens on 22 March at 5pm during #JantaCurfew was in response to PM’s call to show solidarity for those working in this time of crisis.
It was a fun way for a dramatic & theatrical show of gratitude🙏 Mocking is dumb.
— Amrita Bhinder 🇮🇳 (@amritabhinder) March 23, 2020
दरअसल, जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीव हैंकी ने ट्वीट कर कहा था कि, “पीएम मोदी को लगता है थाली बजाने से कोरोना वायरस भाग जाएगा। परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। विज्ञान और तर्क इसका समर्थन बिल्कुल भी नहीं करेगा”।
.@narendramodi believes beating utensils is a good response to #Coronavirus. Earth to #Modi: no it is not. #Science & rationality should be a guide. Not baseless rhetoric. #JanataCurfew pic.twitter.com/yNms3YM9Zy
— Steve Hanke (@steve_hanke) March 22, 2020
इसके बाद भारत के लोगों ने स्टीव को तगड़ा जवाब दिया। हैरानी तो तब हुई जब राहुल कंवल ने ट्वीट कर कहा, “स्टीव जी, नरेंद्र मोदी जी ने कभी नहीं कहा कि थाली बजाने से कोरोना वायरस भाग जाता है। काश कुछ बड़े यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वॉट्सएप यूनिवर्सिटी की अफवाहों को बढ़ाने से अच्छा अपने स्वयं के कुछ बुनियादी शोध पर ध्यान देते”।
Actually @steve_hanke PM @narendramodi never said that beating utensils is a way of fighting #CoronaVirus Surely ‘Professors’ at big universities should do some basic research of their own before amplifying rumours from WhatsApp University. https://t.co/fZhSssM4ZW
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) March 24, 2020
Shameful that a person of your repute spreads fake news/rumours in blind hate for India and its traditions. India as a mark of respect came out in balconies on call of PM @narendramodi to applaud doctors, health as well as emergency workers. There was no other reason. Fact check? https://t.co/MBm5jCglUc
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) March 24, 2020
राइट के हो या लेफ्ट के सभी इस मामले में एकजुट दिखे। पत्रकार मानक गुप्ता ने स्टीव को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “आप जैसे व्यक्ति ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं? आपने मोदीजी की स्पीच को सुना भी है? उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि ताली या थाली बजाना हमारे देश के स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करने हेतु है” –
How can someone in your position lie so blatantly…!!! Did you even hear @narendramodi’s speech asking people to do this? He clearly said this was to thank and motivate medical personnel.
— Manak Gupta (@manakgupta) March 24, 2020
Stop being silly. The clapping and clanging of utensils by citizens on 22 March at 5pm during #JantaCurfew was in response to PM’s call to show solidarity for those working in this time of crisis.
It was a fun way for a dramatic & theatrical show of gratitude🙏 Mocking is dumb.
— Amrita Bhinder 🇮🇳 (@amritabhinder) March 23, 2020
सर्वप्रथम तो स्टीव हैंकी को बता दें कि पीएम मोदी ने ताली और थाली की बात की राष्ट्र में वुहान वायरस से रक्षा करने में लगे हमारे डॉक्टर, सफाई कर्मचारी और सैनिकों के अभिवादन हेतु कहा था। कहीं भी उन्होंने ये नहीं कहा कि इससे वुहान वायरस भाग जाएगा।
परन्तु स्टीव हैंकी यहीं पर नहीं रुके। कारवां मैग्जीन के एक घटिया लेख को शेयर करते हुए जनाब ने ट्वीट किया, “नरेंद्र मोदी को सिर्फ PR स्टंट से मतलब है। कोरोना वायरस पर उसका रिस्पॉन्स एक्सपेक्टेड है – कोई ट्रांसपेरेंसी नहीं और टेस्टिंग में बहुत लापरवाही बरती जा रही है। गुजरात का कसाई जल्द ही भारत का कसाई बनेगा”।
.@narendramodi is obsessed with PR stunts. His response to #Coronavirus has been expected, lacking in transparency & based on rhetoric. Testing is woefully low & unscientific treatments are touted. The Butcher of Gujarat may become the Butcher of #India.https://t.co/aroXtH9XEN
— Steve Hanke (@steve_hanke) March 24, 2020
ये शर्मनाक है कि जहां विश्व को इस घातक महामारी से लड़ने में प्रोत्साहन देना चाहिए, तो वहीं स्टीव हैंकी जैसे लोग उल्टे भारत को ही दोषी बनाने पर तुले हुए हैं। जबकि स्वयं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन कह रहा है कि भारत वुहान वायरस से लड़ने में दुनिया को राह दिखाए।
हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब किसी विदेशी बुद्धिजीवी ने वुहान वायरस के मुद्दे पर भारत विरोधी बात की हो। अभी कुछ ही दिन पहले बीबीसी ने एक कथित डॉक्टर के हवाले से कहा था कि भारत में तीस करोड़ केस होने का खतरा है। ये अलग बात थी कि वह डॉक्टर वास्तव में एक अर्थशास्त्री था, जिसने अपनी बात को उचित ठहराने के लिए अमेरिका और यूके का उदाहरण लिया, जहां पर टेस्टिंग भारत के मुकाबले बहुत कम हुई थी। प्रोफेसर स्टीव जैसे प्रोपेगैंडा फैलाने वाले लोग अभी भी भारत को विलेन बनाने पर तुले हुए हैं, पर अब सब जानते हैं कि कौन वास्तव में हीरो है और कौन नहीं। आखिर बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।