Crisis profiteering यानि किसी दूसरे पर विपदा के समय उससे फायदा उठाना तो कोई चीन से सीखे। वुहान वायरस का कहर जैसे जैसे चीन में कम होना शुरू हुआ है, वैसे ही अब चीन ने इस वायरस से लड़ रहे दूसरे देशों से फायदा उठाना शुरू कर दिया है। अभी कल ही चीन ने श्रीलंका को कोरोनावायरस से लड़ने के लिए 500 मिलियन डॉलर का लोन देने की घोषणा की। चीन के मुताबिक, श्रीलंका और चीन मजबूत दोस्त हैं और ऐसे में चीन लंका की मदद के लिए सामने आया है।
अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर चीन की मंशा वाकई श्रीलंका की मदद करना है, तो उसने उसे सीधे तौर पर सहायता ना देकर लोन देने का फैसला क्यों लिया, वह भी जब श्रीलंका की वित्तीय हालत खस्ता हो चुकी है और नए कर्ज़ देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर सकते हैं।
चीन ने आज तक दुनियाभर में देशों को अपने कर्ज़ जाल में फंसाने के लिए अपने One Belt One Road (OBOR) का सहारा लिय। इसके जरिये उसने आर्थिक तौर पर कमजोर देशों को बड़े-बड़े लोन देकर अपने चंगुल में फंसाया, जिसमें मालदीव, श्रीलंका और नेपाल जैसे देश शामिल रहे। लेकिन कोरोनावायरस के कहर ने इस प्रोजेक्ट को पूरी दुनिया में बर्बाद कर दिया। अब चीन ने फायदा अर्जित करने के लिए कोरोना को हथियार बनाना शुरू कर दिया है। श्रीलंका चीन की इस साजिश का बड़ी ही आसानी से शिकार बनाता जा रहा है।
कोरोना ने दुनियाभर में अर्थव्यवस्थाओं पर सबसे बुरा प्रभाव डाला है। भारत में भी कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस वायरस के फैलाव से सुस्त पड़ी आर्थिक गतिविधियों की वजह से देश की GDP को 1 प्रतिशत तक का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। भारत,चूंकि एक बड़ी अर्थव्यवस्था है, वह इसका प्रभाव झेल सकता है, लेकिन दक्षिण एशिया के बाकी देश जैसे पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव और भूटान, अपने बल पर इस वायरस से लड़ने में अक्षम हैं।
जहां तक मालदीव और भूटान की बात है तो भारत ने पहले ही इन देशों की मदद करना शुरू कर दिया है, भारत इन्हें कोई लोन-वोन नहीं बल्कि सीधी सहायता प्रदान कर रहा है। इसी के साथ भारत ने मालदीव में अपनी मेडिकल टीम भी भेजी है, जो मालदीव के डॉक्टर्स को कोरोना से लड़ने के लिए तैयार कर रही है।
Reaching out to the islands to strengthen the #Covid19 medical response mechanism across the Maldives 🇲🇻
The composite #Covid19 medical relief team from India 🇮🇳 had an exchange of best practices and protocols with the Medical team in Maafushi prison. pic.twitter.com/fVDECR6Yb6
— India in Maldives (@HCIMaldives) March 16, 2020
लेकिन दूसरी तरफ चीन, जो कि इस वायरस को फैलाने के लिए सबसे बड़ा दोषी है, वह इस तरह सामने आकर सहायता करने की बजाय अपने लिए लोन बांटने के मौके ढूंढ रहा है। यहां चीन की ज़िम्मेदारी बनती थी कि वह स्वयं सामने आकर कोरोना से जूझ रहे देशों की ना सिर्फ तकनीकी सहायता करता बल्कि आर्थिक सहायता भी करता, लेकिन उसने अपने स्वभाव के मुताबिक यहां भी श्रीलंका से फायदा उठाने की सोची।
चीन के इस रवैये के कारण कोरोना से लड़ाई में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद भी हो सकती है। ऐसे में दुनिया के सभी देशों को चीन की इस Crisis profiteering की नीति का ना सिर्फ विरोध करना चाहिए बल्कि चीन को लाइन पर लाने के लिए अगर इस देश पर प्रतिबंध भी लगाना पड़े, तो सभी देशों को ऐसा करने से भी परहेज नहीं करना चाहिए।