2 मार्च को रिलायंस जियो ने सरकार से अपने द्वारा विकसित 5जी तकनीक का ट्रायल शुरू करने के लिए अनुमति मांगी थी। ऐसा करने वाली रिलायंस जियो देश की पहली ऐसी कंपनी थी जिसने 5जी तकनीक को खुद से विकसित किया हो। इससे पहले भारत की सभी कंपनियों ने 4जी तकनीक को विदेशी कंपनियों के सहारे में भारत में लॉन्च किया था, लेकिन अब पहली बार जियो खुद से अपनी 5जी तकनीक का ट्रायल शुरू करने जा रही है।
माना जा रहा है कि इससे कंपनी को खर्च कम करने में आसानी होगी। 4जी की बात करें तो रिलायंस से साउथ कोरिया की सैमसंग कंपनी के साथ मिलकर भारत में 4जी सेवाएं लॉन्च की थी। इसी प्रकार वोडाफोन और एयरटेल ने भी विदेशी कंपनियों का ही सहारा लिया था।
लेकिन 5जी के लिए कंपनी किसी विदेशी कंपनी भर निर्भर नहीं रहना चाहती है। इसीलिए वह स्वयं से ही 5जी तकनीक विकसित करने पर काम कर रही थी। जियो के अधिकारियों के मुताबिक “जियो ने 5जी तकनीक संबंधित सब कुछ एंड-टू-एंड डेवलप किया है। बाकी वेंडर की तुलना में जियो अधिक स्केलेबल और पूरी तरह से स्वचालित हैं क्योंकि जियो के पास अपना स्वयं का क्लाउड-नैटिव प्लेटफॉर्म है”।
जियो तकनीक के मामले में लगातार आगे बढ़ रही है। जियो सक्रिय रूप से कार्बनिक और अकार्बनिक अप्रोच के मिश्रण के माध्यम से 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) प्रौद्योगिकी कैपेसिटी का निर्माण कर रही है। यह कदम न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी पहला है, क्योंकि अधिकांश ऑपरेटर नेटवर्क उपकरणों के लिए टेक्नोलॉजी वेंडर पर निर्भर हैं।
भारत में जियो के बाकी प्रतिस्पर्धी कंपनी जैसे की वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल पहले ही 5जी तकनीक के लिए नोकिया और एरिक्सन जैसी विदेशी कंपनियों के साथ करार कर चुकी हैं। भारत सरकर जल्द ही 5जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगा सकती है और इससे सरकार को 4.6 लाख करोड़ का राजस्व मिल सकता है।
5जी तकनीक की अहमियत को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि हमें चीन की कंपनी हुवावे और जियो के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है। हुवावे को 5जी तकनीक के मामले में अभी दुनिया की सबसे एडवांस्ड कंपनी माना जाता है। वहीं हुवावे के कंपिटीशन में खड़ी होने वाली कंपनी एरिक्सन और नोकिया पहले ही हुवावे के सामने फेल हो चुकी हैं।
ऐसे में अब सिर्फ जियो और हुवावे के बीच ही हमें कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। अब तक रिलायंस जियो के प्रदर्शन को देखते हुए और मुकेश अंबानी के बिजनेस स्टाइल को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले दशक में हुवावे और जियो 5जी को लेकर आपस में एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते दिखेंगे।
बता दें कि हुवावे कंपनी बड़ी आक्रामकता से भारत में 5जी ट्रायल करने के लिए लाइसेन्स प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। चीन की सरकार तो Huawei को लेकर भारत सरकार को धमकी तक दे चुकी है। दरअसल, पिछले वर्ष सितंबर में चीन ने भारत को हुवावे के परिचालन के संबंध में कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी। चीन ने कहा था, ‘अगर Huawei पर भारत में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो चीन अपने यहां कारोबार करने वाली भारतीय फर्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वतंत्र होगा’।
हालांकि, तब भारत के अधिकारियों ने भी चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया था। तब भारत के अधिकारियों ने कहा था कि अगर चीन अपनी चिंताओं को कूटनीतिक माध्यम से भारत सरकार तक पहुंचाता, तो अच्छा रहता। अधिकारियों ने यह भी कहा था कि चीन द्वारा खुले तौर पर भारत को धमकी देने की वजह से अब भारत सरकार के रुख में भी बदलाव आएगा और हुवावे को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया था कि चीन की कंपनी हुवावे को लेकर भारत की चिंताओं को व्यापार नीति नहीं बल्कि सुरक्षा नीति से जोड़कर देखा जाना चाहिए।
हुवावे 5जी तकनीक का पूरी दुनिया में प्रसार करने पर काम कर रहा है लेकिन अमेरिका, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस कंपनी पर इन देशों की सुरक्षा से समझौता करने और चीनी सेना के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। इन देशों का मानना है कि हुवावे कंपनी चीनी सरकार के प्रभाव में काम करती है और सुरक्षा के लिहाज से यह इन देशों के लिए खतरा साबित हो सकती है। इन सब देशों द्वारा हुवावे पर कार्रवाई के बाद भारत में भी हुवावे पर प्रतिबंध की मांग उठने लगी थीं।
इससे स्पष्ट है कि भारत सरकार जहां हुवावे को लेकर सख्त रुख अपना सकती है, तो वहीं भारत की जियो को 5जी तकनीक के मामले में आसानी हो सकती है।