कहते हैं 18वीं शताब्दी के स्वर्णिम ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता लेकिन आज न सिर्फ सूर्य अस्त हो रहा है बल्कि, ब्रिटेन आज अस्तित्व की लड़ाई भी लड़ रहा है। एक समय में दुनिया के लगभग हर कोने में अपना परचम लहराने वाला ब्रिटेन आज एक छोटे से जीवाणु के कारण अपना अस्तित्व खोने की कगार पर खड़ा है। इस देश के राजशाही परिवार से लेकर प्रधानमंत्री तक को कोरोना हो चुका है और मामले दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है अगर ऐसा ही चलता रहा तो पूरा ब्रिटेन इस वायरस से infected हो जाएगा और फिर शून्य में समा जाएगा।
ब्रिटेन का इतिहास देखा जाए तो यह देश शुरू से ही औपनिवेशिक प्रकृति का रहा है। पुनर्जागरण के बाद एक अंग्रेज़ अधिकारी को भारत आने के मार्ग का पता चला था और इसके बाद सन् 1600 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई। इसके बाद ब्रिटिश नाविक विश्व के कई स्थानों पर व्यापार करने पहुँचे। 18वीं सदी के अन्त तक कई जगहों पर वे राजनीतिक रूप से स्थापित हो गए। इसी समय औद्योगिक क्रांति से देश की नौसेना तथा सेना सबल हो गई और अपनी सैन्य शक्ति के बल पर वे विभिन्न स्थानों पर अधिकार करने लगे।
17वीं शताब्दी में समुद्रवर्ती विस्तार तेज़ कर ग्रेट ब्रिटेन उत्तरी अमेरिका और वेस्ट इंडीज़ में बस्तियों की स्थापना कर चुका था। न्यू इंग्लैंड, वर्जीनिया और मैरीलैंड से लेकर बरमूडा, होंडूरास, एंटिगुआ, बारबाडोस और फिर पश्चिम में भारत, पनांग, सिंगापुर, मलक्का पर ब्रिटेन का क़ब्ज़ा कर चुका था। अफ़्रीकी उपमहाद्वीप में पहली स्थायी ब्रिटिश बस्ती गांबिया नदी के जेम्स द्वीप पर स्थापित हुई थी। Sierra Leone (सिएरा लियोन) से लेकर केप ऑफ गुड होप तक ग्रेट ब्रिटेन के ही झंडे लगे थे।
ब्रिटिश साम्राज्य अठारहवीं सदी से लेकर 20वीं सदी के मध्य तक विश्व का सबसे बड़ा और शक्तिशाली साम्राज्य हुआ करता था, जो कि महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। पूरे विश्व में उसी समय अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व में सबसे अधिक लोगों द्वारा समझे जाने वाली भाषा है।
लेकिन आज 21वीं शताब्दी में यह देश शून्य में समाता जा रहा है। अर्थव्यवस्था से लेकर लोगों का सामान्य जीवन सभी चरमरा चुकी है। चीन से आए एक वायरस जिसे कोरोना कहा जा रहा है, ब्रिटेन में ऐसी तबाही मचाई है कि अन्य देशों को विश्वास नहीं हो रहा है। शायद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन में इस तरह की तबाही आई है। राजशाही परिवार के प्रिंस चार्ल्स को कोरोना हो चुका है। ये वही प्रिंस चार्ल्स है जो महारानी एलिज़ाबेथ के सबसे बड़े बेटे हैं और राजगद्दी के उत्तराधिकारी भी। वहीं कल यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी अपने आप को कोरोना पॉज़िटिव होने की पुष्टि की।
Over the last 24 hours I have developed mild symptoms and tested positive for coronavirus.
I am now self-isolating, but I will continue to lead the government’s response via video-conference as we fight this virus.
Together we will beat this. #StayHomeSaveLives pic.twitter.com/9Te6aFP0Ri
— Boris Johnson (@BorisJohnson) March 27, 2020
वहीं ब्रिटेन के हेल्थ सेक्रेटरी matt hancock को भी कोरोना पॉज़िटिव पाया गया था। इनके साथ ब्रिटिश सरकार की Chief Medical Officer Chrish Whitty ने भी कोरोना वायरस के symptoms को रिपोर्ट किया था।
अगर ब्रिटेन में स्थिति की बात करें तो इस लेख के लिखे जाने तक कोरोना वायरस से 759 लोगों की मौत हो चुकी है और 14, 579 लोग कोरोना से पॉज़िटिव पाये गए हैं। ब्रिटेन में कोरोना के केस हर 3 से 4 दिन में दुगने होते जा रहे हैं। Imperial College London ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को आगाह किया है कि कि इस वायरस से लगभग 2 लाख 50 हजार मौतें हो सकती हैं। अर्थव्यवस्था का तो कहना ही नहीं हैं। यह तो पूरे विश्व में ही प्रभावित हुआ है।
इस वायरस ने ब्रिटेन की लाइफस्टाइल की पोल खोल कर रख दी है। सरकार पूरी तरह से cluless है कि उन्हें करना क्या है। अगर कोई प्लान बन भी रहा है तो वह लोगों द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है। अब ऐसे समय में किसी देश में डॉक्टर और फ्रंट लाइन पर मदद कर रहे कर्मचारियों के ऊपर थूका जाता है और अंडे फेंके जाते हैं तो यह उस देश की संस्कृति को ही प्रदर्शित करता है, और यह दर्शाता है कि किस तरह से, ये देश अपने आप को सभी के मुक़ाबले में सुप्रीम दिखाने की कोशिश में लगा रहता है। इन्हें अन्य लोगों को हिन भावना से देखने की आदत है और उसी का नमूना आज के समय में देखने को मिल रहा है। यूके में सरकार ने इस वायरस को रोकने के लिए ज़रूरी कदम उठाने की बजाय इसे अपनी 60 प्रतिशत जनसंख्या में फैलने को अनुमति दे दी, इस अनुमति के पीछे का तर्क यह था कि इससे लोगों में इस बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। हालांकि, जब यूके सरकार की कड़ी आलोचना की गयी, तो सरकार ने अपनी इस योजना से हाथ पीछे खींच लिए थे।
वास्तव में यूके सरकार ने समय रहते इस बीमारी की रोकथाम के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए। जिस समय अन्य देश इस बीमारी से बचने के लिए स्कूल, कॉलेज, सिनेमा बंद कर रहे थे और social distancing को बढ़ावा देने की बात कर रहे थे, तो वहीं UK ने अपने द्वार खुले रखे।
इस तरह से देखा जाए तो एक समय में पूरब से पश्चिम में अपना रॉयल झंडा फहराने वाला ग्रेट ब्रिटेन आज एक कोरोना वायरस के सामने नतमस्तक हो कर अस्तित्व बचाने में लगा है। समय सबसे बलवान होता है। वह किसी को भी नहीं छोड़ता और यही आज ग्रेट ब्रिटेन के साथ हो रहा है। लगभग 400 वर्षों तक दुनिया को अपनी कदमों में झुकाने वाला ब्रिटेन आज पूरी तरह से ढहने की कगार पर है।