चीन से फैले वुहान वायरस या चीनी वायरस से पूरी दुनिया में दो लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। चीन से बाहर इस वायरस का अब तक सबसे ज़्यादा कहर यूरोप में देखने को मिला है जहां यह वायरस कई हज़ार लोगों की जान ले चुका है। WHO ने हाल ही में यूरोप को वुहान वायरस का नया केंद्र घोषित किया था। यूरोप के अलावा यूनाइटेड किंगडम में भी इस महामारी ने विकराल रूप धारण किया हुआ है और देश में 2 हज़ार से ज़्यादा लोग चीनी वायरस से संक्रमित पाये गए हैं, लेकिन यूके में सरकार ने इस वायरस को रोकने के लिए ज़रूरी कदम उठाने की बजाय इसे अपनी 60 प्रतिशत जनसंख्या में फैलने को अनुमति दे दी, इस अनुमति के पीछे का तर्क यह था कि इससे लोगों में इस बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। हालांकि, जब यूके सरकार की कड़ी आलोचना की गयी, तो सरकार ने अपनी इस योजना से हाथ पीछे खींच लिए।
यूके सरकार अब तक Herd immunity की योजना पर काम कर रही थी। Herd immunity का अर्थ है लोगों में किसी बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि यूके सरकार ने इस वायरस को रोकने के लिय अब तक कोई सख्त उठाए ही नहीं।
Herd immunity को आमतौर पर लोगों में टीकाकरण के जरिये एक बीमारी से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद लोगों के जरिये वायरस का फैलाव कम हो जाता है क्योंकि शरीर में प्रवेश के बाद वायरस को उस व्यक्ति का शरीर खुद ही मारने लगता है। लेकिन वुहान वायरस एक नया वायरस है और अभी तक इस बीमारी की रोकथाम के लिए vaccination विकसित नहीं की जा सकी है।
चीनी वायरस अब तक दुनिया में लगभग 8 हज़ार लोगों की जान ले चुका है और वैज्ञानिकों ने UK सरकार को चेताया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो सिर्फ UK में ढाई लाख लोग अपनी जान गंवा सकते हैं। चीनी वायरस के मामले में Herd immunity का रास्ता अपनाने का फैसला ना सिर्फ अनैतिक था, बल्कि बेवकूफाना भी था। चीन में तो ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जहां लोग इस वायरस से ग्रसित होकर ठीक होने के बाद दोबारा इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से रिकवर होने के बाद भी जिंदा नहीं बच पाए थे। हॉस्पिटल ने उन्हें ठीक मानकर डिस्चार्ज कर दिया था, लेकिन डिस्चार्ज होने के कुछ दिनों बाद ही उनकी मौत हो गई थी। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि किसी व्यक्ति को एक बार यह बीमारी हो जाये तो उसे दोबारा ये बीमारी नहीं होगी।
अब बोरिस जॉनसन सरकार ने बेशक अपने Herd immunity का रास्ता अपनाने वाले फैसले को वापस ले लिया हो, लेकिन पहले ही बहुत देर हो चुकी है। अब ब्रिटिश अधिकारियों को डर है कि यह बीमारी देश की 80 प्रतिशत आबादी को अपने चपेट में ले सकती है। यूके सरकार ने समय रहते इस बीमारी की रोकथाम के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए। जिस समय यूरोप इस बीमारी से बचने के लिए स्कूल, कॉलेज, सिनेमा बंद कर रहा था और social distancing को बढ़ावा देने की बात कर रहा था, तो वहीं UK ने हाथ पर हाथ रखकर हर्ड इम्यूनिटी के रास्ते पर चलने की योजना बनाई। अब इस बात का डर बढ़ गया है कि चीन, ईरान, इटली के बाद UK में चीनी वायरस सबसे ज़्यादा कहर ढा सकता है। स्पेन और इटली जैसे देशों ने इतने सख्त कदम उठाए, उसके बावजूद उनके देशों में इस बीमारी का भयंकर रूप देखने को मिला है, अब UK में क्या होने वाला है, इसका अंदाज़ा भर ही लगाया जा सकता है।