10 मार्च को जब पूरा देश होली के रंगों में रंगा था, तो उस वक्त मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़ा भूचाल आया हुआ था। MP कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी से इस्तीफा का घोषणापत्र सार्वजनिक हुआ और साथ ही सिंधिया के करीबी माने जाने वाले 20 से ज़्यादा विधायकों ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गयी।हालांकि, इस पूरे प्रकरण से दुखी लेफ्ट पत्रकार बरखा दत्त ने इस मौके पर ऐसा ट्वीट कर डाला जिससे सोशल मीडिया पर उनकी जबरदस्त थू-थू हो गई। राज्य की राजनीति में बने नए समीकरणों का उल्लेख करते हुए जब BBC के एक पत्रकार ने एक फोटो ट्वीट की, तो बरखा दत्त ने उसपर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा “क्या हो अगर अब कमलनाथ विधानसभा को भंग कर दे?”
Wonder what happens if @OfficeOfKNath dissolves assembly? https://t.co/83BhbmIfZu
— barkha dutt (@BDUTT) March 10, 2020
BBC के लिए काम करने वाले मिलिंद खांडेकर ने एक फोटो पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि सिंधिया के समर्थक विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा 107 विधायकों के साथ बहुमत में आ जाएगी, क्योंकि बहुमत का आंकड़ा सिर्फ 104 है। इन आंकड़ों से दुखी होकर बरखा ने ये बेवकूफाना ट्वीट किया। बता दें कि किसी भी विधानसभा को भंग करने का अधिकार गवर्नर के पास होता है, ना कि किसी CM के पास। ऐसे में सोशल मीडिया पर यूजर्स ना सिर्फ बरखा की जमकर क्लास लगा रहे हैं, बल्कि उन्हें 10वीं कक्षा की civics की किताब पढ़ने को भी कह रहे हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद नंबर 174 के मुताबिक अगर सरकार अल्पमत में है, तो विधानसभा को भंग करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ राज्यपाल के पास सुरक्षित होता है। आज की स्थिति के अनुसार बसपा के 2 विधायक, सपा के एक विधायक और 4 निर्दलीय विधायकों को मिलाकर कांग्रेस के पास सिर्फ 99 विधायकों का समर्थन बचा है और सिंधिया के समर्थक विधायकों के इस्तीफे के कारण विधानसभा में सीटें घटकर 206 हो जाएंगी, जिसके बाद बहुमत का आंकड़ा 104 हो जाएगा, और इस स्थिति में भाजपा सरकार बना पाएगी। कुल मिलाकर अभी MP की कांग्रेस सरकार अल्पमत में है और ऐसी स्थिति में कमलनाथ विधानसभा भंग करने का अधिकार नहीं रखते, यह अधिकार केवल और केवल गवर्नर के पास होगा।
बरखा के इस एक ट्वीट के कारण जहां यह स्पष्ट होता है कि उनके पास मूल कानूनी और संवैधानिक ज्ञान की कमी है, तो वहीं इससे यह भी साफ हो जाता है कि अपने आप को बुद्धिजीवी समझने वाले ये पत्रकार जब सोशल मीडिया पर बकवास बातें लिखते हैं, तो जनता इन्हें एक्स्पोज़ करने में भी ज़रा समय नहीं लगाती।
आज सोशल मीडिया के जमाने में लोग यह आसानी से जान पा रहे हैं कि कौन कितने पानी में है। सोशल मीडिया से पहले ऐसे बुद्धिजीवी पत्रकार अखबारों और बड़े-बड़े न्यूज़ चैनलों के माध्यम से अपने विचार आम जनता पर थोपने का काम किया करते थे, लेकिन आज सोशल मीडिया पर लोग इनकी असलियत समझ पा रहे हैं। बरखा दत्त को आज बेशक भारत के संविधान के मूल ढांचे का ज्ञान ना हो, लेकिन आपको यह जानकर कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए कि वे वॉशिंगटन पोस्ट जैसे बड़े अमेरिकी अंतराष्ट्रीय अखबार के लिए Opinion लिखती हैं और देश-दुनिया के लिबरलों के लिए उनसे बड़ा ज्ञानी पत्रकार शायद ही कोई हो।