चीन के वुहान में फैला कोरोनवायरस (वुहान वायरस) पूरी दुनिया के लोगों के साथ-साथ कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन गया है। कहीं पूरे के पूरे शहर बंद पड़ चुके हैं तो कहीं पूरा देश। पूरी दुनिया में स्कूल, कॉलेज बंद किए जा रहे हैं और लोगों को घरों से ही काम करने को कहा जा रहा है। अमेरिका, भारत समेत दुनिया के कई देश कोरोना को पहले ही राष्ट्रीय महामारी घोषित कर चुके हैं।
अभी दुनिया की प्राथमिकता इस जानलेवा वायरस को फैलने से रोकना है, जिसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन, इसी के साथ-साथ आधी दुनिया को ठप करने वाले इस वायरस को फैलाने के लिए दुनिया को चीन की ज़िम्मेदारी भी तय करनी होगी। चीन में मौजूद गंदगी से भरपूर वेट मार्केट्स से यह वायरस फैला और फिर चीन के सत्तावादी मॉडल ने इसे फैलाने में भरपूर मदद की। दुनिया को चीन की इस करतूत के लिए ना सिर्फ उसे कटघरे में खड़ा करना चाहिए बल्कि इस महामारी को हल्के में लेने के लिए जरूरत पड़ने पर चीन पर प्रतिबंध लगाने का विचार करना चाहिए।
यहाँ इस वायरस के नाम पर भी ध्यान देने की जरूरत है। यह वायरस चीन के वुहान में फैला, लेकिन इस वायरस के नाम का चीन से कोई लेना देना ही नहीं है। क्या आपको कोरोना का मतलब पता है? कोरोना सूरज और अन्य तारों की बाहरी वाष्पित परत को कहा जाता है, जिसका चीन या वुहान से कोई संबंध ही नहीं है। इस वायरस को कोरोनावायरस ना बोलकर वुहान वायरस या चीनी वायरस बोलना ज़्यादा प्रासंगिक होगा। इससे दुनिया को यह बार-बार आभास होता रहेगा कि जिस बीमारी के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, जिस बीमारी के कारण लोग ऑफिस नहीं जा पा रहे हैं और जिस वायरस ने हजारों लोगों की जान ले ली है, वह चीन के वुहान से फैला। इसीलिए इसका नाम वुहान वायरस होना चाहिए!
दुनिया वुहान वायरस से लड़ रही है और सभी देश इस लड़ाई में एकजुटता दिखा रहे हैं, यह कहानी का एक पहलू है। इस कहानी का दूसरा पहलू यह है कि चीन अब अपनी ज़िम्मेदारी से भागने की भरपूर कोशिश कर रहा है। पहले तो चीन ने कहा कि यह वायरस उसके यहाँ नहीं पनपा और यह बाहर से फैलाया गया है। अब चीन ने सीधे तौर पर अमेरिकी सेना पर इस वायरस को फैलाने के आरोप लगाना शुरू कर दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट के जरिये अमेरिका पर यह आरोप लगाया।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन का दावा है कि अमेरिकी सेना अक्टूबर 2019 में वुहान, मध्य चीन के हुबेई प्रांत में कोरोनोवायरस लायी थी। उन्होंने दावा किया कि एक शीर्ष अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी ने कुछ मृत फ्लू रोगियों पर कोरोनोवायरस संक्रमण का पता लगाया था। स्पष्ट है कि अब अपनी ज़िम्मेदारी से भागने के लिए चीन ने दूसरों पर इस वायरस को फैलाने का दोष मढ़ना शुरू कर दिया है।
Some #influenza deaths were actually infected with #COVID-19, Robert Redfield from US #CDC admitted at the House of Representatives. US reported 34 million cases of influenza and 20,000 deaths. Please tell us how many are related to COVID-19? @CDCDirector pic.twitter.com/vYNZRFPWo3
— Lijian Zhao 赵立坚 (@zlj517) March 12, 2020
माना जाता है कि वर्ष 2002 में फैले SAARS वायरस की तरह ही वुहान वायरस भी वुहान के वेट मार्केट्स से ही फैला जहां पर जानवरों का ताजा मांस खुलेआम बेचा जाता है। जानवरों के मांस या उनके मृत शरीर के सीधे संपर्क में आने के बाद ही यह वायरस मनुष्यों में फैला होगा। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक पहले यह वायरस जानवरों में फैला होगा और फिर यह मनुष्यों में आया होगा। चीन ने पहले इस वायरस को लेकर यह झूठ फैलाया कि यह वायरस मनुष्य से मनुष्यों में नहीं फैल सकता है, लेकिन बाद में यह झूठ साबित हुआ।
इसके अलावा चीन के सत्तावादी मॉडल ने भी इस वुहान वायरस को फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके अलावा चीन वायरस से निपटने के लिए जो भी कदम उठा रहा है, वह पर्याप्त नहीं हैं।
दरअसल, अब चीन इस बीमारी से जुड़े गंभीर डेटा को दुनिया को मुहैया कराने से परहेज कर रहा है। यहाँ तक कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन भी यह बात मान चुका है कि चीन कोरोना के मरीजों से निपटने वाले फ्रंट लाइन मेडिकल स्टाफ को होने वाले इन्फेक्शन के बारे में कोई जानकारी देने से मना कर चुका है। अगर चीन तीन महीनों में जुटाया गंभीर डेटा दुनिया के साथ साझा करने के लिए तैयार हो जाता तो इससे दुनियाभर में कोरोना को काबू करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।
अभी चीन अपने यहाँ से किसी भी प्रकार की वुहान वायरस से संबन्धित जानकारी बाहर भेजने से कतरा रहा है, जिससे पूरी दुनिया में इस बीमारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। बता दें कि चीन ने उस डॉक्टर को दंडित कर मौत की नींद सुला दिया जिसने सबसे पहले इस वायरस के होने की खबर को सार्वजनिक किया था। तब वुहान शहर की पुलिस ने उस डॉक्टर को ‘अफवाह’ फैलाने के दोष में पकड़ा और उसे हर तरीके से परेशान किया। अब वह डॉक्टर वुहान वायरस की वजह से दम तोड़ चुका है। इसके अलावा वुहान वायरस के मरीजों का उपचार करने वाले डॉक्टर्स को चीन में पूरी दुनिया से अलग कर दिया गया है, उनपर अपने परिवार वालों से भी कोई जानकारी साझा करने पर पाबंदी है। ऐसे में भला हम चीन से यह उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि वह इस वायरस से निपटने के लिए कोई सहायता प्रदान करेगा।
चीन अभी दुनिया को वुहान वायरस से जुड़ी कोई भी जानकारी ना देने के प्रति इतना संवेदनशील है कि अगर कोई भी पत्रकार वुहान से ग्राउंड रिपोर्टिंग करता है तो उसे चीन की कम्युनिस्ट सरकार गायब करवा देती है। बता दें कि पिछले एक महीने में चीन में ऐसे दो पत्रकार गायब हो चुके हैं जो वुहान वायरस के केंद्र कहे जाने वाले वुहान शहर में ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे थे। इन दोनों पत्रकारों के नाम हैं फांग बिन और चेन कियुषी है। ये दोनों ना सिर्फ अपनी जान दांव पर लगा कर वुहान से रिपोर्टिंग कर रहे थे, बल्कि इसे यूट्यूब और अन्य चीनी मीडिया सोशल साइट्स पर अपलोड करके दुनिया तक पहुंचा भी रहे थे। यही बात शायद चीनी सरकार को बुरी लगी और अब उनके सोशल मीडिया अकाउंट पूरी तरह शांत पड़ चुके हैं।
मतलब साफ है, ना सिर्फ चीन ने वुहान वायरस को दुनियाभर में फैलाया बल्कि अब वह दुनिया को इस वायरस से निपटने में मदद करने से भी अपने हाथ पीछे खींच रहा है। परन्तु अमेरिका समेत दुनिया के कई देश चीन की इस गैर जिम्मेदार रुख पर कुछ नहीं कह रहे और न ही उसकी जवाबदेही तय कर रहे हैं। सभी ने इस महामारी के समय एकजुटता तो दिखाई जो वास्तव में सराहनीय है परन्तु इसकी जड़ क्या है ? और क्यों बार बार चीन से ही ऐसे खतरनाक वायरस फ़ैल रहे हैं, इसपर कोई कुछ क्यों नहीं कह रहा?
दुनिया को चीन पर इस तरह की लापरवाही के लिए दबाव बनाना चाहिए और भविष्य में चीन से ऐसी कोई बड़ी बीमारी ना फैले, इसके लिए भी चीन को एक्शन लेने पर मजबूर करना होगा। वुहान वायरस से लड़ाई जरूरी है लेकिन इसी के साथ-साथ चीन को इसका दोषी ठहराना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।