पाकिस्तान के बुरे दिन अभी आए नहीं है बल्कि शुरू हुए हैं। पाकिस्तान की स्थिति बद से बदतर होने के बावजूद वह सुधरने की कोशिश नहीं कर रहा है, लगातार भारत के खिलाफ बोल रहा है। पुलवामा हमले के बाद से भारत ने Pakistan को सबक सीखने के लिए कई कदम उठाए थे। अब भारत एक ऐसा कदम उठाने जा रहा है जिससे Pakistan पानी के लिए तरसेगा।
ज़ी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर में पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने की भारत शुरुआत करेगा। रिपोर्ट के अनुसार रावी और उझ नदियों को Pakistan जाने से रोकने की तैयारी पूरी हो गई है। पाकिस्तान जाने वाला पानी रोकने की तकनीकी रिपोर्ट को क्लियरेंस मिलना बाकी है। बता दें कि उझ नदी रावी की ही एक ट्रिब्यूटरी है जो जम्मू कश्मीर के कठुआ से हो कर गुजरती है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुरुक्षेत्र में एक चुनावी रैली के दौरान पाकिस्तान को दिए जाने वाला पानी बंद किया जाएगा। उस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि ‘हर किसान के खाते में सीधी मदद पहुंचेगी। हिंदुस्तान और हरियाणा के किसानों के हक का पानी 70 साल तक पाकिस्तान जाता रहा। ये मोदी पानी को रोकेगा और आपके घर तक लाएगा।’ उन्होंने आगे कहा था कि, “मैंने काम शुरू कर दिया है। इस पानी पर हक हिंदुस्तान का है और हरियाणा और राजस्थान के किसानों का है। इस वजह से आपके लिए मोदी लड़ाई भी लड़ रहा है”।
बता दें कि भारत की तरफ से जाने वाली तीन नदियों का पानी पाकिस्तान जाता है। पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने हेतु प्रयासरत है। यही वजह है कि 22 अगस्त को भारतीय सीमा तथा विश्व स्तर पर Pakistan के बढ़ते उत्पात के बीच भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए पाक के साथ हाइड्रोलॉजिकल डाटा साझा करना बंद कर दिया था। वहीं जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कहा था कि भारत सिंधु जल समझौते के तहत अपने हिस्से के पानी को रोकने के लिए प्राथमिकता के आधार पर काम कर रहा है। इससे पहले पूर्व जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने भी 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले के बाद कहा था कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को लगातार समर्थन देने की वजह से भारत अपने हिस्से में आने वाली नदियों का पानी पाकिस्तान में जाने से रोकने पर विचार कर रहा है। गडकरी ने इसके बाद आगे की तैयारियों का भी खुलासा किया था। शाहपुर-कांडी में रावी नदी पर बांध बनाने का काम शुरू हो गया है। उझ प्रोजेक्ट में अपने हिस्से के जल का संग्रहण करने की तैयारी है, जिसको जम्मू-कश्मीर में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
The construction of dam has started at Shahpur- Kandi on Ravi river. Moreover, UJH project will store our share of water for use in J&K and the balance water will flow from 2nd Ravi-BEAS Link to provide water to other basin states.
— Nitin Gadkari (मोदी का परिवार) (@nitin_gadkari) February 21, 2019
यह जानना सभी के लिए आवश्यक है कि विश्व बैंक की मध्यस्थता के बाद 19 सितंबर 1960 को भारत और पाक के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था। उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाक के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। संधि के अनुसार, भारत के पास ‘पूर्वी’ नदियों यानि रावी, ब्यास और सतलुज के जल पर पूर्ण अधिकार है। बदले में, पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों यानि सिंधु, चिनाब और झेलम का 80 प्रतिशत पानी छोड़ा जाता है।
इस सिंधु जल समझौते पर गौर करें तो इससे भारत को कोई लाभ नहीं होता बल्कि घाटा ही होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि, इस समझौते से भारत को एकतरफा नुकसान हुआ है। वैसे भी भारत का यह फैसला किसी भी तरह से सिंधु जल समझौते को नहीं तोड़ता है क्योंकि भारत ने रावी, ब्यास और सतलुज के ही पानी को रोका है।
मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पाकिस्तान ने अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारते हुए भारत से राजनयिक संबंध का दायरा कम कर दिया था। इसके अलावा उसने कई ट्रेन सेवाओं को रद्द कर दिया था तथा इसे चीन की मदद से UNSC तक भी ले जाने का प्रयास किया। लेकिन भारत के बेहतर विदेशी संबंधो के कारण ये मुल्क अपने इरादों में सफल नहीं हो सका। Pakistan बार्डर पार से लगातार आतंक का एक्सपोर्ट करता रहा है और पुलवामा उसी का नतीजा था। पाकिस्तान को सबक सीखाने के लिए पीएम मोदी ने पूर्वी नदियों के पानी को अपने अधिकार में लेकर एक बेहतरीन कदम उठाया है।