वुहान वायरस की महामारी जैसी विषम परिस्थिति में भी चीन जिस प्रकार से अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए दुनिया को चोट दे रहा है, वह किसी से छुपा नहीं है। अपने घटिया टेस्टिंग किट, बेकार PPE और दो कौड़ी के मास्क के कारण वह कई देशों की स्थिति बद से बदतर कर चुकी है। हाल ही में इसका ताजा शिकार बना है UK, जिसे चीन के कारण इटली और स्पेन जैसे हालातों का सामना करना पड़ रहा है।
दो चीनी कम्पनियों ने यूके को 2 करोड़ होम टेस्ट किट की पेशकश की थी, जो COVI- 19 की जांच हेतु एंटीबॉडी टेस्ट में बड़े काम आती। इन किट्स के लिए चीनियों ने यूके से 20 मिलियन डॉलर की मोटी रकम वसूली।
अब मरता क्या ना करता, यूके को इन किट्स की आपूर्ति हेतु चीन के हर चोंचले के सामने नतमस्तक होना पड़ा। यहां तक कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी दावा किया कि यह किट ब्रिटेन का कायाकल्प कर देंगे। वैसे सच कहें तो कायाकल्प हुआ है, परन्तु ब्रिटेन के हित में बिल्कुल नहीं।
चीन के इन दोयम दर्जे के टेस्ट किट्स के कारण यूके की हालत काफी खस्ताहाल है। 1,14,000 से ज़्यादा लोग इस महामारी से संक्रमित पाए गए हैं और अब तक 15000 से ज़्यादा लोग मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जांच पड़ताल में चीनी टेस्ट किट्स एकदम घटिया दर्जे के पाए गए, जिस कारण 5 लाख टेस्ट किट्स अब पड़े पड़े धूल खा रहे हैं। ऐसे ही ब्रिटेन ने अन्य स्रोतों से 15 लाख टेस्ट किट और खरीदे थे।
अब ब्रिटिश अफसर इस धर्मसंकट में है कि को धन चीन ने उनसे हड़पा, उसे वापिस कैसे लिया जाए। डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड सोशल केयर के एक अफसर ने बताया कि ब्रिटिश सरकार अपना खोया पैसा वापिस लेने के लिए यदि चोटी का ज़ोर लगा रही है।
इस असफलता के पीछे काफी हद तक यूके स्वयं दोषी है। यूके अपने ही टारगेट को मैच नहीं कर पा रहा है और अब तक प्रतिदिन 20000 लोगों का ही टेस्ट कर पा रहा है। इसके ठीक उलट जर्मनी प्रारंभ से ही 50000 से ज़्यादा मरीजों की टेस्टिंग कर रहा था और आज यह संख्या 120000 के पार पहुंच गई है।
जनता के दबाव में यूके के अफसरों ने चीन से एंटी बॉडी टेस्ट किट्स लिए, पर अब यह निर्णय उसी पे भारी पड़ गया। प्रारंभ से ही यूके का इस महामारी के प्रति काफी लचर रिस्पॉन्स रहा है । जो देश प्रारंभ में हर्ड इम्यूनिटी को सर्वोपरि मानता हो, उससे आखिर और क्या आशा की का सकती है।
चीन के घटिया स्वास्थ्य उपकरणों को दुनिया भर से रिजेक्शन मिला है। स्पेन, चेक रिपब्लिक, इटली, यहां तक कि भारत भी चीन के दोयम दर्जे के उपकरणों को नकार चुका है।
कहते हैं, कभी भी किसी पे आंख मूंदकर विश्वास नहीं करें। पर यूके ने चीन पर आंख मूंदकर विश्वास किया और आज वे इसकी बहुत भारी कीमत चुका रही है। मेड इन चाइना पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करें, थोड़ी अकल लगाएं।