कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार देशभर में तरह-तरह के उपाय अपना रही है राज्य सरकारें भी इसी कोशिश में लगे हुए हैं। सभी की यही कोशिश है कि किसी भी तरह से संक्रमण की चेन को तोड़ा जाए जिससे यह और आगे न बढ़ सके। इस प्रक्रिया में भीलवाड़ा मॉडल की तारीफ कैबिनेट सेक्रेटरी से लेकर आम आदमी तक सभी ने की। अब इसी तरह आगरा मॉडल भी कोरोना के प्रसार को रोकने में सफल हुआ है और सभी की तरीफे बटोर रहा है।
वुहान वायरस से लड़ने में केंद्र सरकार ने आगरा मॉडल को बेस्ट मॉडल बताया और अन्य राज्यों के साथ इस मॉडल की जानकारी भी साझा की। स्वस्थ्य मंत्रालय के जाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने तो यहाँ तक कह दिया कि “कोरोना हारेगा, आगरा जीतेगा”।
तथ्य यह है कि इस मॉडल के बारे में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की मीटिंग के दौरान भी चर्चा हुई थी।
इसके पीछे दो वजह है। एक तो यहां 10 मरीज संक्रमण से मुक्त हो गए हैं। इनमें से तीन का उपचार सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (एसएन मेडिकल कॉलेज) में हुआ।
दूसरा, हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किए गए इलाके में संक्रमण का सफाया कर दिया गया। देश में सबसे पहले हॉटस्पॉट चिन्हित कर उन्हें सील करने का काम भी आगरा में हुआ।
संयुक्त सचिव ने बताया कि इटली से घूमकर आगरा आए एक परिवार के सदस्यों में सबसे पहले कोरोना की पुष्टि हुई थी। पुलिस-प्रशासन ने बेहतर तालमेल दिखाया। परिवार के सदस्य कहां-कहां गए, इसकी पूरी ट्रैसिंग की गई। तीन किलोमीटर को कंटेंटमेंट और पांच किलोमीटर को बफर जोन में बदला गया। 1248 मेडिकल टीमों का गठन कर अब तक नौ लाख लोगों पर सर्वे किया गया, 2500 लोग खांसी, जुकाम और बुखार से पीड़ित मिले। इन पर नजर रखी जा रही है।
देश के पहले हॉटस्पॉट क्लस्टर के तहत सबसे पहले स्थानीय एडमिनिस्ट्रेशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय की निगरानी में कम्युनिटी हेल्थ वर्कर के साथ मिलकर containment and Rapid emergency response system तैयार किया। यही नहीं हौसला बढ़ाने के लिए टुगेदर आगरा विल विन (Together Agra will win) का नारा भी दिया गया।
नगर निगम में कमांड एंड कंट्रोल रूम बनाया गया है। Integrated control and command Centre (ICCC) of Agra Smart City जो कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत बना था, उसको वॉर रूम में कन्वर्ट किया गया। आगरा जिले में सेंट्रल हेल्पलाइन शुरू की गई। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बबलू कुमार ने ऐसा एप तैयार कराया, जिससे लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों की पहचान हो सके। इसका नाम दिया गया लॉकडाउन मॉनिट्रिंग एप।
इसे स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम से जोड़ा गया। जैसे ही किसी सड़क पर लोग आते हैं, वैसे ही कंट्रोल रूम को पता चलता है। वहां से तुरंत ही संबंधित थाने को वीडियो पहुंच जाता है। थानेदार नक्शे पर देखकर पुलिस भेज देता है।
मल्टीफंक्शनल डिस्ट्रिक्ट टीम का गठन किया गया इसके साथ ही एसएसपी ने पुलिस और ट्रैफिक पुलिस की टीमों को बनाकर क्लस्टर लॉकडाउन करने की तैयारी की। कोविड वार रूम बनाने के साथ-साथ यह सारा प्लान जिला प्रशासन ने तैयार किया। पीपीपी के तहत 566 पेड इंस्टीट्यूशनल क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए जबकि इसके साथ ही 3007 फ्री इंस्टीट्यूशनल क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए 428 ऑफिशियल क्वॉरेंटाइन सेंटर तैयार किए गए। स्थानीय प्रशासन ने यह तैयारी युद्ध स्तर पर की तालमेल भी बेहद तेजी से उसका परिणाम अब सभी के सामने है। जिले के डीएम और अधिकारी लगातार इन सुविधाओं का निरीक्षण करते रहे और लगातार क्रिटिकल हॉटस्पॉट और क्लस्टर की पहचान करने की कोशिश करते रहे। मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज किया जा रहा है। डॉक्टरों को क्वारंटाइन किया जा रहा है।
सेहत की जांच, आगरा लॉकडाउन मॉनीर्टंरग एप, चेक ग्रॉसरी एप लांच किया जा चुका है। टेली मेडिसिन की सुविधा मिल रही है। आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी कराई जा रही है। जिले की बड़ी आबादी और बड़े बड़े इलाके को लॉकडाउन करने के लिए प्रशासन को डोर स्टेप डिस्ट्रीब्यूशन चैन बनाने की जरूरत थी जिससे जरूरी सामान की किल्लत आम आदमी को ना हो। इसके लिए हर गली-मोहल्ले तक के सब्जीवाले, किराने वालों को हेल्पलाइन से जोड़ा गया है। लोगों को घर पर सामान मिला तो बाहर कम निकले।
सैनिटाइजेशन, फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जा रहा है। पशुओं के चारे की व्यवस्था की गई। हर दिन नगर निगम की टीम पशुओं-पक्षियों को दाना-पानी उपलब्ध करा रही है। गरीबों के लिए शेल्टर होम बनाए। उनके लिए भोजन का प्रबंध किया। समाजसेवी संस्थाओं की मदद से भोजन के पैकेट तैयार कराए। पुलिस के जरिए रोजाना 50 हजार पैकेट तक का वितरण किया।
आगरा मॉडल भीलवाड़ा मॉडल से भिन्न है क्योंकि भीलवाड़ा में जिले को पूरी तरह से सील कर दिया गया था तो वहीं, आगरा मॉडल में क्लस्टर ज़ोन को टार्गेट किया गया। इस तरह से देखा जाए तो आगरा मॉडल अधिक व्यावहारिक है। तीन किलोमीटर के रेडियस को टार्गेट कर तुरंत कर्रवाई करना अधिक आसान है। पूरे जिले को सील कर देने से लोजीस्टिक की आवाजही में रुकावट आ जाती है और इसे सभी जिले यह राज्य लागू नहीं कर सकते। आगरा प्रशासन ने तकनीक का भी भरपूर उपयोग किया। GPS से लेकर ड्रोन और CCTV की मदद की ली गयी।
लोगों के आवाजही पर नजर रख कर यह सुनिश्चित किया गया कि किसी प्रकार की भीड़ न जमा हो जिससे क्लस्टर बढ़े। पहले सोशल डिस्टेन्सिंग फिर स्क्रीननिंग और फिर आईसोलेशन को मंत्र बनाया गया।
जिले में अभी तक 92 मामले सामने आए हैं जिसमें से 8 ठीक हो चुके हैं और 1 की मृत्यु हुई है। लेकिन फिर भी जिस हिसाब से Quarantine सेंटर बनाए गए हैं और बेड की व्यवस्था की गयी है वह एक्टिव केस से कई गुना अधिक है। इस तरह से देखा जाए तो जिला प्रशासन अधिक सावधान है। जिला प्रशासन ने योगी सरकार के साथ तालमेल कर कोरोना को कुछ हद तक काबू में कर लिया है। अगर थोड़ी सी भी चूक होती तो आज रिज़ल्ट कुछ और होता और यह मुंबई या दिल्ली बन चुका होता। आगरा में यह चूक पूरे उत्तर प्रदेश को भारी पड़ती लेकिन योगी सरकार ने आगरा जिला प्रशासन के साथ मिलकर एक बड़े हादसे को टाल दिया है। देश के अन्य जिलों और राज्य सरकारों को भी यह मॉडल अपनाना चाहिए जिससे कोरोना को हराया जा सके।